आख़िर तक – एक नज़र में
- उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है जहाँ समान नागरिक संहिता लागू की गई है।
- यह कानून विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे मामलों को नियमित करेगा।
- 27 जनवरी से यह संहिता राज्य के सभी निवासियों पर लागू हो गई है।
- इसका उद्देश्य सभी धर्मों में एक समान कानूनी प्रावधान लागू करना है।
- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे ऐतिहासिक कदम बताते हुए राष्ट्र निर्माण में सहायक बताया।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
समान नागरिक संहिता का परिचय
समान नागरिक संहिता (UCC) का उद्देश्य भारत के सभी धर्मों के लिए एक समान निजी कानून तैयार करना है। उत्तराखंड ने इसे लागू कर देश में एक नया इतिहास बनाया। UCC विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे निजी मामलों को सरल और पारदर्शी बनाने का प्रयास करता है।
उत्तराखंड में UCC का कार्यान्वयन
2022 विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने UCC लागू करने का वादा किया था। इसके लिए न्यायमूर्ति रंजन प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में एक पांच-सदस्यीय समिति का गठन हुआ। फरवरी 2024 में इस समिति ने 740 पन्नों की रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसे 6 फरवरी को विधान सभा में पास कर 28 फरवरी को राज्यपाल की मंजूरी मिली।
UCC का प्रभाव
- विवाह और तलाक: विवाह और तलाक के लिए पुरुषों और महिलाओं के लिए समान नियम होंगे।
- उत्तराधिकार: संपत्ति विभाजन के नियम समान होंगे।
- लिव-इन रिलेशनशिप: लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण अनिवार्य किया गया।
- ‘हलाला’ और बहुविवाह प्रतिबंध: इन प्रथाओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया।
ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत
आज से शुरू हुए पोर्टल के माध्यम से विवाह, तलाक और उत्तराधिकार का ऑनलाइन पंजीकरण किया जा सकेगा। यह सेवा राज्य के निवासियों को घर बैठे मोबाइल के जरिए उपलब्ध होगी।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- उत्तराखंड में 27 जनवरी से समान नागरिक संहिता लागू।
- विवाह और तलाक में पुरुषों और महिलाओं के समान अधिकार।
- ‘हलाला’ और बहुविवाह पर प्रतिबंध।
- ऑनलाइन पोर्टल पंजीकरण प्रक्रियाओं को सरल बनाता है।
Discover more from पाएं देश और दुनिया की ताजा खबरें
Subscribe to get the latest posts sent to your email.