हरितालिका तीज 2025: 5 अचूक उपाय अखंड सौभाग्य के लिए!

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हरितालिका तीज 2025: 5 अचूक उपाय अखंड सौभाग्य के लिए!

हरितालिका तीज 2025: अखंड सौभाग्य का सबसे कठिन व्रत, जानें सम्पूर्ण पूजा विधि, मुहूर्त, कथा और मंत्र

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष तृतीया, जब प्रकृति अपने पूर्ण यौवन पर होती है और भक्ति की धारा प्रवाहित होती है, तब मनाया जाता है हिंदू धर्म का एक सबसे कठिन और महत्वपूर्ण व्रत – हरितालिका तीज 2025। यह पर्व केवल एक उपवास नहीं, बल्कि स्त्री के संकल्प, अटूट प्रेम और असीम श्रद्धा का प्रतीक है। यह दिन उस महान त्याग और तपस्या को समर्पित है जो माता पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए किया था । सुहागिन महिलाएं इस दिन अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएं मनचाहा वर पाने की कामना करती हैं ।  

इस व्रत का नाम ‘हरितालिका’ दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘हरित’ अर्थात हरण करना और ‘आलिका’ अर्थात सखी । यह नाम उस पौराणिक कथा की ओर संकेत करता है जब माता पार्वती की सखियों ने उनका ‘हरण’ करके उन्हें घने जंगल में छिपा दिया था, ताकि उनका विवाह उनकी इच्छा के विरुद्ध भगवान विष्णु से न हो सके । यह पर्व नारी के आत्म-निर्णय और उसकी सखियों के समर्थन की शक्ति का भी उत्सव है। यह व्रत इतना शक्तिशाली माना जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं माता पार्वती को इसके महत्व के बारे में बताया था, यह कहते हुए कि इस व्रत को करने वाली स्त्री को अगणित जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और उसकी चेतना का विस्तार होता है । आइए, इस महाव्रत की गहराई को समझें और  

हरितालिका तीज 2025 से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी, जैसे तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि और कथा को विस्तार से जानें।

हरितालिका तीज 2025: तिथि, मुहूर्त और शुभ संयोग

किसी भी व्रत की पूर्णता और फल प्राप्ति के लिए उसके शुभ मुहूर्त का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। पंचांग के अनुसार, हरितालिका तीज 2025 का महापर्व मंगलवार, 26 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा । यद्यपि तृतीया तिथि 25 अगस्त को दोपहर में शुरू हो जाएगी, लेकिन हिंदू धर्म में ‘उदया तिथि’ के सिद्धांत को सर्वोपरि माना जाता है। चूँकि 26 अगस्त को सूर्योदय के समय तृतीया तिथि विद्यमान रहेगी, इसलिए व्रत और पूजन इसी दिन करना शास्त्रसम्मत है ।  

इस वर्ष हरितालिका तीज पर कई अत्यंत शुभ योगों का निर्माण हो रहा है, जिनमें सर्वार्थ सिद्धि, शोभन, गजकेसरी और पंचमहापुरुष योग शामिल हैं । इन दिव्य संयोगों में की गई पूजा और व्रत कई गुना अधिक फलदायी माने जाते हैं। आपकी सुविधा के लिए, यहाँ पूजन के सभी महत्वपूर्ण मुहूर्त दिए गए हैं:  

विवरण (Detail)तिथि (Date)समय (Time)
तृतीया तिथि प्रारम्भ25 अगस्त 2025, सोमवारदोपहर 12:34 PM
तृतीया तिथि समाप्त26 अगस्त 2025, मंगलवारदोपहर 01:54 PM
प्रातःकाल पूजा मुहूर्त26 अगस्त 2025सुबह 05:56 AM से 08:31 AM
प्रदोषकाल पूजा मुहूर्त26 अगस्त 2025शाम 06:01 PM से 07:31 PM
साध्य योग26 अगस्त 2025पूरे दिन
हस्त नक्षत्र26 अगस्त 2025पूरे दिन
व्रत पारण का समय27 अगस्त 2025, बुधवारसूर्योदय के बाद (सुबह 05:40 AM से 07:05 AM के बीच)

(नोट: उपरोक्त समय-सारणी नई दिल्ली, भारत के स्थानीय समय पर आधारित है। आपके शहर के अनुसार समय में थोड़ा अंतर हो सकता है।)  

क्या है हरितालिका तीज का महत्व?

