भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने का मंत्र | अभी जानें!

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भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने का मंत्र | अभी जानें!

भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावशाली मंत्र – भाद्रपद में विशेष महत्व

भगवान श्री कृष्ण, जिन्हें जगतगुरु, लीलाधर, और प्रेम का सागर कहा जाता है, हिंदू धर्म में सबसे पूजनीय देवताओं में से एक हैं। उनकी लीलाएं, उपदेश और दिव्य स्वरूप करोड़ों भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। हर भक्त की यह इच्छा होती है कि वह अपने आराध्य को प्रसन्न करे और उनकी कृपा प्राप्त करे। यदि आप भी भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने का मंत्र खोज रहे हैं, तो यह लेख आपके लिए है। यहाँ हम न केवल सबसे प्रभावशाली मंत्र पर चर्चा करेंगे, बल्कि भाद्रपद मास में उनकी पूजा के विशेष महत्व को भी समझेंगे। इस मास में भगवान का पूजन करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

यह लेख आपको कृष्ण कृपा प्राप्त करने की पूरी यात्रा पर ले जाएगा। हम मंत्रों के अर्थ, उनके जाप की सही विधि, और भाद्रपद मास में की जाने वाली विशेष पूजा के बारे में विस्तार से जानेंगे।


भाद्रपद मास और श्री कृष्ण का अटूट संबंध

हिंदू पंचांग में भाद्रपद मास का विशेष आध्यात्मिक महत्व है। यह महीना भगवान विष्णु और उनके अवतारों, विशेषकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

इसी पवित्र मास में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव, यानी जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है।

इस महीने में प्रकृति अपने पूरे यौवन पर होती है। चारों ओर हरियाली होती है, और वातावरण में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, यह समय साधना, जप और तप के लिए बहुत अनुकूल होता है। माना जाता है कि भाद्रपद में की गई भक्ति और पूजा का फल कई गुना अधिक मिलता है।

भाद्रपद में कृष्ण पूजा क्यों है विशेष?

  • जन्माष्टमी का पर्व: इस महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिए, यह महीना उनके भक्तों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
  • आध्यात्मिक ऊर्जा: इस दौरान ब्रह्मांड में सात्विक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ जाता है। इस ऊर्जा के बीच मंत्र जाप और ध्यान करने से मन आसानी से एकाग्र होता है।
  • पापों का नाश: शास्त्रों के अनुसार, भाद्रपद में निष्ठापूर्वक कृष्ण पूजा करने से भक्तों के जाने-अनजाने में हुए पापों का नाश होता है।
  • मनोकामनाओं की पूर्ति: इस पवित्र महीने में की गई प्रार्थनाएं सीधे भगवान तक पहुंचती हैं। इससे भक्तों की सभी सात्विक मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इसलिए, यदि आप कृष्ण भक्ति में गहराई से उतरना चाहते हैं, तो भाद्रपद का महीना आपके लिए एक सुनहरा अवसर है।


भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावशाली मंत्र

जब भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने का मंत्र की बात आती है, तो कई मंत्रों का उल्लेख शास्त्रों में मिलता है। लेकिन एक मंत्र ऐसा है जिसे ‘महामंत्र’ की संज्ञा दी गई है। यह कलियुग में सभी दुखों, क्लेशों और पापों से मुक्ति दिलाने वाला सबसे सरल और शक्तिशाली उपाय है।

यह महामंत्र है:

हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे।हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे॥

यह सोलह शब्दों का तारक ब्रह्म मंत्र है। इसे ‘हरे कृष्ण महामंत्र’ के नाम से जाना जाता है। चैतन्य महाप्रभु ने इस मंत्र को जन-जन तक पहुंचाया और इसके महत्व पर विशेष बल दिया। उनका कहना था कि कलियुग में मोक्ष प्राप्ति के लिए इस महामंत्र के जाप से बढ़कर कोई दूसरा साधन नहीं है।

हरे कृष्ण महामंत्र का अर्थ

इस मंत्र का अर्थ बहुत गहरा और सरल है। यह सीधे भगवान और उनकी शक्ति से जुड़ने का आह्वान है।

  • हरे: ‘हरा’ शब्द भगवान की शक्ति, यानी राधारानी का संबोधन है। यह उनकी आह्लादिनी शक्ति का प्रतीक है, जो हमें सांसारिक दुखों से हर लेती हैं। जब हम ‘हरे’ कहते हैं, तो हम माँ राधा से प्रार्थना करते हैं कि वे हमें भगवान की भक्ति में लगाएं।
  • कृष्ण: यह नाम भगवान के सर्व-आकर्षक स्वरूप का प्रतीक है। ‘कृष्ण’ का अर्थ है ‘जो सबको अपनी ओर आकर्षित करे’। वे आनंद, प्रेम और सौंदर्य के सागर हैं।
  • राम: इस शब्द के दो अर्थ प्रचलित हैं। एक, भगवान विष्णु के सातवें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम। दूसरा, ‘रमण’ करने वाले, यानी जो आनंद प्रदान करते हैं। यहाँ ‘राम’ का अर्थ श्री कृष्ण के ही एक रूप बलराम या आनंद प्रदान करने वाले परब्रह्म से है।

