आख़िर तक – एक नज़र में
- भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री से वीज़ा देरी पर चिंता जताई।
- वीज़ा देरी से भारत-यूएस संबंधों को हानि हो रही है, विशेषकर व्यापार और पर्यटन में।
- एच-1बी वीज़ा और पर्यटक वीज़ा के लिए आवेदन करने वाले भारतीयों को गंभीर देरी का सामना करना पड़ रहा है।
- मुंबई, दिल्ली और अन्य प्रमुख शहरों में वीज़ा अपॉइंटमेंट के लिए प्रतीक्षा समय 400 से अधिक दिन है।
- अमेरिकी प्रशासन के ट्रंप प्रशासन के समय से दोनों देशों के रिश्ते मजबूत हुए हैं और ये अब भी जारी हैं।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
वीज़ा देरी पर एस. जयशंकर की चिंता
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात के दौरान भारतवासियों के लिए वीज़ा अप्लिकेशन में हो रही देरी को प्रमुख मुद्दा बताया। एस. जयशंकर ने कहा कि यह देरी भारत-यूएस संबंधों के विकास में रुकावट डालती है और इसे जल्द हल किया जाना चाहिए।
एस. जयशंकर ने कहा, “वीज़ा देरी की समस्या केवल कारोबार या पर्यटन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानव संसाधन और लोग-से-लोग संपर्क को भी प्रभावित करती है।”
विभिन्न वीज़ा श्रेणियों में लंबी प्रतीक्षा अवधि
भारत से अमेरिकी वीज़ा आवेदनकर्ताओं को विशेष रूप से H-1B और पर्यटक वीज़ा श्रेणियों में लंबी प्रतीक्षा का सामना करना पड़ रहा है। मुंबई, दिल्ली, और अन्य प्रमुख शहरों में B1/B2 वीज़ा के लिए प्रतीक्षा अवधि 400 से 470 दिनों तक पहुँच चुकी है। इसके अतिरिक्त, H-1B वीज़ा प्राप्त करने में भी कठिनाई हो रही है। भारतीय नागरिक, जो अधिकतर H-1B वीज़ा पर निर्भर रहते हैं, इस प्रक्रिया में और भी रुकावटों का सामना कर रहे हैं।
अमेरिका के हित और H-1B कार्यक्रम की महत्ता
एच-1बी वीज़ा विशेष रूप से भारत के पेशेवरों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वीज़ा टैक्नोलॉजी और अन्य क्षेत्रीय विशेषज्ञताओं के लिए प्रमुख अवसर प्रदान करता है। हालाँकि, यह प्रक्रिया अमेरिकी नागरिकों के रोजगार को लेकर विवादास्पद रही है। ट्रंप प्रशासन के समय, इस मुद्दे पर व्यापक बहस हुई थी।
एस. जयशंकर और अमेरिकी प्रशासन के संवाद
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्रंप प्रशासन के समय हुए सफल संवाद को रेखांकित किया और भारत-यूएस रिश्तों की नई दिशा पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच स्थिर विश्वास का वातावरण तैयार हुआ है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- वीज़ा देरी भारत-यूएस संबंधों के लिए एक गंभीर समस्या बनी हुई है।
- H-1B वीज़ा की डिले से भारतीय पेशेवरों को कठिनाइयाँ हो रही हैं।
- ट्रंप प्रशासन के समय से भारत-यूएस के रिश्ते मजबूत हुए थे।
- दोनों देशों को अधिक महत्वाकांक्षी दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।
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