भारत के 7 अजूबे: ये नाम हर भारतीय को पता होने चाहिए

Logo (144 x 144)
16 Min Read
भारत के 7 अजूबे: ये नाम हर भारतीय को पता होने चाहिए

भारत के 7 अजूबे: एक अविश्वसनीय यात्रा जो हर भारतीय को करनी चाहिए

भारत, एक ऐसी भूमि है जहाँ हर कोने में इतिहास और संस्कृति की कहानियां बिखरी पड़ी हैं। यहाँ की भव्य वास्तुकला, प्राचीन मंदिर और ऐतिहासिक स्मारक आज भी अपने गौरवशाली अतीत की गवाही देते हैं। जब भी दुनिया के अजूबों की बात होती है, तो ताजमहल का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत की धरती पर ऐसे और भी कई अद्भुत निर्माण हैं जो किसी अजूबे से कम नहीं? आज हम आपको भारत के 7 अजूबे की एक अविश्वसनीय यात्रा पर ले जाएंगे। यह सिर्फ एक सूची नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध विरासत और अद्भुत कला का एक उत्सव है।

ये वो स्थान हैं जिनके बारे में हर भारतीय को न केवल पता होना चाहिए, बल्कि उन पर गर्व भी महसूस करना चाहिए। 2007 में एक प्रसिद्ध मीडिया हाउस और भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने एक राष्ट्रव्यापी मतदान के माध्यम से इन सात अजूबों का चयन किया था। यह सूची भारत की विविधता को दर्शाती है, जिसमें प्रेम का प्रतीक, आध्यात्मिकता का केंद्र, ज्ञान का मंदिर और वीरता की कहानी शामिल है। तो चलिए, अपनी कुर्सी की पेटी बांध लीजिए और भारत के इन वास्तुशिल्प चमत्कारों को करीब से जानने के लिए तैयार हो जाइए।

ये हैं भारत के 7 अजूबे: एक आधिकारिक सूची

यह सूची ताजमहल से आगे बढ़कर देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित उन अनमोल रत्नों पर प्रकाश डालती है, जो अपनी कला और इतिहास के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं।

  1. ताजमहल, आगरा
  2. स्वर्ण मंदिर, अमृतसर
  3. कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा
  4. खजुराहो मंदिर समूह, मध्य प्रदेश
  5. नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर, बिहार
  6. हम्पी के स्मारक, कर्नाटक
  7. गोमतेश्वर (बाहुबली) प्रतिमा, कर्नाटक

अब, आइए इनमें से प्रत्येक अजूबे के इतिहास, वास्तुकला और रोचक तथ्यों में गहराई से उतरें।


1. ताजमहल, आगरा: प्रेम का शाश्वत प्रतीक

यह शायद भारत का सबसे प्रसिद्ध स्मारक है, जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। यमुना नदी के तट पर स्थित यह सफेद संगमरमर का मकबरा दुनिया भर में प्रेम का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है।

इतिहास

मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी प्रिय पत्नी मुमताज महल की याद में ताजमहल का निर्माण करवाया था। 1631 में मुमताज की मृत्यु के बाद, शाहजहाँ ने उनकी याद में एक ऐसा मकबरा बनाने का फैसला किया जो दुनिया में अद्वितीय हो। इसका निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ और लगभग 22 वर्षों तक चला, जिसे 1653 में पूरा किया गया।

वास्तुकला और विशेषताएँ

  • सामग्री: ताजमहल पूरी तरह से मकराना के सफेद संगमरमर से बना है।
  • समरूपता (Symmetry): इसकी वास्तुकला का सबसे आकर्षक पहलू इसकी पूर्ण समरूपता है। मकबरे के चारों कोनों पर चार मीनारें हैं, जो थोड़ी बाहर की ओर झुकी हुई हैं ताकि भूकंप की स्थिति में ये मुख्य गुंबद पर न गिरें।
  • पिएत्रा ड्यूरा (Pietra Dura): दीवारों पर की गई फूलों की नक्काशी और कीमती पत्थरों की जड़ाई को ‘पिएत्रा ड्यूरा’ कहा जाता है। इसमें जैस्पर, जेड और लैपिस लज़ूली जैसे दर्जनों रत्नों का इस्तेमाल किया गया है।
  • रंग बदलना: ताजमहल दिन के अलग-अलग समय में अपना रंग बदलता है। सुबह यह गुलाबी, दिन में दूधिया सफेद और चाँदनी रात में सुनहरा दिखाई देता है।

रोचक तथ्य

  • इसके निर्माण में 20,000 से अधिक कारीगरों और मजदूरों ने काम किया था।
  • इसे 1983 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था।
  • यह दुनिया के नए सात अजूबों में भी शामिल है।

