सुप्रीम कोर्ट: मुफ्त राशन के बजाय रोज़गार सृजन पर ध्यान दें केंद्र

आख़िर तक
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आख़िर तक – एक नज़र में

  1. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को गरीबों को मुफ्त राशन देने के बजाय रोज़गार के अवसर पैदा करने पर ज़ोर देने को कहा है।
  2. कोर्ट का मानना है कि मुफ्त राशन की योजना से राज्यों में राशन कार्ड जारी करने की संख्या बढ़ सकती है।
  3. सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि केंद्र सरकार 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दे रही है।
  4. याचिकाकर्ता ने दावा किया कि 2-3 करोड़ लोग अभी भी इस योजना से वंचित हैं।
  5. मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2025 में होगी।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मुफ्त राशन वितरण के बजाय रोज़गार सृजन पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि मुफ्त राशन की वर्तमान व्यवस्था से राज्यों में राशन कार्ड जारी करने में वृद्धि हो सकती है, क्योंकि उन्हें पता है कि अनाज उपलब्ध कराने की ज़िम्मेदारी केंद्र की है। कोर्ट ने कहा, “अगर राज्यों से मुफ्त राशन देने को कहा जाए, तो कई राज्य आर्थिक तंगी का हवाला देकर मना कर सकते हैं, इसलिए रोज़गार सृजन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”

सरकार का पक्ष

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत 80 करोड़ गरीब लोगों को मुफ्त राशन दे रही है। लेकिन याचिकाकर्ता अधिवक्ता प्रशांत भूषण का तर्क है कि फिर भी 2 से 3 करोड़ लोग इस योजना से वंचित हैं।

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प्रवासी श्रमिकों की समस्या

यह याचिका प्रवासी श्रमिकों की समस्याओं पर केंद्रित है। कोर्ट ने पहले निर्देश दिया था कि NFSA के तहत पात्र लोगों को 19 नवंबर 2024 से पहले राशन कार्ड जारी किए जाएँ।

विवाद

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल मेहता और याचिकाकर्ता भूषण के बीच तीखी बहस हुई। मेहता ने कहा कि भूषण सरकार चलाने और नीतियाँ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। भूषण ने जवाब में कहा कि मेहता उन पर इसलिए हमला कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने मेहता के ख़िलाफ़ कुछ ईमेल सार्वजनिक किए थे।

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मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी, 2025 को होगी।

आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को मुफ्त राशन के बजाय रोज़गार सृजन पर ध्यान देने को कहा है। कोर्ट ने चिंता व्यक्त की है कि मुफ्त राशन की योजना से राज्यों द्वारा राशन कार्ड जारी करने में वृद्धि हो सकती है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अभी भी कई लोग मुफ्त राशन से वंचित हैं। 


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आख़िर तक मुख्य संपादक
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