हरितालिका तीज का महत्व केवल पति की लंबी आयु तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नारी शक्ति, संकल्प और आध्यात्मिक उन्नति का भी पर्व है।

  • अखंड सौभाग्य की प्राप्ति: यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। वे इस दिन निर्जला उपवास रखकर माता पार्वती से अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य, सफलता और अखंड सौभाग्य का वरदान मांगती हैं ।  
  • मनोवांछित वर की कामना: अविवाहित कन्याएं भी इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करती हैं, ताकि उन्हें माता पार्वती के आशीर्वाद से भगवान शिव जैसा आदर्श जीवनसाथी प्राप्त हो सके ।  
  • पारिवारिक सुख-समृद्धि: यह व्रत केवल पति-पत्नी के रिश्ते को ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार में सुख, शांति और समृद्धि लाने वाला माना जाता है।
  • आत्म-अनुशासन और चेतना का विकास: यह व्रत अत्यंत कठोर होता है, जिसमें लगभग 24 घंटे तक अन्न और जल का त्याग किया जाता है । यह कठोर तप साधक के आत्म-अनुशासन, सहनशीलता और इच्छा-शक्ति को बढ़ाता है, जिससे चेतना का आध्यात्मिक विकास होता है ।  
  • पापों का नाश: स्वयं भगवान शिव के कथनानुसार, जो भी स्त्री इस व्रत को पूरी निष्ठा से करती है, उसके कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे अंत में शिवलोक की प्राप्ति होती है ।  

अविस्मरणीय हरितालिका तीज व्रत कथा

हर व्रत का प्राण उसकी कथा में निहित होता है। हरितालिका तीज व्रत कथा स्वयं भगवान शिव ने माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म का स्मरण कराने के लिए सुनाई थी। यह कथा भविष्य पुराण में वर्णित है और यह दर्शाती है कि सच्चे प्रेम और दृढ़ संकल्प के सामने स्वयं विधाता को भी झुकना पड़ता है ।  

कथा इस प्रकार है:

भगवान शिव कहते हैं, “हे पार्वती! सुनो, मैं तुम्हें उस व्रत की कथा सुनाता हूँ जिसे तुमने अपने पूर्व जन्म में मेरे लिए किया था। तुमने बाल्यावस्था में ही मुझे पति रूप में पाने के लिए हिमालय पर कठोर तपस्या आरंभ कर दी थी। तुमने गर्मी में पंचाग्नि तापी, वर्षा में खुले आकाश के नीचे जलधारा सही और सर्दियों में जल के भीतर रहकर तप किया। तुम्हारी यह कठिन तपस्या देखकर तुम्हारे पिता पर्वतराज हिमालय अत्यंत चिंतित और दुखी थे ।”  

हरितालिका तीज व्रत कथा
हरितालिका तीज व्रत कथा

“एक दिन, तुम्हारी तपस्या और सौंदर्य पर मोहित होकर देवर्षि नारद भगवान विष्णु का विवाह प्रस्ताव लेकर तुम्हारे पिता के पास पहुँचे। नारद जी ने कहा, ‘हे गिरिराज! आपकी पुत्री की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर स्वयं भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं।’ यह सुनकर तुम्हारे पिता अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने इस प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकार कर लिया ।”  

“जब तुम्हें इस विवाह के बारे में पता चला, तो तुम अत्यंत दुखी हो गईं, क्योंकि तुम तो मन-ही-मन मुझे अपना पति मान चुकी थीं। अपनी व्यथा में तुम विलाप करने लगीं। तुम्हारी यह दशा देखकर तुम्हारी एक प्रिय सखी तुम्हें सांत्वना देने आई। तुमने उसे बताया कि तुम शिव के अतिरिक्त किसी और से विवाह करने की अपेक्षा अपने प्राण त्याग देना पसंद करोगी ।”  

“तुम्हारी सखी बहुत बुद्धिमान थी। उसने तुम्हें एक ऐसे घने जंगल में चलने की सलाह दी, जहाँ तुम्हारे पिता तुम्हें खोज न सकें। तुम दोनों एक दुर्गम गुफा में चली गईं। तुम्हारी सखी द्वारा तुम्हारा ‘हरण’ किए जाने के कारण ही इस व्रत का नाम ‘हरतालिका’ पड़ा ।”  

