सर्वोच्च न्यायालय ने पीजी मेडिकल कोर्सों में निवास आधारित आरक्षण रद्द किया

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सर्वोच्च न्यायालय ने पीजी मेडिकल कोर्सों में निवास आधारित आरक्षण रद्द किया

आख़िर तक – एक नज़र में:

  1. सर्वोच्च न्यायालय ने पीजी मेडिकल कोर्सों में निवास आधारित आरक्षण रद्द कर दिया।
  2. कोर्ट ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया।
  3. यह निर्णय 2019 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ आया।
  4. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षा में आरक्षण कुछ विशेष मामलों तक सीमित हो सकता है, पर पीजी में यह लागू नहीं होगा।
  5. यह फैसला मौजूदा आरक्षण को प्रभावित नहीं करेगा।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार:

सुप्रीम कोर्ट का हालिया निर्णय देशभर के मेडिकल छात्रों और शैक्षणिक संस्थाओं के लिए महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने बुधवार को पीजी मेडिकल कोर्सों में निवास आधारित आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि यह आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, जो समानता का अधिकार देता है।

सुप्रीम कोर्ट का तर्क: सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि भारत में हर नागरिक को कहीं भी रहने और व्यवसाय करने का अधिकार है। कोर्ट ने यह भी बताया कि आरक्षण का उद्देश्य उन छात्रों की मदद करना है, जो आरक्षित श्रेणियों से आते हैं, परंतु इसे प्रदेश आधारित आरक्षण में बदलना गलत है। मेडिकल शिक्षा के उच्च स्तर पर, विशेष रूप से पीजी कोर्सों में निवास आधारित आरक्षण नहीं होना चाहिए।

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महत्वपूर्ण निर्णय: यह निर्णय पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के 2019 के फैसले के खिलाफ आया, जिसमें चंडीगढ़ स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज में निवास आधारित आरक्षण को अवैध करार दिया था। इस फैसले के कारण अब राज्यों को निवास आधारित आरक्षण में छूट नहीं मिलेगी।

आगे की स्थिति: हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकारों द्वारा पहले दिए गए निवास आधारित आरक्षण को इस फैसले से प्रभावित नहीं किया जाएगा। इस फैसले के बाद, पीजी मेडिकल में दाखिले अब केवल मेरिट के आधार पर होंगे।

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आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें:

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का उद्देश्य उच्च-स्तरीय चिकित्सा शिक्षा में समानता सुनिश्चित करना है। निवास आधारित आरक्षण को असंवैधानिक मानते हुए, यह फैसला देश भर के मेडिकल छात्रों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। हमें उम्मीद है कि इस फैसले से आरक्षण नीति में सुधार होगा और चिकित्सा शिक्षा में समानता बढ़ेगी।


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आख़िर तक मुख्य संपादक
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