ऑपरेशन मिडनाइट हैमर: ईरान पर US का 25 मिनट का हमला

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ऑपरेशन मिडनाइट हैमर: ईरान पर US का 25 मिनट का हमला

आख़िर तक – एक नज़र में

  • अमेरिका ने ईरान के परमाणु स्थलों पर एक गुप्त सैन्य हमला किया, जिसका कोडनेम ऑपरेशन मिडनाइट हैमर था।
  • इस हमले में 125 से अधिक विमान शामिल थे और इसे सिर्फ 25 मिनट में पूरा कर लिया गया।
  • अमेरिकी B-2 बॉम्बर ने फोर्डो और नातान्ज परमाणु स्थलों पर 30,000 पाउंड के बम गिराए।
  • ईरान को धोखा देने के लिए प्रशांत महासागर के ऊपर एक डिकॉय (नकली) बॉम्बर मिशन भी चलाया गया।
  • हैरानी की बात यह है कि ईरानी एयर डिफेंस सिस्टम अमेरिकी विमानों का पता लगाने में पूरी तरह विफल रहा।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

वाशिंगटन: अमेरिकी सेना ने ईरान के खिलाफ एक बड़े और विनाशकारी सैन्य हमले का खुलासा किया है। इस हमले को ऑपरेशन मिडनाइट हैमर कोडनेम दिया गया था। एक शीर्ष अमेरिकी जनरल ने रविवार को बताया कि इस ऑपरेशन में ईरान के प्रमुख परमाणु स्थलों को निशाना बनाया गया। यह हमला अत्यंत सटीकता और गति के साथ किया गया, जिससे ईरान-अमेरिका तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है।

क्या है ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’?

ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन जनरल डैन केन ने व्हाइट हाउस में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह एक सुनियोजित अमेरिकी हमला था। इसमें 125 से अधिक विमानों ने हिस्सा लिया। मिशन का मुख्य उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बाधित करना था। इसके लिए फोर्डो, नातान्ज और इस्फहान में स्थित ईरान परमाणु स्थल को निशाना बनाया गया। यह हमला शनिवार को किया गया था।

कैसे दिया गया ईरान को चकमा?

जनरल केन ने हमले की सबसे बड़ी खासियत इसका डिकॉय ऑपरेशन बताया। उन्होंने कहा, “मुख्य हमले से पहले सामरिक गोपनीयता बनाए रखने के लिए एक योजना बनाई गई।” इस योजना के तहत, बॉम्बर विमानों के एक हिस्से को पश्चिम की ओर प्रशांत महासागर में भेजा गया। यह एक धोखा था, जिसकी जानकारी कुछ ही प्रमुख योजनाकारों को थी। इस धोखे के कारण ईरान का ध्यान भटक गया और मुख्य हमलावर विमान आसानी से अपने लक्ष्य तक पहुँच गए।

हमले की हैरान करने वाली टाइमलाइन

जनरल केन ने हमले का पूरा घटनाक्रम विस्तार से बताया।

  • शनिवार शाम करीब 5 बजे (ET), एक अमेरिकी पनडुब्बी ने इस्फहान परमाणु स्थल पर दो दर्जन से अधिक टॉमहॉक क्रूज मिसाइलें दागीं।
  • शाम 6:40 बजे (ET), प्रमुख B-2 बॉम्बर ने फोर्डो परमाणु स्थल पर दो विशाल बंकर-बस्टर बम गिराए।
  • इसके बाद बाकी हमलावर विमानों ने अपने-अपने लक्ष्यों को निशाना बनाया।
  • शाम 7:05 बजे (ET) तक सभी विमान ईरानी हवाई क्षेत्र से बाहर निकल चुके थे।

यह पूरा ऑपरेशन मिडनाइट हैमर सिर्फ 25 मिनट में पूरा हो गया।

B-2 बॉम्बर और घातक हथियारों का इस्तेमाल

इस हमले में सात स्टील्थ B-2 बॉम्बर विमान शामिल थे। इन विमानों ने मिसौरी के एक बेस से उड़ान भरी थी। यह 9/11 हमलों के बाद B-2 विमानों का सबसे लंबा मिशन था। इन बमवर्षकों ने फोर्डो और नातान्ज पर एक दर्जन से अधिक 30,000 पाउंड के ‘मैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर’ बम गिराए। ये बम जमीन के अंदर गहरे बंकरों को भी नष्ट करने में सक्षम हैं। इसके अलावा इस्फहान पर टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया।

ईरान क्यों नहीं कर पाया जवाबी कार्रवाई?

जनरल केन ने बताया कि ईरानी वायु रक्षा प्रणाली अमेरिकी विमानों को देख ही नहीं पाई। उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि ईरान के सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल सिस्टम ने हमें नहीं देखा।” अमेरिकी विमानों पर आते या जाते समय कोई गोली नहीं चलाई गई। हमले को पूरी तरह गुप्त रखने के लिए टॉमहॉक मिसाइल से आखिरी हमला किया गया।


आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें

  • अमेरिका ने ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के तहत ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला किया।
  • यह हमला सिर्फ 25 मिनट में पूरा हुआ, जिसमें B-2 बॉम्बर और टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ।
  • ईरान को धोखा देने के लिए एक जटिल डिकॉय ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।
  • इस हमले ने ईरान-अमेरिका तनाव को एक नए स्तर पर पहुंचा दिया है।
  • ईरान की वायु रक्षा प्रणाली अमेरिकी स्टील्थ विमानों का पता लगाने में पूरी तरह नाकाम रही।

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