2. स्वर्ण मंदिर (श्री हरमंदिर साहिब), अमृतसर: आध्यात्मिकता का सरोवर

श्री हरमंदिर साहिब, जिसे स्वर्ण मंदिर के नाम से जाना जाता है, सिख धर्म का सबसे पवित्र गुरुद्वारा है। यह सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि शांति, समानता और मानवता की सेवा का एक जीवंत केंद्र है।

इतिहास

चौथे सिख गुरु, गुरु राम दास ने इस पवित्र सरोवर (तालाब) की खुदाई करवाई थी, जिसे ‘अमृत सरोवर’ कहा जाता है। पांचवें सिख गुरु, गुरु अर्जन देव ने हरमंदिर साहिब की वास्तुकला को डिजाइन किया और 1589 में इसकी नींव रखवाई। इसकी नींव सूफी संत मियां मीर द्वारा रखी गई थी, जो धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है।

वास्तुकला और विशेषताएँ

  • सोने की परत: 19वीं शताब्दी में महाराजा रणजीत सिंह ने गुरुद्वारे के ऊपरी मंजिलों पर सोने की परत चढ़वाई, जिसके कारण इसका नाम ‘स्वर्ण मंदिर’ पड़ा।
  • चार प्रवेश द्वार: गुरुद्वारे के चारों दिशाओं में चार प्रवेश द्वार हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि यह स्थान सभी धर्मों और जातियों के लोगों के लिए खुला है।
  • अमृत सरोवर: मुख्य मंदिर एक विशाल सरोवर के बीच में स्थित है, जिसका पानी पवित्र माना जाता है।

रोचक तथ्य

  • यहां दुनिया का सबसे बड़ा लंगर (मुफ्त सामुदायिक रसोई) चलता है।
  • यहां जाति, धर्म या लिंग के भेदभाव के बिना हर दिन लगभग 1,00,000 लोगों को मुफ्त भोजन कराया जाता है।
  • यह पूरा लंगर स्वयंसेवकों (सेवादारों) द्वारा चलाया जाता है।

3. कोणार्क सूर्य मंदिर, ओडिशा: पत्थर में लिखी कविता

ओडिशा के पुरी जिले में स्थित कोणार्क का सूर्य मंदिर वास्तुकला का एक ऐसा चमत्कार है, जिसे देखकर कोई भी हैरान रह जाए। यह मंदिर सूर्य देव को समर्पित है और इसे ‘ब्लैक पैगोडा’ के नाम से भी जाना जाता है।

इतिहास

इसका निर्माण 13वीं शताब्दी में पूर्वी गंगा राजवंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम ने करवाया था। इस मंदिर को बनाने में 12 साल लगे और इसमें 1200 कारीगरों ने काम किया।

वास्तुकला और विशेषताएँ

  • रथ का आकार: पूरे मंदिर को सूर्य देव के एक विशाल रथ के रूप में डिजाइन किया गया है।
  • चक्के: इस रथ में पत्थर के 24 विशाल पहिए हैं, जो 12 महीनों (या दिन के 24 घंटों) का प्रतीक हैं। इन पहियों की तीलियाँ धूप घड़ी का काम करती हैं और समय बताती हैं।
  • घोड़े: रथ को खींचने के लिए सामने की ओर 7 शक्तिशाली घोड़े बनाए गए हैं, जो सप्ताह के सात दिनों का प्रतीक हैं।
  • नक्काशी: मंदिर की दीवारों पर की गई पत्थर की नक्काशी अविश्वसनीय रूप से विस्तृत और जीवंत है, जिसमें देवताओं, नर्तकियों और पौराणिक कथाओं के दृश्य दिखाए गए हैं।

रोचक तथ्य

  • यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल है।
  • कहा जाता है कि मंदिर के शिखर पर एक विशाल चुंबक रखा गया था, जो समुद्र से गुजरने वाले जहाजों को अपनी ओर खींच लेता था। हालांकि, इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है।

4. खजुराहो मंदिर समूह, मध्य प्रदेश: मूर्तिकला का अद्भुत संगम

खजुराहो अपने मध्ययुगीन हिंदू और जैन मंदिरों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। ये मंदिर अपनी नागर-शैली की वास्तुकला और कामुक मूर्तियों के लिए जाने जाते हैं, जो जीवन, प्रेम और उत्सव का जश्न मनाती हैं।