संक्षेप में, इस मंत्र के द्वारा भक्त भगवान की शक्ति (राधा) से प्रार्थना करता है कि उसे भगवान (कृष्ण और राम) की सेवा में लगाकर इस भवसागर से पार करें।

महामंत्र के जाप की सही विधि

मंत्र की शक्ति तभी पूरी तरह से प्रकट होती है, जब उसका जाप सही विधि और श्रद्धा के साथ किया जाए।

  1. समय: मंत्र जाप के लिए सबसे उत्तम समय ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) माना जाता है। इस समय वातावरण शांत और सात्विक होता है। यदि यह संभव न हो, तो आप सुबह या शाम को पूजा के समय भी जाप कर सकते हैं।
  2. स्थान: एक शांत और स्वच्छ स्थान चुनें। अपने घर में पूजा स्थल पर बैठकर जाप करना सबसे अच्छा है।
  3. आसन: कुश या ऊन के आसन पर बैठें। रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और पालथी मारकर आराम से बैठें।
  4. माला: तुलसी की माला पर इस मंत्र का जाप करना सर्वोत्तम माना गया है। तुलसी भगवान विष्णु और कृष्ण को अत्यंत प्रिय है। एक माला में 108 मनके होते हैं।
  5. जाप की प्रक्रिया:
    • सबसे पहले, भगवान कृष्ण और राधा रानी का ध्यान करें।
    • अपने गुरु और इष्ट देव को प्रणाम करें।
    • माला को दाहिने हाथ में लें। तर्जनी (Index Finger) का प्रयोग माला पर न करें। मध्यमा (Middle Finger) और अंगूठे (Thumb) से मनके को आगे बढ़ाएं।
    • प्रत्येक मनके पर एक बार पूरा महामंत्र बोलें।
    • माला के सुमेरु (सबसे ऊपर का बड़ा मनका) को न लांघें। एक माला पूरी होने पर माला को घुमाकर वापस जाप शुरू करें।
  6. नियमितता: प्रतिदिन कम से कम एक माला जाप करने का संकल्प लें। धीरे-धीरे आप इसकी संख्या बढ़ा सकते हैं। नियमितता बहुत महत्वपूर्ण है।

श्री कृष्ण के अन्य शक्तिशाली और सिद्ध मंत्र

हरे कृष्ण महामंत्र के अलावा भी कई ऐसे प्रभावशाली मंत्र हैं, जिनका जाप करके आप भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। ये मंत्र अलग-अलग कामनाओं की पूर्ति के लिए हैं।

1. द्वादशाक्षर मंत्र (मूल मंत्र)

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

यह भगवान विष्णु और कृष्ण का द्वादशाक्षर (12 अक्षरों वाला) मूल मंत्र है। इसे शांति, समृद्धि, और मोक्ष प्राप्ति के लिए जपा जाता है।

  • अर्थ: “मैं भगवान वासुदेव (कृष्ण) को नमन करता हूँ।”
  • लाभ: इस मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है, जीवन में सकारात्मकता आती है, और सभी प्रकार के भय दूर होते हैं। यह धन-धान्य और सौभाग्य की वृद्धि करता है।

2. कृष्ण बीज मंत्र

क्लीं कृष्णाय नमः

यह भगवान कृष्ण का बीज मंत्र है। बीज मंत्रों में अपार शक्ति छिपी होती है। ‘क्लीं’ एक शक्तिशाली आकर्षण बीज है।

  • अर्थ: “आकर्षण के केंद्र भगवान कृष्ण को मेरा नमस्कार है।”
  • लाभ: यह मंत्र विशेष रूप से आकर्षण शक्ति, प्रेम संबंधों में सफलता, और भौतिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए जपा जाता है। इसका जाप आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है।

3. सप्तदशाक्षर कृष्ण मंत्र

श्री कृष्ण: शरणं मम

यह आठ अक्षरों का सरल और बहुत प्रभावी मंत्र है। इसका अर्थ है “भगवान श्री कृष्ण ही मेरी शरण हैं।”

