आख़िर तक – एक नज़र में
- महायुति गठबंधन ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज की।
- भाजपा, अजित पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 288 में से 232 सीटें जीतीं।
- भाजपा ने 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी।
- चुनाव परिणाम के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर गठबंधन में तनाव पैदा हुआ।
- भाजपा, एकनाथ शिंदे और अजित पवार के बीच मुख्यमंत्री पद की दावेदारी ने स्थिति को जटिल बना दिया है।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
महायुति की ऐतिहासिक जीत
महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनावों में महायुति गठबंधन ने 288 में से 232 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। इस गठबंधन में भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं। भाजपा ने 132 सीटों पर जीत हासिल की, जिससे वह राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन गई।
मुख्यमंत्री पद पर संघर्ष शुरू
चुनाव के नतीजों के बाद, मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा, शिवसेना और एनसीपी के बीच खींचतान शुरू हो गई। भाजपा का दावा है कि सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते मुख्यमंत्री पद उसका अधिकार है। वहीं, एकनाथ शिंदे इस पद को बरकरार रखने की कोशिश में हैं।
भाजपा का दावा और रणनीति
भाजपा का तर्क है कि उसकी 89% स्ट्राइक रेट और 132 सीटें मुख्यमंत्री पद के लिए उसे स्वाभाविक दावेदार बनाती हैं। भाजपा देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है ताकि 2029 के चुनावों के लिए पार्टी का मनोबल ऊंचा रहे।
शिंदे की स्थिति
एकनाथ शिंदे का मानना है कि यह जीत उनकी नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है। उन्होंने इसे शिवसेना के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पद बरकरार रखना आवश्यक है।
अजित पवार का समर्थन
अजित पवार ने भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावे का समर्थन किया है। उन्होंने इसे गठबंधन में स्थिरता लाने और शक्ति संतुलन बनाए रखने की रणनीति बताया।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
महायुति की जीत के बावजूद मुख्यमंत्री पद पर संघर्ष जारी है। भाजपा, शिवसेना और एनसीपी के बीच होने वाले आगामी निर्णय महाराष्ट्र की राजनीति को नई दिशा देंगे।
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