भारत में कैसे पहुँच रहे NATO के हथियार

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भारत में NATO ग्रेड के हथियारों का आतंकियों और अपराधियों के हाथों में पहुंचना एक गंभीर सुरक्षा चिंता का विषय है। पंजाब के शेरोन इलाके में एक रूटीन चेक के दौरान पुलिस ने एक संदिग्ध कार रोकी। हरप्रीत सिंह और लवप्रीत सिंह, जो पहले से ही अपराधी थे, गिरफ्तार किए गए। गाड़ी से NATO आर्मी के लिए बने ग्लॉक 19 पिस्टल समेत चार पिस्टल और 4.8 लाख रुपये की हवाला राशि जब्त की गई। जांच में पाया गया कि इनका सीधा संबंध पाकिस्तान के एक तस्कर से था जो ड्रोन के जरिए हथियार और नशे का सामान भारत में पहुंचाता था।

पंजाब ही नहीं, जम्मू और कश्मीर में भी NATO और अमेरिका में बने हथियारों की बरामदगी हो चुकी है। पाकिस्तान समर्थित आतंकी M4 कार्बाइन, M16 राइफल और नाइट विजन उपकरण जैसे उन्नत अमेरिकी हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिन्हें अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से हटने के बाद छोड़ा गया था। ये हथियार भारतीय सुरक्षा बलों और आम नागरिकों के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं।

इन हथियारों का मुख्य स्रोत 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की अव्यवस्थित वापसी है, जिसके बाद वहां अरबों डॉलर का सैन्य सामान छोड़ दिया गया। तालिबान ने इस हथियारों को आतंकवादी संगठनों को बेचना शुरू कर दिया, जिनमें भारत को निशाना बनाने वाले आतंकी भी शामिल हैं। इन हथियारों का उपयोग इसराइल-हमास संघर्ष में भी देखा गया है।

भारत में हाई-टेक हथियारों की तस्करी में अक्सर बिचौलियों की भूमिका होती है जो विक्रेता और खरीदारों को जोड़ते हैं। इस अवैध व्यापार में पाकिस्तानी खुफिया एजेंट भी शामिल होते हैं। इस तस्करी का भारत की सुरक्षा पर गहरा असर पड़ रहा है और यह अंतरराष्ट्रीय शक्तियों की हथियारों पर नियंत्रण और ट्रैकिंग के महत्व को दर्शाता है।

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