हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह, जिनकी पिछले महीने इजरायली हवाई हमले में मौत हो गई, उन्होंने इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ 21 दिनों के संघर्षविराम पर सहमति जताई थी। लेबनान के विदेश मंत्री अब्दल्ला बौ हबीब के अनुसार, नसरल्लाह और नेतन्याहू ने संघर्षविराम की स्वीकृति दी थी, लेकिन इसके बाद नसरल्लाह की हत्या हो गई।
यह संघर्षविराम अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान हुई बैठक के बाद प्रस्तावित किया गया था। हिजबुल्लाह ने इज़राइल पर अपने संचार उपकरणों में विस्फोटों के लिए आरोप लगाया था, जिसके बाद यह मांग उठी थी।
लेबनान के विदेश मंत्री ने सीएनएन को बताया, “हमने हिजबुल्लाह से परामर्श करके संघर्षविराम पर सहमति जताई थी। लेबनान के सदन के अध्यक्ष नबिह बरी ने हिजबुल्लाह से बात की और हमने अमेरिका और फ्रांस को सूचित कर दिया था। इसके बाद हमें बताया गया कि नेतन्याहू ने भी इस समझौते को मंजूरी दे दी है।”
सीजफायर वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए व्हाइट हाउस के वरिष्ठ सलाहकार अमोस होचस्टीन को लेबनान भेजा जाना था, लेकिन इस बीच हसन नसरल्लाह की इजरायली हवाई हमले में मृत्यु हो गई।
27 सितंबर को, दक्षिणी बेरूत के दहीयेह में हिजबुल्लाह के मुख्यालय पर इजरायली हमले में नसरल्लाह की मृत्यु हो गई थी। इस हमले की पुष्टि पहले इज़राइल ने की थी और बाद में हिजबुल्लाह ने भी इसे स्वीकार किया।
नसरल्लाह की मृत्यु से ठीक एक दिन पहले अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, यूएई और अन्य सहयोगी देशों ने 21 दिनों के संघर्षविराम की अपील की थी ताकि कूटनीति को एक मौका मिल सके और सीमा पर तनाव कम किया जा सके। लेकिन इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था।
लेबनान और इजरायल के बीच सीमा पर लगातार हमले हो रहे हैं। इजरायली सेना ने नसरल्लाह की हत्या के बाद लेबनान में एक सीमित जमीनी हमला भी शुरू कर दिया। अब तक 1,900 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और 9,000 से ज्यादा घायल हो चुके हैं।
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