आख़िर तक – एक नज़र में
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदुत्व धरोहर पर विशिष्ट दृष्टिकोण अपनाया है।
- “धरोहर की पुनः प्राप्ति बुरी बात नहीं है,” उन्होंने सांस्कृतिक विरासत को पुनः स्थापित करने की बात कही।
- आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवादों पर संयम बरतने की वकालत की।
- सांस्कृतिक मामलों पर योगी की अलग दृष्टिकोण ने संघ परिवार में नई बहस को जन्म दिया।
- इन दृष्टिकोणों का प्रभाव भारतीय राजनीति और समाज पर गहराई तक देखा जा सकता है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
संघ और योगी का दृष्टिकोण
योगी आदित्यनाथ ने विवादित धार्मिक स्थलों को लेकर एक स्पष्ट रुख अपनाया है। 10 जनवरी को उन्होंने कहा, “धरोहर की पुनः प्राप्ति बुरी बात नहीं है” और “विवादित संरचनाओं को मस्जिद नहीं कहा जाना चाहिए।” यह बयान शाही जामा मस्जिद के विवाद पर आधारित है, जहां चार लोग हिंसक झड़प में मारे गए।
वहीं, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का मानना है कि हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजने का प्रयास सही नहीं है। उन्होंने यह बयान पिछले साल नवंबर में दिया था, जब ऐसी कई याचिकाएँ अदालतों में डाली गई थीं।
योगी का अलग मार्ग
योगी, जो गोरखनाथ मठ के प्रमुख भी हैं, का हिंदुत्व का नजरिया स्पष्ट और ठोस रहा है। उनका “बांटेंगे तो काटेंगे” का नारा हिंदू समाज में एकता का प्रतीक बना है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से 2025 के महाकुंभ में कर्नाटक के लिंगायत समुदाय को शामिल करने में सहायता मांगी।
संघ परिवार में विविध दृष्टिकोण
आरएसएस, हिंदू महासभा, और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों में मुद्दों पर मतभेद स्पष्ट हैं। हिंदू महासभा, जो योगी के गुरु महंत अवैद्यनाथ से जुड़ी है, ने ऐतिहासिक मंदिरों की पुनः प्राप्ति पर जोर दिया है।
सांस्कृतिक बहस का विस्तार
कई विशेषज्ञों का मानना है कि हजारों मंदिर, मुगल और सुल्तान काल में तोड़े गए थे। राम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण इसका स्पष्ट उदाहरण है। सुप्रीम कोर्ट के 2019 के निर्णय के बाद संघ परिवार ने मथुरा और काशी पर किसी भी आंदोलन से परहेज करने की बात की।
राजनीतिक प्रभाव
योगी आदित्यनाथ का यह दृष्टिकोण उनके राजनीतिक करियर और हिंदुत्व की नई परिभाषा को आकार देगा। वह संघ परिवार के बाहर के नेता हैं और अपनी विचारधारा के आधार पर एक अलग पहचान बना रहे हैं।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- योगी आदित्यनाथ ने हिंदुत्व धरोहर पर अलग दृष्टिकोण अपनाया है।
- “धरोहर पुनः प्राप्ति” के विचार से वे विवादों के केंद्र में हैं।
- संघ परिवार में विचारों की विविधता स्पष्ट है।
- मंदिर-मस्जिद विवाद सांस्कृतिक और राजनीतिक बहस के केंद्र में हैं।
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