इतिहास

इन मंदिरों का निर्माण 950 ईस्वी से 1050 ईस्वी के बीच चंदेल राजवंश के शासकों द्वारा किया गया था। माना जाता है कि यहां कुल 85 मंदिर थे, जिनमें से अब केवल 25 ही बचे हैं।

वास्तुकला और विशेषताएँ

  • जटिल नक्काशी: मंदिरों की बाहरी और भीतरी दीवारों पर की गई नक्काशी अद्भुत है। इसमें देवताओं, योद्धाओं, संगीतकारों और पौराणिक प्राणियों को दर्शाया गया है।
  • कामुक मूर्तियां: खजुराहो अपनी कामुक मूर्तियों के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है। ये मूर्तियां कुल मूर्तिकला का केवल 10% हिस्सा हैं और उस समय के तांत्रिक दर्शन और जीवन के प्रति खुले दृष्टिकोण को दर्शाती हैं।
  • निर्माण शैली: ये मंदिर बिना किसी सीमेंट या गारे के बनाए गए हैं। पत्थरों को इंटरलॉकिंग विधि से जोड़ा गया है।

रोचक तथ्य

  • खजुराहो के मंदिरों को भी यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया है।
  • यह दुनिया से लगभग 700 वर्षों तक गुमनाम रहा, जब तक कि 1838 में एक ब्रिटिश इंजीनियर टी.एस. बर्ट ने इसे फिर से खोज नहीं लिया।

5. नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहर, बिहार: ज्ञान का प्राचीन केंद्र

नालंदा सिर्फ एक अजूबा नहीं, बल्कि प्राचीन भारत की बौद्धिक शक्ति का प्रतीक है। यह दुनिया के पहले आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक था, जहाँ दुनिया भर से छात्र ज्ञान प्राप्त करने आते थे। भारत के 7 अजूबे की सूची में इसका होना ज्ञान के प्रति भारत के सम्मान को दर्शाता है।

इतिहास

नालंदा की स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त प्रथम ने की थी। यह लगभग 800 वर्षों तक शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र बना रहा। यहां कोरिया, जापान, चीन, तिब्बत और फारस से 10,000 से अधिक छात्र और 2,000 शिक्षक रहते थे।

वास्तुकला और विशेषताएँ

  • विशाल परिसर: इसके खंडहर एक विशाल क्षेत्र में फैले हुए हैं, जिसमें मठ, विहार, मंदिर और कक्षाएं शामिल हैं।
  • पुस्तकालय: नालंदा का पुस्तकालय ‘धर्मगंज’ कहलाता था और यह तीन बहुमंजिला इमारतों में स्थित था। कहा जाता है कि इसमें 90 लाख से अधिक पांडुलिपियां थीं।
  • नियोजित निर्माण: लाल ईंटों से बना यह परिसर एक सुनियोजित योजना का बेहतरीन उदाहरण है।

रोचक तथ्य

  • 12वीं शताब्दी में तुर्की आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने नालंदा में आग लगा दी थी। कहा जाता है कि इसका पुस्तकालय तीन महीने तक जलता रहा।
  • प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने 7वीं शताब्दी में यहां अध्ययन और अध्यापन किया था।
  • इसे 2016 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।

6. हम्पी के स्मारक, कर्नाटक: एक साम्राज्य के खंडहर

तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित हम्पी, शक्तिशाली विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी। आज इसके खंडहर एक विशाल ओपन-एयर संग्रहालय की तरह हैं, जो अपने समय की समृद्धि और कला की कहानी सुनाते हैं।

इतिहास

हम्पी 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच विजयनगर साम्राज्य का केंद्र था। यह उस समय दुनिया के सबसे धनी शहरों में से एक था। 1565 में दक्कन सल्तनतों के साथ हुई लड़ाई के बाद इस शहर को नष्ट कर दिया गया था।

वास्तुकला और विशेषताएँ

  • विरुपाक्ष मंदिर: यह हम्पी के सबसे पुराने और मुख्य मंदिरों में से एक है, जो आज भी सक्रिय है।
  • विट्ठल मंदिर: यह मंदिर अपनी अद्भुत कला के लिए प्रसिद्ध है, विशेष रूप से इसके पत्थर के रथ और संगीतमय स्तंभों (Musical Pillars) के लिए, जिन्हें थपथपाने पर संगीत की ध्वनि निकलती है।
  • विशाल परिसर: हम्पी 4,100 हेक्टेयर में फैला हुआ है और इसमें 1,600 से अधिक जीवित अवशेष हैं, जिनमें किले, मंदिर, बाजार और मंडप शामिल हैं।

रोचक तथ्य

  • हम्पी भी एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।
  • रामायण में वर्णित किष्किन्धा, जहाँ हनुमान जी का जन्म हुआ था, इसी क्षेत्र में माना जाता है।

