आख़िर तक – एक नज़र में
- व्हाइट हाउस में दक्षिण अफ्रीका श्वेत किसान मुद्दे पर ट्रंप और रामफोसा के बीच तनावपूर्ण मुलाकात हुई।
- ट्रंप ने श्वेत किसानों की कथित हत्याओं के ग्राफिक दावे पेश किए, जिन्हें रामफोसा ने खारिज किया।
- दक्षिण अफ्रीका की भूमि सुधार नीतियां और अमेरिकी सहायता में कटौती भी चर्चा का अहम हिस्सा रहीं।
- रामफोसा ने देश में अपराध की बात स्वीकारी, पर पीड़ितों में अश्वेतों की अधिकता बताई।
- इस विवाद से दक्षिण अफ्रीका के लिए आर्थिक मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि अमेरिका एक बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
व्हाइट हाउस में दक्षिण अफ्रीका श्वेत किसान मुद्दे पर ट्रंप और रामफोसा के बीच तीखी बहस
बुधवार को व्हाइट हाउस में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा से मुलाकात की। इस बैठक का माहौल तब तनावपूर्ण हो गया जब ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका श्वेत किसान की कथित “हत्या” का मुद्दा उठाया। ट्रंप ने इस दावे को कई बार दोहराया। हालांकि, प्रिटोरिया ने इन दावों को हमेशा झूठा और भ्रामक बताया है।
ट्रंप द्वारा पेश किए गए कथित सबूत
बैठक की शुरुआत सौहार्दपूर्ण ढंग से हुई। लेकिन यह जल्द ही तनावपूर्ण हो गई। ट्रंप ने एक वीडियो चलाया। उन्होंने कहा कि यह श्वेत दक्षिण अफ्रीकी किसानों के “कब्रगाहों” को दिखाता है। ट्रंप वीडियो का वर्णन कर रहे थे। उन्होंने कहा, “ये कब्रिस्तान यहीं हैं… एक हजार से अधिक… ये सभी श्वेत किसान हैं।” फुटेज में सड़क किनारे सफेद क्रॉस कतार में लगे दिख रहे थे।
राष्ट्रपति रामफोसा वीडियो चलते समय ज्यादातर भावहीन बैठे रहे। उन्होंने जवाब दिया कि उन्होंने यह फुटेज पहले नहीं देखा था। वह इसका स्रोत जानना चाहेंगे। इसके बाद ट्रंप ने मुद्रित लेखों को पलटा। उन्होंने कथित हमलों में मारे गए श्वेत दक्षिण अफ्रीकियों के मामलों को उजागर किया। ट्रंप ने “मौत, मौत” शब्दों का उच्चारण किया।
रामफोसा का प्रतिवाद और अपराध की स्वीकृति
दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति ने अपने देश में अपराध की समस्या को स्वीकार किया। उन्होंने कहा, “दक्षिण अफ्रीका में अपराध है, और अधिकांश पीड़ित अश्वेत हैं।” इस पर ट्रंप ने उन्हें टोकते हुए कहा, “किसान अश्वेत नहीं हैं।” यह दिखाता है कि दोनों नेताओं के बीच दक्षिण अफ्रीका श्वेत किसान मुद्दे पर कितनी गहरी असहमति थी।
ट्रंप के पुराने आरोप और कार्रवाइयां
ट्रंप लंबे समय से दक्षिण अफ्रीका पर आरोप लगाते रहे हैं। उनका कहना है कि देश “घृणित बयानबाजी और सरकारी कार्रवाइयों” के माध्यम से श्वेत भूमि मालिकों के खिलाफ हिंसा को प्रोत्साहित कर रहा है। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की भूमि सुधार नीतियों की भी आलोचना की है। इसके परिणामस्वरूप, ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका को दी जाने वाली अमेरिकी सहायता रद्द कर दी है। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के राजदूत को निष्कासित कर दिया है। ट्रंप ने कथित नस्लीय भेदभाव का हवाला देते हुए श्वेत अफ्रीकानरों (डच बसने वालों के वंशज) को शरण देने की भी पेशकश की है। इन कार्रवाइयों ने दक्षिण अफ्रीका श्वेत किसान मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और गरमा दिया है।
दक्षिण अफ्रीका का नरसंहार के दावों से इनकार
हालांकि, दक्षिण अफ्रीका नरसंहार के दावों का पुरजोर खंडन करता है। अधिकारियों ने कहा है कि यह कथा “दक्षिण अफ्रीका के उपनिवेशवाद और रंगभेद के गहरे और दर्दनाक इतिहास को पहचानने में विफल है।” उनका तर्क है कि भूमि सुधार के प्रयास लंबे समय से चली आ रही असमानताओं को दूर करने के उद्देश्य से हैं, न कि हिंसा भड़काने के लिए। सरकार का मानना है कि इन प्रयासों से सभी नागरिकों को लाभ होगा।
बैठक का महत्व और संभावित परिणाम
यह बैठक दक्षिण अफ्रीका के लिए एक महत्वपूर्ण समय पर हुई। संयुक्त राज्य अमेरिका चीन के बाद उसका दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। अमेरिकी सहायता में कटौती के पहले से ही परिणाम सामने आ चुके हैं। इसमें एचआईवी रोगियों के परीक्षण में गिरावट भी शामिल है। किसान हत्या के आरोप और उसके बाद के घटनाक्रम दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं। यह देखना होगा कि भविष्य में दोनों देशों के संबंध कैसे विकसित होते हैं। ट्रंप प्रशासन की नीतियों का दक्षिण अफ्रीका पर गहरा असर पड़ रहा है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- ट्रंप ने व्हाइट हाउस में रामफोसा के सामने दक्षिण अफ्रीका श्वेत किसान की कथित हत्याओं के दावे पेश किए।
- रामफोसा ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि अपराध के शिकार अधिकतर अश्वेत हैं, और भूमि सुधार का लक्ष्य असमानता दूर करना है।
- ट्रंप ने अमेरिकी सहायता में कटौती की और दक्षिण अफ्रीका की भूमि सुधार नीतियों की आलोचना की।
- दक्षिण अफ्रीका ने रंगभेद के अपने इतिहास का हवाला देते हुए नरसंहार के दावों का खंडन किया।
- यह विवाद ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका दक्षिण अफ्रीका का एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार है, जिससे आर्थिक चिंताएं बढ़ गई हैं।
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