आख़िर तक – एक नज़र में
- पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान पर अमेरिकी हमले को ‘बुल्सआई’ यानि अचूक निशाना बताया।
- अमेरिकी हमलों ने ईरान के फोर्डो जैसे प्रमुख ईरान परमाणु स्थल को निशाना बनाया, जिससे भारी तबाही हुई।
- यह हमला अमेरिका-ईरान तनाव में एक बड़ी वृद्धि का प्रतीक है और यह सीधे तौर पर सैन्य संघर्ष है।
- इजरायल ने अमेरिकी सैन्य कार्रवाई का स्वागत किया, जबकि रूस और चीन ने इसकी कड़ी निंदा की।
- ईरान ने जवाबी कार्रवाई की कसम खाई है, जिससे मध्य पूर्व संकट और गहरा गया है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
मध्य पूर्व में अमेरिका-ईरान तनाव अपने चरम पर पहुँच गया है। अमेरिका ने ईरान पर अमेरिकी हमला करते हुए उसके परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया है। इस हमले के बाद पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे एक बड़ी सफलता बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कहा कि ईरानी परमाणु स्थलों को “भारी नुकसान” हुआ है।
ट्रंप का ‘बुल्सआई’ वाला बयान
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने ‘ट्रुथ सोशल’ हैंडल पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, “ईरान के सभी परमाणु स्थलों को भारी नुकसान हुआ है, जैसा कि सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है।” उन्होंने कहा कि इस तबाही को “विनाश” कहना सटीक होगा। ट्रंप ने आगे लिखा कि सबसे बड़ा नुकसान जमीन के बहुत नीचे हुआ है। उन्होंने अपने पोस्ट को ‘बुल्सआई!!’ के साथ समाप्त किया। इससे उन्होंने संकेत दिया कि हमला बिल्कुल सटीक था।
हमले का पैमाना और लक्ष्य
रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी सेना ने इस हमले में छह GBU-57 मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर (MOP) बमों का इस्तेमाल किया। इन बमों को ‘बंकर बस्टर’ भी कहा जाता है। मुख्य निशाना फोर्डो परमाणु संयंत्र था। यह संयंत्र एक पहाड़ के अंदर गहराई में बना है। ट्रंप के आदेश पर यह हमला इजरायल द्वारा ईरानी हवाई रक्षा प्रणालियों पर किए गए हमलों के बाद हुआ। ट्रंप ने एक और पोस्ट में लिखा, “हमने ईरान में तीन परमाणु स्थलों पर अपना बहुत सफल हमला पूरा कर लिया है।” उन्होंने फोर्डो, नतांज और इस्फहान का नाम लिया।
अमेरिकी रक्षा सचिव की पुष्टि
अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने इस हमले को बड़ी सफलता बताया। उन्होंने पेंटागन में एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “हमने ईरानी परमाणु कार्यक्रम को तबाह कर दिया है।” उन्होंने ट्रंप के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि कार्यक्रम को “नष्ट” कर दिया गया है। यह हमला 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद ईरान पर सबसे गंभीर पश्चिमी सैन्य कार्रवाई है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
ईरान पर अमेरिकी हमले की वैश्विक प्रतिक्रिया मिली-जुली रही। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सैन्य ऑपरेशन का स्वागत किया। वहीं, रूस, चीन और सऊदी अरब जैसे देशों ने इसकी कड़ी आलोचना की है। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरानी राष्ट्रपति से बात की। उन्होंने मध्य पूर्व के हालात पर गहरी चिंता व्यक्त की। पीएम मोदी ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की।
ईरान की कड़ी चेतावनी
ईरान ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। उसने अमेरिका से बदला लेने की कसम खाई है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने अमेरिका और इजरायल को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “दुश्मन को उसकी दुस्साहसी हरकत के लिए कड़ी सजा मिलेगी।” ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने भी कहा कि अमेरिका को इसका “जवाब मिलना चाहिए।”
संयुक्त राष्ट्र से अपील
ईरान ने इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आपात बैठक बुलाने की मांग की है। ईरान चाहता है कि UNSC अमेरिकी हमले की निंदा करे। ईरान के यूएन राजदूत अमीर सईद इरावानी ने कहा कि अमेरिका और इजरायल कूटनीति को नष्ट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि परमाणु अप्रसार संधि का राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- ईरान पर अमेरिकी हमले ने फोर्डो सहित प्रमुख परमाणु ठिकानों को भारी नुकसान पहुँचाया।
- डोनाल्ड ट्रंप ने इस ऑपरेशन को ‘बुल्सआई’ और ‘विनाश’ करार देते हुए इसकी सफलता का दावा किया।
- यह घटना अमेरिका-ईरान तनाव को एक नए और खतरनाक स्तर पर ले गई है, जिससे युद्ध की आशंका बढ़ गई है।
- हमले ने दुनिया को दो गुटों में बाँट दिया है, जिसमें इजरायल ने समर्थन और रूस-चीन ने विरोध किया है।
- ईरान की जवाबी कार्रवाई की धमकी से मध्य पूर्व संकट के और गहराने और अस्थिरता फैलने की आशंका है।
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