भारत में घटती प्रजनन दर: क्या यह दक्षिण कोरिया की राह पर है?

3 Min Read
भारत में घटती प्रजनन दर: क्या यह दक्षिण कोरिया की राह पर है?

आख़िर तक – एक नज़र में

  1. दक्षिण कोरिया की प्रजनन दर 2023 में घटकर 0.72 हो गई।
  2. यह गिरावट जनसंख्या स्थिरता के लिए आवश्यक 2.1 की दर से काफी कम है।
  3. भारत की प्रजनन दर भी 1950 में 6.18 से 2023 में 2.0 पर आ गई है।
  4. मोहन भागवत और अन्य नेताओं ने अधिक बच्चों की वकालत की है।
  5. भारत को आर्थिक और सामाजिक स्थिरता बनाए रखने के लिए जनसांख्यिकीय चुनौतियों का सामना करना होगा।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

दक्षिण कोरिया की जनसांख्यिकीय स्थिति

दक्षिण कोरिया में प्रजनन दर का गिरना वैश्विक चिंता का विषय है। वर्ष 2023 में यह दर 0.72 हो गई, जो जनसंख्या स्थिरता की आवश्यकता 2.1 से काफी कम है। यह गिरावट न केवल जनसंख्या बल्कि आर्थिक और सामाजिक संरचना को भी प्रभावित कर रही है।

प्रमुख प्रभाव:

  • श्रमबल की कमी: कम युवाओं के कारण प्रमुख क्षेत्रों में श्रमिकों की कमी हो सकती है।
  • सामाजिक सेवाओं पर दबाव: वृद्ध जनसंख्या के बढ़ने से स्वास्थ्य और पेंशन प्रणालियों पर दबाव बढ़ेगा।
  • पारिवारिक संरचना में बदलाव: छोटे परिवारों और कम विवाह दरों से सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव होंगे।

भारत की प्रजनन दर में गिरावट

भारत भी धीरे-धीरे इसी रास्ते पर बढ़ रहा है। वर्ष 1950 में प्रजनन दर 6.18 थी, जो 2023 में 2.0 तक आ गई। 2050 तक यह दर 1.29 हो सकती है।

चुनौतियां और कारण:

  • आर्थिक दबाव: बढ़ती महंगाई और जीवन यापन की ऊंची लागत के कारण परिवार छोटे होते जा रहे हैं।
  • लिंग असमानता: महिलाओं के करियर और शिक्षा की प्राथमिकता के चलते विवाह और मातृत्व में देरी हो रही है।
  • परिवर्तनशील सामाजिक दृष्टिकोण: देर से विवाह और कार्य-जीवन संतुलन भी प्रमुख कारण हैं।

भारत के लिए संभावित समाधान

  • आर्थिक सुधार: मजबूत सामाजिक सुरक्षा और पेंशन प्रणाली की आवश्यकता है।
  • परिवार प्रोत्साहन योजनाएं: कर छूट और वित्तीय सहायता से बड़ी परिवार संरचना को बढ़ावा दिया जा सकता है।
  • समानता और जागरूकता: महिलाओं और पुरुषों के बीच समान कार्य विभाजन से परिवारों को प्रोत्साहन मिलेगा।

आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

  • भारत में प्रजनन दर में गिरावट एक गंभीर मुद्दा है।
  • दक्षिण कोरिया का अनुभव भारत के लिए एक चेतावनी है।
  • आर्थिक और सामाजिक नीतियों में सुधार आवश्यक है।

Discover more from पाएं देश और दुनिया की ताजा खबरें

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

आख़िर तक मुख्य संपादक
Share This Article
Leave a Comment

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Recipe Rating




Exit mobile version