आख़िर तक – एक नज़र में
- सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव के विवादास्पद भाषण पर कार्रवाई के लिए कदम उठाए।
- यह भाषण विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कार्यक्रम में दिया गया था, जिसमें एक समुदाय पर निशाना साधा गया।
- मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ को इस भाषण को लेकर शिकायतें प्राप्त हुईं।
- लोकसभा में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने न्यायाधीश को हटाने की मांग की।
- सीपीआई (एम) नेता वृंदा करात ने इसे न्यायपालिका की निष्पक्षता और संविधान पर हमला बताया।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कदम उठाए?
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव के विवादास्पद भाषण का संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्रवाई का संकेत दिया है। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ को जज के भाषण को लेकर शिकायतें प्राप्त हुईं, जिसमें उनके बयान को संविधान के खिलाफ बताया गया।
वीएचपी के कार्यक्रम में दिया गया भाषण
जस्टिस यादव ने विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में भाषण देते हुए कहा कि भारत को बहुसंख्यकों (हिंदू समुदाय) की इच्छाओं के अनुसार चलना चाहिए। उन्होंने एक समुदाय पर अप्रत्यक्ष रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि “जानवरों की हत्या देखकर बच्चे सहनशील कैसे बन सकते हैं।”
लोकसभा और राजनीतिक प्रतिक्रिया
यह मुद्दा लोकसभा में भी उठा, जहां एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने जज को हटाने के लिए नोटिस साइन किया। उन्होंने कहा कि यह बयान संविधान और न्यायपालिका की निष्पक्षता के खिलाफ है। सीपीआई (एम) की वृंदा करात ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर न्यायपालिका पर पड़े इस धब्बे को साफ करने की मांग की।
न्यायपालिका पर सवाल
सीपीआई (एम) और अन्य संगठनों ने जस्टिस यादव के भाषण को न्यायपालिका की निष्पक्षता, निष्कपटता, और तटस्थता के खिलाफ बताया। उनका मानना है कि ऐसे बयानों से न्यायपालिका की विश्वसनीयता प्रभावित होती है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट जज के भाषण पर कार्रवाई का संकेत दिया।
- भाषण वीएचपी के कार्यक्रम में दिया गया था, जिसमें संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन बताया गया।
- राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने निष्पक्षता की मांग की।
- न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठाने वाले इस मामले में जांच जारी है।
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