आख़िर तक – एक नज़र में
- प्रधानमंत्री मोदी और साइप्रस के राष्ट्रपति ने लिमासोल में एक उच्च-स्तरीय भारत-साइप्रस व्यापार वार्ता का नेतृत्व किया।
- दोनों देशों के बीच भारत-साइप्रस आर्थिक संबंध को मजबूत करने के लिए निवेश और सहयोग के नए अवसरों पर चर्चा हुई।
- भारत के UPI को साइप्रस में शुरू करने पर सहमति बनी, जिससे यूपीआई भुगतान से पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
- NSE GIFT सिटी और साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिससे विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को गति मिलेगी।
- भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता इस साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है, जिससे दोनों देशों को लाभ होगा।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
लिमासोल: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स ने आज भारत-साइप्रस आर्थिक संबंध को एक नई दिशा दी। दोनों नेताओं ने लिमासोल में भारत और साइप्रस के शीर्ष व्यापारिक नेताओं के साथ एक गोलमेज बैठक की। इस महत्वपूर्ण भारत-साइप्रस व्यापार वार्ता का उद्देश्य द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को नई ऊंचाइयों पर ले जाना था।
बैठक में बैंकिंग, विनिर्माण, रक्षा, लॉजिस्टिक्स, और तकनीक जैसे विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल हुए। यह वार्ता दोनों देशों के बीच बढ़ते विश्वास और सहयोग को दर्शाती है।
भारत की विकास गाथा पर प्रकाश
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले 11 वर्षों में भारत के तेज आर्थिक बदलाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। इसका श्रेय अगली पीढ़ी के सुधारों और स्थिर राजनीति को जाता है। उन्होंने व्यापार करने में आसानी (Ease of Doing Business) पर जोर दिया।
पीएम मोदी ने नवाचार, डिजिटल क्रांति और स्टार्टअप इकोसिस्टम को भारत की ताकत बताया। उन्होंने विश्वास जताया कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा। नागरिक उड्डयन, बंदरगाह और डिजिटल भुगतान जैसे क्षेत्रों में अपार अवसर हैं। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम और सेमीकंडक्टर जैसे नए क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि में योगदान दे रहे हैं।
साइप्रस के साथ मजबूत होती साझेदारी
प्रधानमंत्री मोदी ने साइप्रस को भारत का एक महत्वपूर्ण आर्थिक भागीदार बताया। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के क्षेत्र में साइप्रस की भूमिका विशेष है। साइप्रस के निवेशकों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में गहरी रुचि दिखाई है। इस भारत-साइप्रस व्यापार वार्ता ने इस रुचि को और बढ़ाया है।
वित्तीय सेवा क्षेत्र में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। इस अवसर पर दो बड़े समझौते हुए।
- NSE इंटरनेशनल एक्सचेंज (GIFT सिटी) और साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए।
- NIPL और यूरोबैंक साइप्रस के बीच यूपीआई भुगतान शुरू करने पर सहमति बनी। इससे दोनों देशों के पर्यटकों और व्यापारियों को बहुत लाभ होगा।
त्रिपक्षीय सहयोग और नई पहल
बैठक में भारत-ग्रीस-साइप्रस (IGC) बिजनेस एंड इन्वेस्टमेंट काउंसिल के शुभारंभ का स्वागत किया गया। यह परिषद शिपिंग, ऊर्जा और डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में त्रिपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देगी। यह तकनीकी सहयोग और व्यापार के लिए एक नया मंच प्रदान करेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कई भारतीय कंपनियां साइप्रस को यूरोप का प्रवेश द्वार मानती हैं। साइप्रस आईटी सेवाओं और वित्तीय प्रबंधन का एक प्रमुख केंद्र है। यह पहल भारत-साइप्रस आर्थिक संबंध को और भी गहरा करेगी।
भारत-यूरोपीय संघ संबंध और भविष्य की राह
साइप्रस अगले साल यूरोपीय संघ परिषद की अध्यक्षता ग्रहण करेगा। इस संदर्भ में, दोनों नेताओं ने भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता को जल्द अंतिम रूप देने पर जोर दिया। यह समझौता इस साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग को बड़ा बढ़ावा मिलेगा।
यह भारत-साइप्रस व्यापार वार्ता एक मील का पत्थर साबित हुई है। इससे व्यापार, नवाचार और रणनीतिक क्षेत्रों में दीर्घकालिक सहयोग का एक ठोस रोडमैप तैयार होगा।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- भारत-साइप्रस व्यापार वार्ता ने दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग के नए द्वार खोले हैं।
- भारत-साइप्रस आर्थिक संबंध अब निवेश, तकनीक और डिजिटल भुगतान जैसे क्षेत्रों में भी मजबूत होंगे।
- साइप्रस में यूपीआई भुगतान की शुरुआत एक क्रांतिकारी कदम है, जो पर्यटन और व्यापार को गति देगा।
- विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों के स्टॉक एक्सचेंज ने एक महत्वपूर्ण समझौता किया है।
- भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौते से द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों को एक नई और मजबूत दिशा मिलेगी।
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