तिरुपति मंदिर से गैर-हिंदू कर्मचारी हटाए

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तिरुपति मंदिर से गैर-हिंदू कर्मचारी हटाए

आख़िर तक – एक नज़र में

तिरुपति मंदिर बोर्ड ने 18 गैर-हिंदू कर्मचारियों को हटाया। इन कर्मचारियों पर हिंदू परंपराओं का पालन न करने का आरोप है। उन्हें अन्य विभागों में स्थानांतरण या वीआरएस लेने का विकल्प दिया गया है। टीटीडी बोर्ड ने पहले कहा था कि केवल हिंदू कर्मचारी ही टीटीडी में काम कर सकते हैं। यह फैसला मंदिर की पवित्रता बनाए रखने के लिए लिया गया है।

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आख़िर तक – विस्तृत समाचार

तिरुपति मंदिर बोर्ड ने 18 गैर-हिंदू कर्मचारियों को हटाया

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तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम (TTD) ने अपने कर्मचारियों के लिए हिंदू परंपराओं का पालन करने के नियम का उल्लंघन करने पर 18 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। टीटीडी बोर्ड, जिसका नेतृत्व अध्यक्ष बीआर नायडू कर रहे हैं, ने पहले कहा था कि केवल हिंदू कर्मचारी ही टीटीडी में काम कर सकते हैं। हालांकि, ये 18 कर्मचारी गैर-हिंदू परंपराओं का पालन करते पाए गए, जिसके कारण अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। इस तिरुपति मंदिर फैसले ने एक नई बहस छेड़ दी है।

टीटीडी बोर्ड के प्रस्ताव के अनुसार, इन कर्मचारियों को टीटीडी मंदिरों और संबद्ध विभागों में उनकी वर्तमान भूमिकाओं से हटा दिया जाएगा। उन्हें किसी भी हिंदू धार्मिक कार्यक्रमों या कर्तव्यों में भाग लेने से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। कर्मचारियों को दो विकल्प दिए जा रहे हैं: सरकारी विभागों में स्थानांतरण या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) के लिए आवेदन करना। पालन करने में विफलता के परिणामस्वरूप आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस कर्मचारी निष्कासन मामले पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

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नायडू ने पहले इस बात पर जोर दिया था कि तिरुमाला एक हिंदू आस्था और पवित्रता का प्रतीक बना रहे, इसके लिए वह प्रतिबद्ध हैं। 1989 के बंदोबस्ती अधिनियम के अनुसार, टीटीडी कर्मचारियों को हिंदू रीति-रिवाजों का पालन करना चाहिए, और बोर्ड ने टीटीडी की पवित्रता और भक्तों की भावनाओं को प्रभावित करने वाले उल्लंघन पर चिंता व्यक्त की। भाजपा नेता और टीटीडी बोर्ड सदस्य भानु प्रकाश रेड्डी ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि वह जितने चाहें उतने गैर-हिंदू कर्मचारियों को जाते देखने के लिए तैयार हैं। यह तिरुपति मंदिर का एक अहम फैसला है।

आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

तिरुपति मंदिर बोर्ड ने 18 गैर-हिंदू कर्मचारियों को हटाया। हिंदू परंपराओं का पालन न करने पर कार्रवाई हुई। कर्मचारियों को स्थानांतरण या वीआरएस लेने का विकल्प दिया गया। टीटीडी बोर्ड ने पहले कहा था कि केवल हिंदू कर्मचारी ही काम कर सकते हैं।


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