आख़िर तक – एक नज़र में
- दिल्ली की एक अदालत ने उमर खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों के मामले में सात दिन की अंतरिम जमानत दी है।
- यह जमानत उनके परिवार में शादी में शामिल होने के लिए दी गई है।
- उमर खालिद को 14 सितंबर, 2020 को UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था।
- पुलिस ने उनकी जमानत का विरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने उन्हें शर्तों के साथ अनुमति दी।
- खालिद पर 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश का आरोप है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
उमर खालिद को अंतरिम जमानत
दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में सात दिन की अंतरिम जमानत दे दी है। उन्हें यह जमानत अपने परिवार में शादी में शामिल होने के लिए दी गई है। खालिद को 28 दिसंबर से 3 जनवरी तक के लिए जमानत मिली है। खालिद ने 10 दिन की अंतरिम जमानत मांगी थी। अदालत ने उनकी मांग पर विचार करते हुए, 7 दिन की अंतरिम जमानत के साथ, कुछ शर्तों का भी पालन करने का आदेश दिया।
गिरफ्तारी और आरोप
उमर खालिद को 14 सितंबर, 2020 को दिल्ली पुलिस ने UAPA के तहत गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की साजिश में वे भी शामिल थे। इन दंगों में 53 लोगों की जान गई थी और 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। ये दंगे नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के विरोध प्रदर्शनों के दौरान भड़के थे।
पुलिस का विरोध
दिल्ली पुलिस ने उमर खालिद की जमानत का विरोध किया। पुलिस का आरोप है कि खालिद ने एक बड़ी साजिश के तहत अपने विचारों को फैलाने के लिए अभिनेताओं और राजनेताओं को संदेश भेजे थे। पुलिस ने खालिद पर दंगा भड़काने और हिंसा में शामिल होने का भी आरोप लगाया है।
पिछली जमानत याचिकाएँ
28 मई को, ट्रायल कोर्ट ने खालिद की नियमित जमानत याचिका को दूसरी बार खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि उनकी पहली जमानत याचिका को खारिज करने का आदेश अंतिम था। 18 अक्टूबर, 2022 को, दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी पहली जमानत याचिका को खारिज करने के फैसले को बरकरार रखा था। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि पुलिस द्वारा लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया सही प्रतीत होते हैं। न्यायालय ने कहा कि सीएए विरोधी प्रदर्शन हिंसक दंगों में बदल गए, जो साजिश में आयोजित बैठकों में आयोजित किए गए प्रतीत होते हैं।
उच्च न्यायालय की टिप्पणी
उच्च न्यायालय ने कहा था कि गवाहों के बयानों से खालिद की दंगों में ‘सक्रिय भागीदारी’ का संकेत मिलता है। अदालत ने यह भी कहा था कि विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया और इसे षड्यंत्रकारी बैठकों में आयोजित किया गया था। इस संदर्भ में, उमर खालिद को 7 दिनों की अंतरिम जमानत दी गई है, ताकि वह अपने परिवार की शादी में शामिल हो सकें। यह घटना 2020 में हुए दिल्ली दंगों की गंभीरता और उन दंगों से जुड़े अदालती मामलों को दर्शाती है। यह जमानत उन्हें कुछ राहत ज़रूर दे सकती है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
उमर खालिद को दिल्ली दंगों के मामले में सात दिन की अंतरिम जमानत मिली है, ताकि वह अपने परिवार की शादी में शामिल हो सकें। उन्हें UAPA के तहत गिरफ्तार किया गया था। उन पर 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश में शामिल होने का आरोप है। पुलिस ने उनकी जमानत का विरोध किया था, लेकिन अदालत ने शर्तों के साथ जमानत दे दी।
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