हरितालिका तीज व्रत कथा
हरितालिका तीज व्रत कथा

“उस गुफा में, तुमने भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को, हस्त नक्षत्र में, रेत से एक शिवलिंग का निर्माण किया और निर्जला व्रत रखकर मेरी आराधना में लीन हो गईं। तुमने रात्रि-भर जागरण किया और मेरे भजन गाए। तुम्हारी इस असीम भक्ति और कठोर तपस्या से मेरा आसन डोल गया। मैंने तत्काल प्रकट होकर तुम्हें दर्शन दिए और कहा, ‘हे देवी! मैं तुम्हारी तपस्या से परम प्रसन्न हूँ। माँगो, क्या वर चाहती हो?’ ”  

“तुमने लज्जा से सिर झुकाकर कहा, ‘हे प्रभु! यदि आप सच में प्रसन्न हैं, तो मुझे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करें।’ मैंने ‘तथास्तु’ कहकर तुम्हें वरदान दिया और अंतर्धान हो गया ।”  

“अगले दिन, जब तुम्हारे पिता तुम्हें खोजते हुए उस गुफा तक पहुँचे, तो तुमने उन्हें सारी बात बताई और कहा कि आपने मुझे भगवान शिव को समर्पित कर दिया है। अपनी पुत्री का ऐसा दृढ़ संकल्प देखकर, पर्वतराज ने भगवान विष्णु से क्षमा मांगी और पूरे विधि-विधान से हमारा विवाह संपन्न कराया ।”  

कथा समाप्त करते हुए भगवान शिव कहते हैं, “हे पार्वती! यह सब तुम्हारे उसी कठोर व्रत का फल था। मैं यह वरदान देता हूँ कि जो भी स्त्री इस ‘हरतालिका’ व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा से करेगी, उसे तुम्हारे जैसे ही अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगी और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी ।”  

सम्पूर्ण हरितालिका तीज पूजा विधि: घर पर कैसे करें पूजन

हरितालिका तीज पूजा विधि का सही ढंग से पालन करना व्रत की सफलता के लिए अनिवार्य है। यह पूजा मुख्य रूप से प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में की जाती है, हालांकि सुबह के मुहूर्त में भी पूजन किया जा सकता है ।  

1. व्रत का संकल्प

प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन सोलह श्रृंगार करना विशेष फलदायी होता है । पूजा स्थान पर बैठकर हाथ में जल, अक्षत, सुपारी और पुष्प लेकर व्रत का संकल्प लें। यह मंत्र बोलें:  

उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये। इसका अर्थ है, “मैं उमा-महेश्वर की कृपा-प्राप्ति के लिए हरितालिका व्रत करने का संकल्प लेती हूँ।”  

2. मूर्तियों का निर्माण और चौकी स्थापना

यह इस पूजा का एक अनूठा पहलू है। व्रती महिलाओं को स्वयं अपने हाथों से शुद्ध काली मिट्टी या बालू रेत से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमाएं बनानी चाहिए । एक साफ चौकी पर केले के पत्तों का मंडप बनाएं और उस पर प्रतिमाओं को स्थापित करें ।  

3. कलश स्थापना

चौकी के दाहिनी ओर चावल का अष्टदल कमल बनाकर उस पर एक कलश स्थापित करें। कलश में जल, सुपारी, सिक्का, हल्दी और अक्षत डालकर उस पर आम के पल्लव रखें और एक नारियल स्थापित करें। कलश का पूजन करें।

4. षोडशोपचार पूजन

अब भगवान गणेश, शिव और पार्वती का षोडशोपचार (16 चरणों में) पूजन करें।

  • आवाहन: देवताओं का ध्यान कर उन्हें पूजा में पधारने के लिए आमंत्रित करें।
  • आसन: पुष्पों का आसन समर्पित करें।
  • पाद्य: चरणों को धोने के लिए जल अर्पित करें।
  • अभिषेक: पहले शुद्ध जल, फिर पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर) और फिर पुनः शुद्ध जल से मूर्तियों को स्नान कराएं ।  
  • वस्त्र: भगवान शिव को धोती-अंगोछा और गणेश जी व शिवजी को जनेऊ अर्पित करें। माता पार्वती को चुनरी या नया वस्त्र अर्पित करें ।  
  • श्रृंगार: शिवजी को चंदन, भस्म, बेलपत्र, शमी पत्र, भांग, धतूरा अर्पित करें। गणेश जी और माता पार्वती को रोली-कुमकुम और अक्षत लगाएं ।  

5. सुहाग पिटारा अर्पण

यह हरितालिका तीज पूजा विधि का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। एक ‘सुहाग पिटारा’ तैयार करें जिसमें सोलह श्रृंगार की सभी वस्तुएं (मेहंदी, चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, काजल, महावर आदि) हों। इस पिटारे को माता पार्वती के चरणों में अर्पित करें और अपने अखंड सौभाग्य की प्रार्थना करें ।  

