विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए संयुक्त राष्ट्र को “पुरानी कंपनी” के रूप में बताया, जो बदलते वैश्विक बाजार के साथ पूरी तरह से तालमेल नहीं बैठा पा रही है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र प्रमुख मुद्दों पर कार्रवाई नहीं कर रहा है, और इसलिए कई देश अपनी खुद की पहल कर रहे हैं।
कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में बातचीत के दौरान जयशंकर ने कहा कि आज दुनिया में दो बहुत ही गंभीर संघर्ष चल रहे हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र इन पर महज एक दर्शक बना हुआ है। उनका मानना है कि यह संगठन, जो 1945 में दूसरी विश्व युद्ध के बाद अस्तित्व में आया था, अब अपने समय से पीछे है। जयशंकर ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र अब एक पुरानी कंपनी की तरह हो गया है, जो बाजार के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रहा, लेकिन फिर भी अपनी जगह बनाए हुए है।”
जयशंकर ने कोविड-19 महामारी के समय का उदाहरण देते हुए बताया कि उस समय संयुक्त राष्ट्र की भूमिका नगण्य थी, और देशों ने अपनी खुद की योजनाओं पर काम किया। इसी प्रकार आज के समय में कई देश मिलकर कोविड के बाद की चुनौतियों का समाधान ढूंढ रहे हैं, जैसे कि कोवैक्स जैसी योजनाएं।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत-मध्यपूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (IMEC) और क्वाड जैसे पहल संयुक्त राष्ट्र के बाहर विकसित हो रहे हैं। इन पहलों के माध्यम से देश सामूहिक रूप से समाधान ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) और आपदा लचीली संरचना गठबंधन (CDRI) जैसे संगठन भी UN की सीमा के बाहर काम कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हुए, जयशंकर ने कहा, “आज संयुक्त राष्ट्र जारी रहेगा, लेकिन तेजी से एक गैर-यूएन स्थान उभर रहा है, जो सक्रिय क्षेत्र है। यह स्थिति संयुक्त राष्ट्र के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए।”
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