7. गोमतेश्वर (बाहुबली) प्रतिमा, कर्नाटक: शांति और त्याग की मूर्ति

कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में विंध्यगिरि पहाड़ी पर स्थित भगवान बाहुबली की यह विशाल प्रतिमा जैन धर्म के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यह शांति, त्याग और अहिंसा का प्रतीक है।

इतिहास

इस प्रतिमा का निर्माण 10वीं शताब्दी (लगभग 983 ईस्वी) में गंगा राजवंश के मंत्री और सेनापति चावुंडराय ने करवाया था। भगवान बाहुबली प्रथम जैन तीर्थंकर, भगवान ऋषभनाथ के पुत्र थे।

वास्तुकला और विशेषताएँ

  • एकल पत्थर से निर्मित: यह 57 फीट ऊंची प्रतिमा दुनिया की सबसे बड़ी अखंड (Monolithic) मूर्तियों में से एक है। इसे एक ही ग्रेनाइट चट्टान से तराश कर बनाया गया है।
  • शांत भाव: प्रतिमा के चेहरे पर एक शांत और ध्यानमग्न मुस्कान है, जो आंतरिक शांति को दर्शाती है।
  • प्रकृति का आलिंगन: प्रतिमा के पैरों और हाथों के चारों ओर बेलें लिपटी हुई हैं, जो उनके लंबे समय तक ध्यान में खड़े रहने का प्रतीक हैं।

रोचक तथ्य

  • हर 12 साल में यहां ‘महामस्तकाभिषेक’ नामक एक भव्य उत्सव होता है।
  • इस उत्सव में प्रतिमा का दूध, केसर, घी और चंदन जैसी पवित्र वस्तुओं से अभिषेक किया जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

प्रश्न 1: भारत के इन 7 अजूबों को किसने चुना?
उत्तर: इन 7 अजूबों का चयन 2007 में एक राष्ट्रव्यापी SMS और ऑनलाइन मतदान के माध्यम से किया गया था। इस अभियान का आयोजन एक प्रमुख भारतीय समाचार चैनल (NDTV) ने भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से किया था।

प्रश्न 2: क्या ताजमहल दुनिया के अजूबों में भी शामिल है?
उत्तर: हाँ, ताजमहल भारत के 7 अजूबों के अलावा, 2007 में घोषित किए गए “दुनिया के नए सात अजूबों” की सूची में भी शामिल है।

प्रश्न 3: क्या भारत में 8वां अजूबा भी है?
उत्तर: आधिकारिक तौर पर “भारत के 7 अजूबे” ही घोषित किए गए हैं। हालांकि, भारत में कई अन्य स्मारक हैं जो अजूबे कहलाने के योग्य हैं, जैसे एलोरा की गुफाएं, मीनाक्षी मंदिर या स्टैच्यू ऑफ यूनिटी।

प्रश्न 4: इन 7 अजूबों में से कितने यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं?
उत्तर: इन 7 में से 5 अजूबे (ताजमहल, कोणार्क सूर्य मंदिर, खजुराहो, हम्पी और नालंदा) यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल हैं।

निष्कर्ष: हमारी विरासत, हमारा गौरव

भारत के 7 अजूबे सिर्फ पत्थर और गारे की संरचनाएं नहीं हैं; वे हमारे इतिहास, हमारी संस्कृति, हमारी कला और हमारे पूर्वजों के ज्ञान का जीवंत प्रमाण हैं। ये स्थान हमें याद दिलाते हैं कि भारत हमेशा से एक समृद्ध और प्रतिभाशाली देश रहा है। यह हर भारतीय का कर्तव्य है कि वह इन धरोहरों के बारे में जाने, इन पर गर्व करे और इन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करने में अपना योगदान दे।

अगली बार जब आप छुट्टियों की योजना बनाएं, तो इन स्थानों में से किसी एक की यात्रा पर विचार जरूर करें। यह केवल एक यात्रा नहीं होगी, बल्कि अपने देश की आत्मा से जुड़ने का एक अवसर होगा।


अब आपकी बारी!
इनमें से आपका पसंदीदा अजूबा कौन सा है? क्या आपने इनमें से किसी स्थान की यात्रा की है? अपना अनुभव नीचे कमेंट्स में साझा करें। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई, तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करना न भूलें


Discover more from आख़िर तक

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Share This Article
कोई टिप्पणी नहीं

Leave a Reply

9 रहस्यमय वैज्ञानिक तथ्य जो आपको हैरान कर देंगे भारत की 10 बेहतरीन मानसून डेस्टिनेशन