रूस-यूक्रेन युद्ध: परमाणु खतरा? क्या कह रहे हैं विश्व नेता?

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रूस-यूक्रेन युद्ध: परमाणु खतरा? क्या कह रहे हैं विश्व नेता?

आखिर तक – संक्षेप में:

  • यूक्रेन द्वारा रूस के भीतर अमेरिका द्वारा आपूर्ति की गई मिसाइलों से हमले के बाद रूस ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की दहलीज कम कर दी है।
  • इस कदम से दुनिया भर में परमाणु युद्ध की आशंका बढ़ गई है।
  • अमेरिका ने रूस की इस कार्रवाई की निंदा की है और यूक्रेन में अपने नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर जाने की सलाह दी है।
  • कई यूरोपीय देशों ने रूस की कार्रवाई की निंदा की है, जबकि तुर्की ने रूस का समर्थन किया है।
  • चीन से मध्यस्थता की भूमिका निभाने का आग्रह किया गया है।

आखिर तक – विस्तार से:

रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के १०००वें दिन, यूक्रेन ने अमेरिका द्वारा आपूर्ति की गई ATACMS मिसाइलों से रूस के अंदर कई ठिकानों पर हमला किया। इस हमले के जवाब में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की दहलीज को कम कर दिया है। क्रेमलिन ने इस कदम को एक निवारक कार्रवाई बताया है, लेकिन इस बयान से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परमाणु हमले की आशंका बढ़ गई है।

अमेरिकी दूतावास ने कीव में अस्थायी रूप से अपने कामकाज को बंद कर दिया है, और अमेरिकी नागरिकों को सुरक्षित स्थान पर जाने की सलाह दी गई है। अमेरिकी विदेश विभाग ने रूस के परमाणु बयानबाजी की आलोचना की है, लेकिन कहा है कि अमेरिका ने अपने परमाणु रणनीति में कोई बदलाव नहीं किया है।

रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि रूस परमाणु युद्ध से बचना चाहता है, लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि अगर रूस पर हमला हुआ तो वह जवाबी कार्रवाई करेगा। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने चीन से तनाव कम करने में मध्यस्थता करने का आग्रह किया है। यूरोपीय नेताओं ने रूस की कार्रवाई की निंदा की है, जबकि तुर्की के राष्ट्रपति ने रूस का समर्थन किया है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि रूस का यह कदम एक राजनीतिक बयानबाजी है, लेकिन परमाणु खतरे को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता। यह स्थिति विश्व शांति के लिए एक बड़ा खतरा है। इस संघर्ष से बचने के लिए कूटनीतिक प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता है।

याद रखने योग्य मुख्य बातें:

रूस-यूक्रेन युद्ध में परमाणु खतरे की बढ़ती संभावना से दुनिया भर में चिंता व्याप्त है। रूस के परमाणु नीति में बदलाव और विश्व नेताओं की प्रतिक्रियाओं को समझना आवश्यक है। क्या यह वास्तविक खतरा है या राजनीतिक बयानबाजी, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन सावधानी बरतना ज़रूरी है।


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आख़िर तक मुख्य संपादक
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