आख़िर तक – एक नज़र में
- अमित शाह ने बिनाका गीतमाला कार्यक्रम को लेकर इंदिरा गांधी की सरकार की आलोचना की।
- उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान इस कार्यक्रम को रोक दिया गया था, क्योंकि किशोर कुमार का इंदिरा गांधी से झगड़ा था।
- इस दौरान, किशोर कुमार और लता मंगेशकर के गीतों को केवल लता मंगेशकर की आवाज में प्रसारित किया गया।
- अमित शाह ने कांग्रेस सरकार की कार्रवाईयों को भारतीय लोकतंत्र पर चोट बताया।
- शाह ने संविधान संशोधनों का जिक्र करते हुए कांग्रेस और बीजेपी के दृष्टिकोण पर टिप्पणी की।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
बिनाका गीतमाला का प्रसारण और आपातकाल
भारतीय राजनीति और संस्कृति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले बिनाका गीतमाला कार्यक्रम का जिक्र करते हुए, अमित शाह ने उस दौर की यादें ताजा की, जब 1975-77 के आपातकाल के दौरान भारतीय प्रशासन ने सख्त पाबंदियां लागू की थीं। शाह ने बताया कि वह बिनाका गीतमाला कार्यक्रम के नियमित श्रोता थे, लेकिन अचानक यह शो बंद हो गया था। बाद में उन्होंने जाना कि यह किशोर कुमार और इंदिरा गांधी के बीच हुए विवाद के कारण हुआ था, क्योंकि इंदिरा गांधी ने किशोर कुमार के गानों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
किशोर कुमार और इंदिरा गांधी का विवाद
शाह के मुताबिक, यह कदम उस समय उठाया गया था जब किशोर कुमार ने इंदिरा गांधी और उनके शासन की आलोचना की थी। इसके चलते उनके गानों को जनता के बीच प्रसारित नहीं किया गया, जिससे लोकप्रियता में भारी कमी आई। इस पाबंदी का प्रभाव बिनाका गीतमाला जैसे कार्यक्रमों पर भी पड़ा। 19 महीने तक, केवल लता मंगेशकर की आवाज में गाए गए किशोर कुमार के गाने सुने गए, जिससे देशभर में इस कदम के प्रति निराशा व्याप्त हो गई थी।
लोकतंत्र पर इंदिरा गांधी सरकार की नीतियों का प्रभाव
अमित शाह ने कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि आपातकाल के दौरान मीडिया, संस्कृति, और सार्वजनिक स्वतंत्रताओं पर भी कई तरह की बंदिशें थीं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की प्रतिबंधात्मक नीतियाँ भारतीय लोकतंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित करती थीं और यही कारण था कि 1977 में लोगों ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर दिया। शाह ने कांग्रेस द्वारा संविधान में किए गए संशोधनों का भी उल्लेख किया, जिसमें उनके मुताबिक़ नागरिकों की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति पर चोट की गई थी।
संविधान में कांग्रेस और बीजेपी के दृष्टिकोण में फर्क
आखिरकार, शाह ने संविधान संशोधनों के बारे में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने संविधान में 77 संशोधन किए, जबकि बीजेपी ने 16 वर्षों में केवल 22 संशोधन किए। कांग्रेस ने बदलावों का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक सुविधाओं के लिए किया, जबकि बीजेपी का ध्यान नागरिकों को सशक्त बनाने और शासन को सुधारने पर था।”
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- अमित शाह ने बिनाका गीतमाला कार्यक्रम और उसकी रुकावट का जिक्र किया।
- इंदिरा गांधी के खिलाफ किशोर कुमार के विवाद को लेकर गीतों पर प्रतिबंध लगाया गया।
- आपातकाल के दौरान प्रेस, मीडिया और सांस्कृतिक गतिविधियों पर कड़ी पाबंदी थी।
- शाह ने संविधान संशोधनों पर कांग्रेस और बीजेपी के दृष्टिकोण की तुलना की।
- संविधान में बदलाव करने के लिए कांग्रेस और बीजेपी के बीच एक बड़ा अंतर है।
Discover more from पाएं देश और दुनिया की ताजा खबरें
Subscribe to get the latest posts sent to your email.