बिहार विधानसभा चुनाव 2025: गहन राजनीतिक विश्लेषण

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: गहन राजनीतिक विश्लेषण

आख़िर तक – एक नज़र में

  • बिहार विधानसभा चुनाव की उलझन: 2025 में बिहार में NDA और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला।
  • नीतीश कुमार का प्रभाव: अनुभवी मुख्यमंत्री की साख दाँव पर, गठबंधन की एकता चुनौती।
  • तेजस्वी का युवा जोश: RJD के तेजस्वी यादव युवाओं और रोजगार पर केंद्रित अभियान।
  • प्राशांत किशोर की एंट्री: जन सुराज पार्टी नया विकल्प, जाति-मुक्त राजनीति की कोशिश।
  • जाति और विकास का मिश्रण: मतदाता विकास, रोजगार और जातिगत समीकरणों पर ध्यान दे रहे हैं।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: पृष्ठभूमि और महत्व

बिहार विधानसभा चुनाव 2025, जो अक्टूबर या नवंबर में होने की संभावना है, भारत के सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक राज्यों में से एक, बिहार के भविष्य को निर्धारित करेगा। 243 सीटों वाली विधानसभा के लिए यह चुनाव राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन (MGB) के बीच एक कड़ा मुकाबला होगा। बिहार की 13 करोड़ आबादी और लगभग 8 करोड़ मतदाता इसे राष्ट्रीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण बनाते हैं। 2020 के चुनाव में NDA ने 43.17% वोट शेयर के साथ 125 सीटें जीती थीं, जबकि MGB को 38.75% वोट शेयर के साथ 110 सीटें मिली थीं। 2025 का चुनाव न केवल बिहार की सरकार, बल्कि 2029 के लोकसभा चुनाव के लिए भी मंच तैयार करेगा।

नीतीश कुमार और NDA की रणनीति

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो जनता दल (यूनाइटेड) (JD(U)) के नेता हैं, लगभग दो दशकों से बिहार की राजनीति में प्रमुख चेहरा रहे हैं। उनकी छवि विकास पुरुष के रूप में रही है, विशेष रूप से सड़क, बिजली और कानून-व्यवस्था में सुधार के लिए। हालाँकि, उनकी बार-बार गठबंधन बदलने की रणनीति—2015 में RJD के साथ, 2017 में BJP के साथ, 2022 में MGB के साथ, और 2024 में फिर NDA के साथ—ने उनकी विश्वसनीयता को प्रभावित किया है। 2020 में JD(U) की सीटें 115 (2010) से घटकर 43 हो गईं, जबकि BJP ने 74 सीटें जीतीं। NDA की रणनीति में नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता, नीतीश की प्रशासनिक साख, और सामाजिक कल्याण योजनाएँ, जैसे 125 यूनिट मुफ्त बिजली और 35% महिलाओं के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण, शामिल हैं। BJP ने गैर-यादव OBC, EBC (36% मतदाता), और दलित समुदायों को आकर्षित करने के लिए रणनीति बनाई है। चिराग पासवान (लोक जनशक्ति पार्टी) और जीतन राम मांझी (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) जैसे सहयोगी दलित वोटों को मजबूत करते हैं। हालाँकि, JD(U) और BJP के बीच नेतृत्व पर तनाव है, क्योंकि BJP के कुछ नेता नीतीश के बजाय अपने मुख्यमंत्री को चाहते हैं।

तेजस्वी यादव और महागठबंधन की चुनौती

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं, जिसमें कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं। तेजस्वी ने युवा मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए रोजगार, सामाजिक न्याय, और आर्थिक विकास पर जोर दिया है। 2023 के जाति सर्वेक्षण के अनुसार, EBC 36%, यादव 14%, और मुस्लिम 17% मतदाता हैं। RJD की MY-BAAP (मुस्लिम, यादव, बहुजन, अगड़ा, आधी आबादी, गरीब) रणनीति गैर-यादव OBC और महिलाओं को लक्षित करती है। 2024 के लोकसभा चुनाव में RJD ने 4, कांग्रेस ने 3, और CPI(ML) ने 2 सीटें जीतीं, लेकिन MY-BAAP रणनीति को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। RJD की चुनौतियों में “जंगल राज” की नकारात्मक छवि और पुराना प्रतीक “लालटेन” शामिल है। तेजस्वी ने 56 वैश्य उप-जातियों और मल्लाह समुदाय (VIP पार्टी के साथ) का समर्थन हासिल करने की कोशिश की है।

