आख़िर तक – एक नज़र में
- भगवान शिव के रौद्र स्वरूप हैं भगवान भैरव, जिनकी पूजा कलियुग में शीघ्र फल देती है।
- काल भैरव अष्टक का नियमित पाठ करने से हर तरह की तांत्रिक बाधा और भय दूर होता है।
- यह शक्तिशाली स्तोत्र कुंडली में अशुभ राहु-केतु के दुष्प्रभावों को भी शांत करता है।
- कालभैरवाष्टकम् का जाप अष्ट सिद्धियों को प्रदान करने वाला माना गया है।
- काशी के कोतवाल कहे जाने वाले काल भैरव की यह स्तुति मृत्यु के भय को भी समाप्त करती है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
काल भैरव अष्टक (Kaal Bhairav Ashtakam): कलियुग की बाधाओं और संकटों से तत्काल मुक्ति के लिए काल भैरव अष्टक का पाठ अचूक माना जाता है। भगवान काल भैरव को देवाधिदेव महादेव का ही रौद्र स्वरूप कहा गया है। वे काशी के कोतवाल हैं और उनकी अनुमति के बिना वहां कुछ भी संभव नहीं है। मान्यता है कि जो भी भक्त पूरी श्रद्धा से इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसे जीवन में किसी भी प्रकार के भय, शत्रु या बाधा का सामना नहीं करना पड़ता।
कौन हैं भगवान काल भैरव?
शास्त्रों के अनुसार, भगवान भैरव की उत्पत्ति शिव के क्रोध से हुई थी। वे शिव के गण और माता पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। उनका स्वरूप भयानक है, वे काले वर्ण के हैं, और उनके हाथों में दंड होता है, इसलिए उन्हें “दंडाधिपति” भी कहा जाता है। भगवान भैरव की पूजा विशेष रूप से तंत्र साधना और नकारात्मक शक्तियों से बचाव के लिए की जाती है। वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं और दुष्टों का संहार करते हैं।
काल भैरव अष्टक का महत्व
कालभैरवाष्टकम् की रचना आदि शंकराचार्य ने की थी। यह आठ श्लोकों का एक बहुत ही शक्तिशाली और मनोहर स्तोत्र है।
- नकारात्मक शक्तियों से रक्षा: इस स्तोत्र के पाठ से भूत, प्रेत और किसी भी प्रकार की तांत्रिक बाधा से तत्काल छुटकारा मिलता है। घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है।
- राहु-केतु के दोषों का निवारण: ज्योतिष में राहु-केतु को छाया ग्रह माना गया है। इनकी अशुभ स्थिति जीवन में कई परेशानियां लाती है। काल भैरव अष्टक के पाठ से इन ग्रहों के दुष्प्रभाव शांत होते हैं।
- भय और रोगों से मुक्ति: यह पाठ मन से मृत्यु के भय को भी निकाल देता है। असाध्य रोगों से पीड़ित व्यक्ति को भी इसके जाप से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
- सर्व मनोकामना पूर्ति: भगवान भैरव की कृपा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। उन्हें अष्ट सिद्धियां, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
संपूर्ण कालभैरवाष्टकम् (संस्कृत)
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् ।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् ।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥
शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् ।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् ।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं
कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् ।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् ।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं
दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् ।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् ।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥
॥ फल श्रुति: पाठ का पुण्य फल ॥
कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं
ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् ।
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं
प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥
इसका अर्थ है: जो भी मनुष्य इस मनोहर काल भैरव अष्टक का पाठ करता है, वह ज्ञान और मुक्ति को प्राप्त करता है। यह विचित्र पुण्य को बढ़ाता है। यह स्तोत्र शोक, मोह, दीनता, लोभ, क्रोध और ताप का नाश करता है। ऐसे मनुष्य निश्चित ही मृत्यु के बाद कालभैरव के चरणों में स्थान पाते हैं।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- काल भैरव अष्टक, भगवान शिव के भैरव स्वरूप को समर्पित एक शक्तिशाली स्तोत्र है।
- इसका नित्य पाठ राहु-केतु के दोषों और हर प्रकार की तांत्रिक बाधा का निवारण करता है।
- कालभैरवाष्टकम् का जाप करने से अष्ट सिद्धियां और ज्ञान-मुक्ति प्राप्त होती है।
- यह चमत्कारी स्तोत्र शोक, मोह, लोभ और क्रोध जैसे मानसिक विकारों को भी दूर करता है।
- भगवान भैरव की पूजा कलियुग में शीघ्र फलदायी और सभी कष्टों का नाश करने वाली है।
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