  • अर्थ: “मैं भगवान श्री कृष्ण की शरण में हूँ।”
  • लाभ: जब कोई भक्त पूरी तरह से भगवान को समर्पित हो जाता है, तो भगवान उसकी पूरी जिम्मेदारी ले लेते हैं। यह मंत्र समर्पण भाव को बढ़ाता है और जीवन की सभी कठिनाइयों से रक्षा करता है।

4. गोपाल-गोपाल मंत्र

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्रीं

यह 23 अक्षरों वाला एक शक्तिशाली मंत्र है, जो सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला माना जाता है।

  • अर्थ: इस मंत्र में लक्ष्मी (श्रीं), माया (ह्रीं) और काम (क्लीं) बीज के साथ भगवान कृष्ण के विभिन्न नामों का आह्वान किया गया है।
  • लाभ: यह मंत्र धन, वैभव, आकर्षण, और सामाजिक प्रतिष्ठा प्रदान करता है। इसका नियमित जाप साधक की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करता है।

5. संतान प्राप्ति के लिए गोपाल मंत्र

ॐ देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः॥

जिन दंपतियों को संतान प्राप्ति में बाधा आ रही हो, उनके लिए यह मंत्र किसी वरदान से कम नहीं है।

  • अर्थ: “हे देवकी के पुत्र, हे गोविंद, वासुदेव, जगत के स्वामी! मुझे पुत्र प्रदान करें, मैं आपकी शरण में आया हूँ।”
  • लाभ: इस मंत्र का पति-पत्नी द्वारा श्रद्धापूर्वक जाप करने से शीघ्र ही योग्य और स्वस्थ संतान की प्राप्ति होती है।

भाद्रपद में श्री कृष्ण की विशेष पूजा विधि

भाद्रपद मास, विशेषकर जन्माष्टमी के दिन, भगवान कृष्ण की पूजा एक विशेष विधि से की जाती है। इससे साधक को अधिकतम फल मिलता है।

पूजा की तैयारी

  1. व्रत का संकल्प: जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करके हाथ में जल, पुष्प और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प करें।
  2. पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।
  3. झांकी सजाना: एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाएं। भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप (लड्डू गोपाल) की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। सुंदर झांकी सजाएं।
  4. पूजा सामग्री: पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर), गंगाजल, नए वस्त्र, आभूषण, मोर पंख, बांसुरी, चंदन, रोली, अक्षत, पुष्प, तुलसी दल, और भोग के लिए माखन-मिश्री व अन्य फल-मिठाइयां तैयार रखें।

मध्यरात्रि पूजा विधि (जन्माष्टमी)

भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था, इसलिए मुख्य पूजा रात 12 बजे की जाती है।

  • अभिषेक: सबसे पहले, लड्डू गोपाल को एक बड़े पात्र में रखकर पंचामृत से स्नान कराएं। स्नान कराते समय “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करते रहें।
  • शुद्ध जल से स्नान: पंचामृत स्नान के बाद, उन्हें गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
  • वस्त्र और श्रृंगार: भगवान को एक मुलायम कपड़े से पोंछकर नए पीले वस्त्र पहनाएं। उनका सुंदर श्रृंगार करें – मुकुट, माला, कंगन, और मोर पंख लगाएं।
  • चंदन और तिलक: उनके मस्तक पर चंदन का तिलक लगाएं।
  • पुष्प और तुलसी: उन्हें सुगंधित पुष्प, विशेषकर वैजयंती माला और तुलसी दल अर्पित करें। ध्यान रहे कि तुलसी दल के बिना कृष्ण पूजा अधूरी मानी जाती है।
  • धूप और दीप: भगवान के समक्ष धूप और घी का दीपक जलाएं।
  • भोग: अब उन्हें माखन-मिश्री, पंजीरी, और अन्य सात्विक व्यंजनों का भोग लगाएं। भोग में तुलसी दल अवश्य रखें।
  • आरती: पूरे परिवार के साथ मिलकर कपूर जलाकर भगवान कृष्ण की आरती गाएं। (“आरती कुंजबिहारी की…”)
  • प्रार्थना और क्षमा याचना: अंत में हाथ जोड़कर भगवान से अपनी मनोकामनाओं के लिए प्रार्थना करें और पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा याचना करें।

यह पूजा विधि आप भाद्रपद के अन्य दिनों में भी अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं। मुख्य भाव श्रद्धा और प्रेम का होना चाहिए।


भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के अन्य सरल उपाय

मंत्र जाप और पूजा के अलावा भी कुछ ऐसे कार्य हैं, जिन्हें अपने दैनिक जीवन में अपनाकर आप कान्हा की कृपा सहज ही पा सकते हैं।

