आखिर तक – संक्षेप में
- कर्नाटक सरकार ने वक्फ बोर्ड में भूमि हस्तांतरण प्रक्रिया को रोक दिया है।
- अधिकारियों को किसानों को भूमि खाली करने के नोटिस देने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
- मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने किसानों की शिकायतों के मद्देनजर सख्त निर्देश जारी किए हैं।
- विपक्षी नेताओं ने वक्फ अधिनियम में संशोधन को लेकर राज्य सरकार पर दबाव डाला है।
- भूमि विवाद में 500 से अधिक किसान शामिल हैं, जिन्हें कृषि भूमि से बेदखल होने का डर है।
आखिर तक – विस्तार से
कर्नाटक में वक्फ भूमि विवाद ने एक गंभीर राजनीतिक रूप ले लिया है, जिसमें किसानों की जमीनें कथित तौर पर वक्फ बोर्ड के नाम पर हस्तांतरित की जा रही हैं। राज्य सरकार ने सभी ऐसी प्रक्रियाओं पर रोक लगाते हुए अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि किसी भी किसान को भूमि खाली करने का नोटिस दिया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री का कड़ा संदेश
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने क्षेत्रीय और उप आयुक्तों को निर्देश दिया है कि सभी पेंडिंग मामलों को रोका जाए और किसानों को राहत प्रदान की जाए। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को सूचित किया कि किसी भी किसान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी जो इस विवादित भूमि पर खेती कर रहा है।
विपक्षी नेताओं का विरोध
कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता, आर अशोक ने इस मामले में गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र भेजकर मांग की है कि सभी भूमि पंजीकरण प्रक्रियाएं तत्काल रोकी जाएं। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड में भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया वक्फ अधिनियम में संशोधन से पहले जल्दबाजी में की जा रही है।
प्रमुख विवादास्पद मामले
कई जिलों में इस विवाद ने तूल पकड़ा है। कर्नाटक के उत्तरी जिलों में 500 से अधिक किसानों ने वक्फ बोर्ड द्वारा भूमि अधिग्रहण के खिलाफ अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं। इन किसानों को डर है कि उनकी कृषि भूमि पर वक्फ बोर्ड का दावा उनके अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है।
कृषि भूमि पर बढ़ता दबाव
यह मुद्दा आगामी विधानसभा उपचुनावों के मद्देनजर एक प्रमुख राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। सरकार और विपक्षी नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है, जिसमें वक्फ बोर्ड और किसानों के बीच विवाद के समाधान की उम्मीदें धूमिल हो रही हैं।
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