सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागालैंड के मोन जिले में 2021 में 13 नागरिकों की हत्या के मामले में सेना के जवानों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को खारिज कर दिया। यह फैसला उस घटना के संदर्भ में आया है जब 4 दिसंबर, 2021 को ओटिंग गांव में सेना के एक दल ने खनन मजदूरों को आतंकवादी समझकर गोलीबारी की थी, जिससे 6 नागरिकों की मौत हो गई थी।
इस घटना के बाद क्षेत्र में हिंसा भड़क उठी, जिसके चलते और 7 नागरिकों की जान चली गई। कोर्ट ने कहा, “इस मामले में दर्ज एफआईआर को बंद किया जाता है। हालांकि, यदि मंजूरी दी जाती है, तो इसे उचित रूप से आगे बढ़ाया जा सकता है। अनुशासनात्मक कार्रवाई के मामले में, हमने सशस्त्र बलों को आवश्यक कदम उठाने का अधिकार दिया है।”
यह घटना तब घटी थी जब सेना का दल ओटिंग गांव में एक ट्रक को आतंकवादी गतिविधियों से जोड़कर गोलीबारी में संलिप्त हो गया। नागरिकों की जान जाने के बाद हिंसा बढ़ी और क्षेत्र में उग्र प्रदर्शन हुए।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद नागालैंड के इस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। अनुशासनात्मक कार्रवाई के सवाल पर कोर्ट ने सेना को अपने स्तर पर उचित निर्णय लेने की अनुमति दी है। कोर्ट का यह फैसला सैन्य कार्रवाइयों और नागरिक अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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