आख़िर तक – एक नज़र में
- बांग्लादेश ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर Bayraktar TB2 ड्रोन तैनात किए हैं।
- ये ड्रोन खुफिया, निगरानी और बचाव कार्यों के लिए उपयोगी हैं।
- Bayraktar TB2 ड्रोन 300 किमी तक उड़ान भरने और लेजर मिसाइलों से टारगेट नष्ट करने में सक्षम हैं।
- भारत ने अपनी निगरानी और जवाबी ड्रोन क्षमताओं को मजबूत किया है।
- भारतीय सेना आधुनिक तकनीकों और स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम पर काम कर रही है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
Bayraktar TB2: आधुनिक युद्ध की तकनीकी क्रांति
बांग्लादेश ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर तुर्की निर्मित Bayraktar TB2 ड्रोन तैनात किए हैं। यह ड्रोन अपनी उन्नत खुफिया, निगरानी और बचाव क्षमताओं के लिए प्रसिद्ध है। इसकी अधिकतम उड़ान दूरी 300 किमी और उड़ान समय 24 घंटे है।
2020 के नागोर्नो-काराबाख युद्ध में Bayraktar TB2 की भूमिका
2020 में, नागोर्नो-काराबाख युद्ध में अज़रबैजान ने इन ड्रोन का उपयोग कर शक्तिशाली आर्मेनियाई सेना को हराया। इन ड्रोन की कम लागत और उच्च प्रभावशीलता ने पारंपरिक हथियारों को बेअसर कर दिया।
भारत की जवाबी तैयारी
भारतीय सेना ने हाल ही में अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन की खरीद के लिए समझौता किया है। इसके अलावा, इज़राइल से हेरॉन मार्क-II UAV और स्वदेशी टेपस BH-201 ड्रोन का विकास किया जा रहा है।
एंटी-ड्रोन तकनीक की ताकत
भारत ने लेजर-आधारित एंटी-ड्रोन सिस्टम IDD&IS को अपनाया है, जो 7-8 किमी की दूरी पर ड्रोन को पहचानने और मार गिराने में सक्षम है।
सीमा सुरक्षा में बढ़ी सतर्कता
भारत ने बांग्लादेश सीमा पर निगरानी बढ़ा दी है। सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने अपनी क्षमताओं को और सुदृढ़ किया है ताकि Bayraktar TB2 जैसे खतरे से निपटा जा सके।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- बांग्लादेश ने Bayraktar TB2 ड्रोन भारत-बांग्लादेश सीमा पर तैनात किए।
- इन ड्रोन की क्षमताएं भारत के लिए रणनीतिक चुनौती पेश करती हैं।
- भारतीय सेना ने प्रीडेटर ड्रोन और स्वदेशी एंटी-ड्रोन तकनीक से अपनी तैयारी मजबूत की।
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