आख़िर तक – In Shorts
- कर्नाटक हाई कोर्ट ने मस्जिद में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने पर धार्मिक भावनाओं के आहत होने की धारणा को खारिज किया।
- अदालत ने कहा कि यह कृत्य किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचाता और इससे सार्वजनिक व्यवस्था प्रभावित नहीं हुई।
- हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया।
आख़िर तक – In Depth
कर्नाटक हाई कोर्ट ने दो व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया, जिन्होंने मस्जिद में “जय श्री राम” के नारे लगाए थे। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह कृत्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के इरादे से नहीं किया गया था और इससे सार्वजनिक व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ा।
यह घटना पिछले साल कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में हुई थी। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना), 447 (आपराधिक अतिक्रमण) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
आरोपी हाई कोर्ट पहुंचे और उनके वकील ने तर्क दिया कि मस्जिद एक सार्वजनिक स्थल है, इसलिए आपराधिक अतिक्रमण का कोई मामला नहीं बनता। अदालत ने माना कि “जय श्री राम” का नारा धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं करता, खासकर तब जब क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम समुदाय सौहार्दपूर्ण तरीके से रहते हैं।
राज्य सरकार ने इस याचिका का विरोध किया और जांच जारी रखने की मांग की, लेकिन अदालत ने कहा कि यह मामला धारा 295ए के अंतर्गत नहीं आता और इससे शांति भंग या सार्वजनिक व्यवस्था में कोई गड़बड़ी नहीं हुई। इस मामले में आगे की कार्रवाई अदालत ने कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए रद्द कर दी।
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