ट्रंप का जन्मसिद्ध अधिकार खत्म करने का फैसला, भारतीयों पर असर

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ट्रंप का जन्मसिद्ध अधिकार खत्म करने का फैसला, भारतीयों पर असर

आख़िर तक – एक नज़र में

  1. डोनाल्ड ट्रंप ने जन्मसिद्ध नागरिकता खत्म करने का फैसला लिया है।
  2. यह अधिकार अमेरिका में पैदा हुए हर व्यक्ति को नागरिकता देता है।
  3. ट्रंप ने इसे अवैध आव्रजन को बढ़ावा देने वाला बताया है।
  4. इस फैसले से अमेरिका में रहने वाले भारतीय प्रभावित हो सकते हैं।
  5. यह 1868 में पारित 14वें संशोधन द्वारा स्थापित किया गया था।

आख़िर तक – विस्तृत समाचार

ट्रंप का जन्मसिद्ध नागरिकता खत्म करने का फैसला
अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले दिन जन्मसिद्ध नागरिकता को खत्म करने का ऐलान किया है। यह संवैधानिक अधिकार 150 सालों से अधिक समय से लागू है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका में पैदा होने वाले हर व्यक्ति को अमेरिकी नागरिकता प्रदान करता है। ट्रंप ने इस प्रावधान को “हास्यास्पद” बताया है। यह “जन्मसिद्ध अधिकार” का मुद्दा अमेरिका में एक बड़ा विवाद बन गया है।

जन्मसिद्ध अधिकार का इतिहास
अमेरिकी कांग्रेस ने अमेरिकी गृहयुद्ध के बाद 1866 में 14वां संशोधन पारित किया था। 1868 में, इस संशोधन की पुष्टि की गई और इसने अमेरिका की धरती पर पैदा होने वाले लोगों को नागरिकता दी। यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट के ड्रेड स्कॉट के फैसले को भी पलटता है, जिसने गुलामों और गुलामों के वंशजों को नागरिक बनने से प्रतिबंधित किया था। यह “जन्मसिद्ध अधिकार” अमेरिकी संविधान का हिस्सा बन गया।

भारतीयों पर प्रभाव
अमेरिका में 54 लाख से अधिक भारतीय अमेरिकी हैं। वे अमेरिका की कुल आबादी का 1.47% हैं, जिनमें से दो-तिहाई से अधिक अप्रवासी हैं और 34% अमेरिका में पैदा हुए थे। यदि “जन्मसिद्ध अधिकार” खत्म किया जाता है, तो ग्रीन कार्ड और एच-1बी वीजा पर अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के बच्चों को अमेरिकी नागरिकता नहीं मिलेगी। उन्हें प्राकृतिकरण या अन्य कानूनी उपायों का सहारा लेना पड़ सकता है।

अवैध आव्रजन का कारण
ट्रंप ने सीबीएस न्यूज के साथ एक इंटरव्यू में जन्मसिद्ध नागरिकता को अमेरिका में अवैध आव्रजन का सबसे बड़ा कारण बताया है। ट्रंप ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से इस प्रावधान को हटाने की योजना बनाई थी, लेकिन उनका ध्यान महामारी से जुड़ी चिंताओं की ओर चला गया। अब, ट्रंप इस “जन्मसिद्ध अधिकार” को खत्म करने पर तुले हुए हैं।

कानूनी चुनौतियाँ
ट्रंप का कहना है कि वह एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से इस प्रावधान को खत्म करने की कोशिश करेंगे। आवश्यकता पड़ने पर वह एक संवैधानिक संशोधन भी शुरू कर सकते हैं। लेकिन यह आसान नहीं होगा। अमेरिकी इतिहास में केवल एक बार एक संवैधानिक संशोधन को रद्द किया गया है, जो 18वां संशोधन था, जिसे 1933 में 21वें संशोधन द्वारा निरस्त कर दिया गया था। इससे पहले किसी संशोधन को रद्द नहीं किया गया है।

जन्मसिद्ध नागरिकता पर विवाद
जन्मसिद्ध नागरिकता के विरोधियों का तर्क है कि यह केवल उन बच्चों पर लागू होता है जिनके दोनों माता-पिता अमेरिका में कानूनी रूप से अप्रवासी थे, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह उन बच्चों पर लागू होता है या नहीं जिनके एक या दोनों माता-पिता के पास अमेरिका में कानूनी स्थिति नहीं है। इस “जन्मसिद्ध अधिकार” पर कई तरह के सवाल उठाए गए हैं।

ट्रंप का रवैया
ट्रंप और उनके सीमा जार टॉम होमन ने इस पर अपनी राय व्यक्त की है। होमन ने कहा, “यदि आप देश में आते हैं और एक बच्चा पैदा करते हैं, तो यह आपकी जिम्मेदारी है। आप या तो बच्चे को अपने साथ ले जा सकते हैं, लेकिन यह आपकी जिम्मेदारी है।” ट्रंप ने पहले भी गर्भवती महिलाओं को अमेरिका आने से रोकने की कोशिश की थी, ताकि जन्म पर्यटन को रोका जा सके।

आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
डोनाल्ड ट्रंप ने “जन्मसिद्ध अधिकार” को खत्म करने का फैसला किया है, जिससे अमेरिका में रहने वाले भारतीय प्रभावित हो सकते हैं। यह फैसला अवैध आव्रजन को रोकने के लिए लिया गया है। इस मुद्दे पर कानूनी चुनौतियाँ और विवाद बने हुए हैं।


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आख़िर तक मुख्य संपादक
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