  • श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ: गीता भगवान कृष्ण का साक्षात् वाणी स्वरूप है। प्रतिदिन गीता के एक अध्याय या कुछ श्लोकों का पाठ करने से जीवन को सही दिशा मिलती है।
  • भागवत कथा का श्रवण: श्रीमद्भागवत महापुराण में भगवान कृष्ण की लीलाओं का विस्तृत वर्णन है। इसका पाठ करने या सुनने से कृष्ण प्रेम जागृत होता है।
  • तुलसी की सेवा: अपने घर में तुलसी का पौधा लगाएं और प्रतिदिन उसकी सेवा करें। शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं।
  • गौ सेवा: भगवान कृष्ण को गायें अत्यंत प्रिय थीं। वे ‘गोपाल’ कहलाए। यथासंभव गौशाला में दान दें या गाय को हरा चारा खिलाएं।
  • सादगी और सत्य: भगवान को आडंबर नहीं, बल्कि सरल और सच्चा हृदय प्रिय है। अपने जीवन में सत्य और ईमानदारी का पालन करें।
  • प्रेम का भाव: सभी जीवों से प्रेम करें। कृष्ण का एक नाम ‘सर्वभूतात्मभूतात्मा’ है, अर्थात वे सभी प्राणियों की आत्मा में बसते हैं। दूसरों की मदद करना भी कृष्ण की ही सेवा है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: भगवान कृष्ण का सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन सा है?
उत्तर: शास्त्रों और संतों के अनुसार, “हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे॥” महामंत्र कलियुग में सबसे सरल और शक्तिशाली मंत्र माना गया है।

प्रश्न 2: कृष्ण मंत्र का जाप दिन में कितनी बार करना चाहिए?
उत्तर: शुरुआत में, आप प्रतिदिन तुलसी की माला पर कम से कम एक माला (108 बार) जाप कर सकते हैं। धीरे-धीरे अपनी श्रद्धा और समय के अनुसार इसे 5, 11, या 16 माला तक बढ़ा सकते हैं। नियमितता अधिक महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 3: क्या महिलाएं मासिक धर्म के दौरान कृष्ण मंत्र का जाप कर सकती हैं?
उत्तर: हाँ, बिल्कुल। मानसिक जाप (मन ही मन में) करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। आप बिना माला के या डिजिटल काउंटर का उपयोग करके मंत्र जाप कर सकती हैं। हालांकि, इस दौरान मूर्ति स्पर्श और पूजा सामग्री को छूने से बचना चाहिए।

प्रश्न 4: कृष्ण पूजा के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है?
उत्तर: कृष्ण पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसके अलावा, आप अपनी सुविधानुसार सुबह या शाम को भी पूजा कर सकते हैं। जन्माष्टमी पर मध्यरात्रि 12 बजे पूजा का विशेष विधान है।

प्रश्न 5: भगवान कृष्ण को भोग में क्या चढ़ाना चाहिए?
उत्तर: भगवान कृष्ण को सात्विक चीजें बहुत पसंद हैं। माखन-मिश्री उनका सबसे प्रिय भोग है। इसके अलावा, आप उन्हें दूध, दही, पेड़ा, फल, पंजीरी और घर में बने शुद्ध शाकाहारी भोजन का भोग लगा सकते हैं। भोग में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें।


निष्कर्ष: भक्ति ही है सर्वोत्तम मार्ग

इस विस्तृत चर्चा के बाद, यह स्पष्ट है कि भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने का मंत्र केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि भक्ति, श्रद्धा और प्रेम की एक अभिव्यक्ति है। हरे कृष्ण महामंत्र हो या कोई अन्य सिद्ध मंत्र, उसकी शक्ति तभी प्रकट होती है जब आपका हृदय शुद्ध हो और आपका भाव सच्चा हो।

भाद्रपद का यह पवित्र महीना हमें भगवान के और करीब आने का एक अनमोल अवसर प्रदान करता है। इस समय का सदुपयोग करें। नियमित रूप से मंत्र जाप करें, पूजा-अर्चना करें, और अपने जीवन में कृष्ण के दिए उपदेशों को उतारें। जब आप सच्चे हृदय से उन्हें पुकारेंगे, तो वे आपकी प्रार्थना अवश्य सुनेंगे।

याद रखें, कृष्ण को धन-दौलत या महंगे चढ़ावे से नहीं, बल्कि एक भक्त के निर्मल प्रेम और समर्पण से प्रसन्न किया जा सकता है।

तो, आप भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए कौन सा मंत्र जपते हैं? नीचे टिप्पणी में हमारे साथ अपने विचार साझा करें। इस ज्ञानवर्धक लेख को अपने मित्रों और परिवार के साथ भी साझा करें ताकि वे भी कृष्ण कृपा का लाभ उठा सकें। हरे कृष्ण!


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1 टिप्पणी
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