6. कथा श्रवण और हवन

परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर हरितालिका तीज व्रत कथा का पाठ करें या सुनें । कथा के बाद एक छोटा हवन करें। आप कपूर जलाकर भी हवन की विधि पूरी कर सकते हैं ।  

7. आरती और जागरण

सर्वप्रथम गणेश जी की, फिर भगवान शिव और अंत में माता पार्वती की आरती करें। इस व्रत में रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। रात भर जागकर भजन-कीर्तन करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन सोने से व्रत का फल नहीं मिलता ।  

8. व्रत का पारण

अगले दिन (27 अगस्त) सुबह पुनः पूजा और आरती करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। पारण करने से पहले माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और ककड़ी-हलवे का भोग लगाएं। फिर उसी ककड़ी को खाकर अपना व्रत खोलें । पूजा के बाद सुहाग की सामग्री किसी सुपात्र सुहागिन ब्राह्मणी को और शिवजी के वस्त्र ब्राह्मण को दान करें । अंत में, मिट्टी की प्रतिमाओं को सम्मानपूर्वक किसी पवित्र नदी या जलाशय में विसर्जित कर दें ।  

आवश्यक पूजन सामग्री की विस्तृत सूची

पूजा की सफलता के लिए सभी सामग्रियों को पहले से एकत्र कर लेना चाहिए। यहाँ एक विस्तृत सूची दी गई है :  

  • प्रतिमा निर्माण के लिए: शुद्ध काली मिट्टी या बालू रेत।
  • शिव जी के लिए: बेलपत्र, शमी पत्र, भांग, धतूरा, आक के फूल, सफेद चंदन, भस्म, जनेऊ, धोती-अंगोछा।
  • माता पार्वती के लिए (सुहाग पिटारा): मेहंदी, हरी/लाल चूड़ियां, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, महावर (आलता), शीशा, इत्र, चुनरी/साड़ी।
  • सामान्य पूजा सामग्री: पूजा की चौकी, केले के पत्ते, कलश, नारियल, पान, सुपारी, अक्षत, कलावा, फल, फूल, दूर्वा, मिठाई, घी, कपूर, धूप, दीपक, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)।
  • भोग के लिए: ककड़ी, हलवा, फल और अन्य मौसमी मिष्ठान्न।

इन शक्तिशाली मंत्रों का करें जाप

मंत्र जाप पूजा को और भी प्रभावशाली बनाता है। हरितालिका तीज के दिन इन मंत्रों का जाप करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है:

  • संकल्प मंत्र:
    • $उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये$  
  • भगवान शिव के मंत्र:
    • सरल पंचाक्षरी मंत्र: $ॐ नमः शिवाय$  
    • अन्य सिद्ध मंत्र: $ॐ हराय नमः, ॐ महेश्वराय नमः, ॐ शम्भवे नमः$  
  • माता पार्वती के मंत्र:
    • सरल मंत्र: $ॐ उमाये नमः, ॐ पार्वत्यै नमः$  
    • मनोकामना पूर्ति मंत्र: $या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः$  
    • सिंदूर अर्पित करते समय का मंत्र: $सिंदूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्। शुभदं कामदं चैव सिंदूरं प्रतिगृह्यताम्॥$  

सामाजिक और आधुनिक संदर्भ में हरितालिका तीज

आधुनिक युग में, जहाँ पारिवारिक और सामाजिक बंधन कमजोर पड़ते दिख रहे हैं, हरितालिका तीज जैसे त्योहार और भी प्रासंगिक हो जाते हैं । यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह सामुदायिक जुड़ाव का एक महत्वपूर्ण अवसर है। जब महिलाएं एक साथ मिलकर पूजा की तैयारी करती हैं, कथा सुनती हैं, और रात भर जागरण करती हैं, तो यह उनके बीच एक मजबूत सामाजिक बंधन और ‘बहनचारे’ (Sisterhood) की भावना को बढ़ावा देता है ।  

सामाजिक और आधुनिक संदर्भ में हरितालिका तीज
सामाजिक और आधुनिक संदर्भ में हरितालिका तीज

