आख़िर तक – एक नज़र में
- ISRO ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का Proba-3 मिशन लॉन्च किया।
- मिशन का मुख्य उद्देश्य सूर्य की कोरोना का विस्तृत अध्ययन है।
- यह मिशन दो उपग्रहों के साथ एक कृत्रिम सूर्य ग्रहण बनाएगा।
- इसरो की अंतरराष्ट्रीय लॉन्च क्षमताओं को फिर से साबित किया गया।
- मिशन अंतरिक्ष विज्ञान में नई संभावनाओं को खोलेगा।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
Proba-3 मिशन का परिचय
ISRO ने बुधवार को यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) का Proba-3 मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किया। यह लॉन्च श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया। Proba-3 मिशन विशेष रूप से सूर्य की कोरोना का गहन अध्ययन करेगा, जो वैज्ञानिकों के लिए कई रहस्यों को उजागर कर सकता है।
मिशन का महत्व और उद्देश्य
Proba-3 में दो उपग्रह शामिल हैं: ओकल्टर सैटेलाइट (OSC) और कोरोनाग्राफ सैटेलाइट (CSC)। ओकल्टर सैटेलाइट 1.4 मीटर की डिस्क का उपयोग करके कृत्रिम सूर्य ग्रहण बनाएगा। यह तकनीक वैज्ञानिकों को सूर्य की कोरोना का 6 घंटे तक अध्ययन करने में सक्षम बनाएगी, जो प्राकृतिक ग्रहणों की तुलना में काफी अधिक समय है।
तकनीकी और रणनीतिक उपलब्धि
Proba-3 मिशन में इसरो की तकनीकी प्रगति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रदर्शन होता है। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, जो कभी यूरोपीय एजेंसियों पर निर्भर था। इसरो ने पिछले कुछ वर्षों में 300 से अधिक उपग्रह लॉन्च किए हैं और वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- ISRO ने यूरोप का Proba-3 मिशन लॉन्च किया।
- मिशन सूर्य की कोरोना का विस्तृत अध्ययन करेगा।
- यह भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में बढ़ती शक्ति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को दर्शाता है।
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