तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने इंडस लिपि को हल करने के लिए 1 मिलियन डॉलर पुरस्कार की घोषणा

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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने इंडस लिपि को हल करने के लिए 1 मिलियन डॉलर पुरस्कार की घोषणा

आख़िर तक – एक नज़र में

  1. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इंडस घाटी की लिपि को हल करने के लिए 1 मिलियन डॉलर का पुरस्कार घोषित किया।
  2. यह पुरस्कार चेनई में एक तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान की गई घोषणा में दिया गया।
  3. लिपि को हल करने से इंडस घाटी सभ्यता और इसके सामाजिक-आर्थिक संबंधों का रहस्य उजागर हो सकता है।
  4. स्टालिन का यह कदम राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जो द्रविड़ पहचान की प्रासंगिकता पर जोर देता है।
  5. इस ऐतिहासिक कदम के साथ, स्टालिन ने दक्षिण भारतीय सभ्यताओं की प्राचीनता को सामने लाने की कोशिश की है।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

1 मिलियन डॉलर पुरस्कार की घोषणा: क्या है इसका उद्देश्य?

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने रविवार को एक तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में इंडस घाटी की रहस्यमयी लिपि के हल के लिए 1 मिलियन डॉलर (लगभग 8 करोड़ रुपये) का पुरस्कार घोषित किया। यह सम्मेलन 1921 में इंडस घाटी सभ्यता की खोज की शताबदी (Centenary) के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था। स्टालिन ने इस अवसर पर कहा, “इंडस घाटी की लिपि के रहस्य को हल करने के लिए शोधकर्ताओं द्वारा किए गए प्रयासों को प्रोत्साहित करने हेतु यह पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है।”

लिपि की जटिलता और इसके महत्व का अध्ययन

इंडस घाटी सभ्यता की लिपि को अभी तक पूरी तरह से हल नहीं किया जा सका है, जबकि इसके 600 से अधिक प्रतीकों की खोज की जा चुकी है। यह लिपि मुख्य रूप से मुहरों, तख्तियों और कुछ अभिलेखों पर पाई जाती है, जिनमें विशेष रूप से गुजरात के धोलावीरा स्थल से प्राप्त तख्ती महत्वपूर्ण है। इसके अनुपस्थित द्विभाषिक शिलालेख की तरह कोई अन्य स्रोत नहीं है, जिससे इसे सरलता से समझा जा सके। इसलिए शोधकर्ताओं के लिए इसे समझना एक चुनौती बनी हुई है।

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स्टालिन का द्रविड़ीय संदर्भ: क्या है इसका राजनीतिक असर?

स्टालिन का यह कदम केवल ऐतिहासिक महत्व तक सीमित नहीं है। तमिलनाडु में हाल ही में की गई खुदाई में यह दिखाया गया है कि दक्षिण भारत में प्राचीन सभ्यताएँ इंडस घाटी के समय से संबंधित थीं। इससे यह संभावना जताई जा रही है कि दक्षिण भारतीय सभ्यताओं का इंडस घाटी सभ्यता से सांस्कृतिक संबंध था। इसके जरिए स्टालिन ने द्रविड़ पहचान को सशक्त करने की कोशिश की है।

डॉ. जॉन मार्शल की भूमिका और सभ्यता की खोजना

इंडस घाटी सभ्यता के बारे में पहली महत्वपूर्ण जानकारी 1920 के दशक में ब्रिटिश पुरातत्वज्ञ डॉ. जॉन मार्शल ने दी थी। उन्होंने यह सिद्ध किया कि यह सभ्यता भारतीय उपमहाद्वीप के आर्यकाल से पहले थी और इसकी भाषा द्रविड़ हो सकती है। स्टालिन ने मार्शल की प्रतिमा का निर्माण भी शुरू किया और उनके कार्य को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इंडस घाटी सभ्यता की रहस्यमय लिपि को हल करने के लिए 1 मिलियन डॉलर का पुरस्कार प्रदान करने की घोषणा की। इस कदम के पीछे ऐतिहासिक और राजनीतिक दोनों दृष्टिकोण जुड़े हुए हैं, जिनसे द्रविड़ संस्कृति और सभ्यता की ऐतिहासिक महत्वपूर्णता पर चर्चा हो रही है। यह आयोजन इतिहास के अध्ययन में तमिलनाडु की भूमिका को मजबूती प्रदान करने का प्रयास है।


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