यह त्योहार स्त्री की आंतरिक शक्ति, धैर्य और संकल्प का उत्सव है। निर्जला व्रत का कठोर अनुशासन महिलाओं को उनकी मानसिक और शारीरिक सहनशक्ति का एहसास कराता है । आज के संदर्भ में, यह पर्व महिलाओं को अपनी परंपराओं से जुड़ने, अपनी आध्यात्मिक जड़ों को मजबूत करने और परिवार नामक संस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने का एक सुंदर अवसर प्रदान करता है। यह भारत-नेपाल के साझा सांस्कृतिक संबंधों का भी एक जीवंत प्रतीक है, जिसे दोनों देशों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है ।  

(आप हमारी वेबसाइट पर गणेश चतुर्थी की पूजा विधि के बारे में भी पढ़ सकते हैं, जो हरतालिका तीज के ठीक अगले दिन मनाई जाती है।)

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions – FAQ)

प्रश्न: हरितालिका तीज 2025 कब है? उत्तर: हरितालिका तीज का व्रत मंगलवार, 26 अगस्त 2025 को रखा जाएगा ।  

प्रश्न: हरितालिका तीज का व्रत क्यों किया जाता है? उत्तर: सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य के लिए यह व्रत करती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं। यह माता पार्वती की कठोर तपस्या और भगवान शिव के साथ उनके पुनर्मिलन का प्रतीक है ।  

प्रश्न: क्या इस व्रत में पानी पी सकते हैं? उत्तर: नहीं, यह एक निर्जला व्रत है, जिसमें व्रत के पारण तक अन्न और जल दोनों का त्याग किया जाता है। यह हिंदू धर्म के सबसे कठिन व्रतों में से एक है ।  

प्रश्न: व्रत का पारण कब और कैसे करें? उत्तर: व्रत का पारण अगले दिन, यानी 27 अगस्त 2025 को सूर्योदय के बाद किया जाता है। सुबह की पूजा के बाद ककड़ी और हलवे का भोग लगाकर उसी ककड़ी को खाकर व्रत खोला जाता है ।  

प्रश्न: हरितालिका तीज और हरियाली तीज में क्या अंतर है? उत्तर: हरियाली तीज श्रावण मास में मनाई जाती है और यह प्रकृति और मानसून के उल्लास का पर्व है। जबकि हरितालिका तीज भाद्रपद मास में मनाई जाती है और यह माता पार्वती की कठोर तपस्या पर केंद्रित एक अधिक कठिन और गंभीर व्रत है।

प्रश्न: यदि कोई महिला बीमार हो तो क्या वह यह व्रत कर सकती है? उत्तर: शास्त्रों में गंभीर रोगी या गर्भवती स्त्री के लिए छूट का विधान है। ऐसी स्थिति में, उनके स्थान पर परिवार की कोई अन्य महिला या उनके पति भी इस व्रत को रख सकते हैं । हालांकि, ऐसा करने से पहले किसी विद्वान पंडित से सलाह अवश्य लेनी चाहिए।  


निष्कर्ष

हरितालिका तीज 2025 सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि प्रेम की उस सर्वोच्च परिभाषा का उत्सव है जहाँ भक्ति, समर्पण और संकल्प मिलकर नियति को भी बदल देते हैं। यह व्रत हमें सिखाता है कि जब निष्ठा पवित्र हो और इरादा दृढ़ हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। यह पर्व भारतीय नारी की उस अदम्य शक्ति को सलाम करता है जो अपने परिवार की खुशहाली के लिए हर चुनौती को स्वीकार करने की क्षमता रखती है। इस व्रत की कथा का वर्णन भविष्य पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में मिलता है, जो इसकी सनातन प्रामाणिकता को सिद्ध करता है ।  

इस हरितालिका तीज पर, जब आप निर्जला व्रत रखकर शिव-पार्वती की आराधना करें, तो उस दिव्य प्रेम और संकल्प को अपने भीतर महसूस करें। यह व्रत आपके जीवन में न केवल सौभाग्य, बल्कि आध्यात्मिक शांति और आत्मबल भी लेकर आए।

हमारी ओर से आपको हरितालिका तीज की हार्दिक शुभकामनाएं! इस ज्ञानवर्धक लेख को अपने परिवार और मित्रों के साथ साझा करें ताकि वे भी इस महापर्व का पुण्य प्राप्त कर सकें।


अस्वीकरण (Disclaimer): इस लेख में दी गई समस्त जानकारी धार्मिक ग्रंथों, पंचांग और मान्यताओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल सूचना प्रदान करना है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले, कृपया किसी योग्य ज्योतिषी या पुरोहित से परामर्श अवश्य करें। अधिक जानकारी के लिए आप वैदिक हेरिटेज पोर्टल जैसे प्रामाणिक स्रोतों का संदर्भ ले सकते हैं।


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