लुधियाना के प्रमुख कपड़ा व्यवसायी और वर्धमान ग्रुप के अध्यक्ष एसपी ओसवाल साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस गए और उनसे 7 करोड़ रुपये की ठगी की गई। साइबर अपराधियों ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी दी।
लुधियाना के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) जास्किरनजीत सिंह तेजा के अनुसार, साइबर अपराधियों ने ओसवाल से संपर्क कर उन्हें यह दावा किया कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े दस्तावेज मौजूद हैं। इसके बाद उन्होंने ओसवाल को धमकी दी कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को उनकी जानकारी दे दी गई है, और उनकी जल्द ही गिरफ्तारी हो सकती है।
ठगों ने इस धोखाधड़ी को असली दिखाने के लिए एक नकली सीबीआई ऑफिस का सेटअप तैयार किया और वीडियो कॉल के माध्यम से ओसवाल से संपर्क किया। कॉल के दौरान ठगों ने सीबीआई की वर्दी पहने हुए लोगों को दिखाया, और पूरी बातचीत अंग्रेजी में की, ताकि ओसवाल को उनकी बातों पर विश्वास हो।
इसके बाद ठगों ने एक नकली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई भी फोन के माध्यम से करवाई। एक वकील के रूप में काम कर रहे व्यक्ति ने ओसवाल का नाम लेकर उनके केस को पेश किया और उन्हें आश्वासन दिया कि उनके पक्ष में कार्रवाई की जा रही है।
गिरफ्तारी के डर और कानूनी कार्यवाही के दबाव में आकर ओसवाल ने ठगों द्वारा दिए गए विभिन्न बैंक खातों में 7 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए। उन्होंने पहले 4 करोड़ रुपये दिए, उसके बाद 3 करोड़ रुपये का दूसरा भुगतान किया।
दो दिन बाद ओसवाल ने शिकायत दर्ज करवाई, जिसके बाद लुधियाना की साइबर क्राइम टीम ने मामले की जांच शुरू की। डीसीपी तेजा ने बताया कि इस मामले में अब तक दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है और उनसे 5.25 करोड़ रुपये बरामद किए गए हैं। इसके अलावा, पुलिस अभी सात अन्य संदिग्धों की तलाश कर रही है।
डीसीपी तेजा ने व्यापारियों से सतर्क रहने की सलाह दी और कहा कि इस धोखाधड़ी मामले में और खुलासे हो सकते हैं। पुलिस को संदेह है कि ठगों ने फर्जी दस्तावेजों और गलत जानकारी का उपयोग करके ओसवाल पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया और उन्हें ठगा।
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