प्राशांत किशोर और जन सुराज की भूमिका

चुनावी रणनीतिकार से राजनेता बने प्राशांत किशोर की जन सुराज पार्टी 2025 में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। यह पार्टी जाति-मुक्त राजनीति और विकास-केंद्रित एजेंडे को बढ़ावा देती है। शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में इसका प्रभाव हो सकता है, जहाँ BJP का दबदबा है। विश्लेषकों का मानना है कि अगर जन सुराज को 6-10% वोट मिले, तो यह BJP की सीटों को 30-50 तक सीमित कर सकता है। हालाँकि, प्राशांत किशोर की पार्टी को अभी संगठनात्मक ढाँचा और व्यापक जनाधार बनाने की चुनौती है।

मतदाता सूची विवाद और चुनावी प्रक्रिया

चुनाव आयोग ने 2025 के लिए विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन (SIR) शुरू किया, जिसे RJD और कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों, दलितों, और विपक्षी मतदाताओं को हटाने का प्रयास बताया। आयोग ने इन आरोपों को खारिज किया, लेकिन 75 लाख प्रवासी मतदाताओं और 11 वैध दस्तावेजों की अनिवार्यता ने मतदाता बहिष्कार की आशंका बढ़ाई। बिहार में पहली बार मोबाइल-आधारित ई-वोटिंग का पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू हुआ है।

प्रमुख मुद्दे और मतदाता प्राथमिकताएँ

  • रोजगार और प्रवास: बिहार से 75 लाख लोग रोजगार के लिए अन्य राज्यों में जाते हैं। युवा मतदाता रोजगार गारंटी और औद्योगिक विकास चाहते हैं।
  • जाति समीकरण: EBC, OBC, और दलित वोट निर्णायक होंगे। BJP और RJD दोनों गैर-यादव OBC को लुभाने की कोशिश में हैं।
  • विकास और बुनियादी ढाँचा: नीतीश की सड़क और बिजली योजनाएँ NDA के पक्ष में हैं, लेकिन RJD ग्रामीण विकास पर जोर दे रहा है।
  • महिलाएँ और कल्याण योजनाएँ: 35% महिला आरक्षण और मुफ्त बिजली जैसी योजनाएँ मतदाताओं को प्रभावित कर सकती हैं।
  • कानून-व्यवस्था: RJD के “जंगल राज” की छवि को NDA भुनाने की कोशिश कर रहा है।

विशेषज्ञों का विश्लेषण

विश्लेषक अमिताभ तिवारी के अनुसार, NDA का गठबंधन (नीतीश का EBC-कुर्मी वोट, पासवान का दलित वोट, मांझी का महादलित वोट) इसे मजबूत बनाता है। JVC श्रीराम के ओपिनियन पोल (122 सीटों पर) में NDA को 82, MGB को 28, और अन्य को 3 सीटें मिलने का अनुमान है। हालाँकि, प्राशांत किशोर की जन सुराज और मतदाता सूची विवाद परिणाम बदल सकते हैं। यदि MGB 41% वोट शेयर हासिल कर ले, तो 3% स्विंग से वह सत्ता में आ सकता है।

क्षेत्रीय और राष्ट्रीय प्रभाव

NDA की जीत BJP की राष्ट्रीय प्रभुत्व को मजबूत करेगी, जबकि MGB की जीत INDIA ब्लॉक को पुनर्जनन दे सकती है। बिहार का परिणाम 2026 में असम, तमिलनाडु, और पश्चिम बंगाल के चुनावों को प्रभावित करेगा।


आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

  • बिहार विधानसभा चुनाव 2025: NDA और MGB के बीच कड़ा मुकाबला, अक्टूबर-नवंबर में मतदान।
  • नीतीश की चुनौती: अनुभव बनाम विश्वसनीयता का संकट, BJP के साथ तनाव।
  • तेजस्वी की रणनीति: युवा, रोजगार, और MY-BAAP के साथ विपक्ष की वापसी।
  • प्राशांत किशोर का प्रभाव: जन सुराज से BJP को नुकसान, नई राजनीति की शुरुआत।
  • जाति और विकास: मतदाता रोजगार, बुनियादी ढाँचा, और सामाजिक न्याय पर केंद्रित।

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