सरकार न्यायाधीश नहीं बन सकती: बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

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सरकार न्यायाधीश नहीं बन सकती: बुलडोजर कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

आख़िर तक – संक्षेप में

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रशासन बिना न्यायिक आदेश के घर नहीं तोड़ सकता।
  • बिना सुनवाई के सिर्फ आरोपों के आधार पर घर तोड़ना असंवैधानिक है।
  • अधिकारियों को सावधान किया गया है कि नियमों का उल्लंघन हुआ तो जुर्माना देना पड़ेगा।
  • न्यायालय ने निर्देश दिया कि 15 दिन की सूचना और व्यक्तिगत सुनवाई देना अनिवार्य है।
  • बुलडोजर कार्रवाई के हर नोटिस का डिजिटल रिकॉर्ड रखना होगा।

आख़िर तक – विस्तार में

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि प्रशासन न्यायपालिका की भूमिका नहीं निभा सकता और बिना कानूनी प्रक्रिया के नागरिकों के घर तोड़ना संविधान का उल्लंघन है। अदालत ने कहा कि किसी पर अपराध का आरोप लगने मात्र से उसके घर को तोड़ना कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन है।

अदालत ने निर्देश दिया कि बिना 15 दिन की सूचना और व्यक्तिगत सुनवाई के, कोई तोड़फोड़ नहीं की जानी चाहिए। अदालत ने कहा कि इस कार्रवाई का रिकॉर्ड एक डिजिटल पोर्टल पर भी रखा जाएगा ताकि निगरानी की जा सके। इस आदेश में यह भी जोड़ा गया कि अधिकारियों को यह तय करना होगा कि क्या अपराध असंगत है और आंशिक विध्वंस से काम चल सकता है।

न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि किसी अधिकारी द्वारा मनमानी कार्रवाई हुई तो उसे अदालत की अवमानना का सामना करना पड़ेगा। आदेश में यह भी कहा गया कि अगर किसी अधिकारी द्वारा नियमों का उल्लंघन हुआ तो उसे मुआवजा देना पड़ेगा।


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आख़िर तक मुख्य संपादक
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