ट्रम्प की वापसी से खालिस्तान आंदोलन पर सख्ती संभव

2 Min Read
ट्रम्प की वापसी से खालिस्तान आंदोलन पर सख्ती संभव

आख़िर तक – इन शॉर्ट्स

  • डोनाल्ड ट्रम्प की वापसी से खालिस्तान आंदोलन पर अमेरिका में सख्ती बढ़ सकती है।
  • ट्रम्प की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति और मोदी से करीबी संबंध इस सख्ती को प्रेरित कर सकते हैं।
  • कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो से ट्रम्प के तनावपूर्ण संबंध इस समस्या को और बढ़ा सकते हैं।

आख़िर तक – इन डेप्थ

डोनाल्ड ट्रम्प की संभावित वापसी से खालिस्तान आंदोलन को लेकर अमेरिकी नीतियों में बड़ा बदलाव हो सकता है। हाल के वर्षों में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों में तेजी देखी गई है, जिसमें भारत के दूतावासों पर हमले और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाना शामिल है। ट्रम्प की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत खालिस्तान आंदोलन के हिंसक तत्वों पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है, खासकर मोदी के साथ उनके करीबी संबंधों और ट्रूडो के साथ उनके तनावपूर्ण रिश्तों के मद्देनजर।

ट्रम्प ने अपने पिछले कार्यकाल में अमेरिका की सुरक्षा और संप्रभुता को प्राथमिकता दी थी। उन्होंने हिंसक समूहों और विदेशों से आने वाले खतरों पर सख्त कार्रवाई की थी। खालिस्तान आंदोलन, जो हाल के वर्षों में उत्तरी अमेरिका में तेज़ हुआ है, ट्रम्प की नजर में एक प्रमुख सुरक्षा खतरा बन सकता है। भारतीय-अमेरिकी समुदाय के प्रति बढ़ते हमलों को देखते हुए, ट्रम्प प्रशासन से ऐसी गतिविधियों को नियंत्रित करने की उम्मीद की जा सकती है।

ट्रम्प और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच अच्छे संबंध रहे हैं, जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा और रणनीतिक सहयोग मजबूत हुआ है। इस पृष्ठभूमि में, ट्रम्प की वापसी से भारत को खालिस्तान समर्थक हिंसा पर अमेरिका से अधिक समर्थन मिलने की संभावना है। इसके विपरीत, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ ट्रम्प के तनावपूर्ण रिश्ते खालिस्तान समर्थकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं, क्योंकि ट्रम्प शायद ट्रूडो के रुख के खिलाफ सख्त रुख अपना सकते हैं।


Discover more from पाएं देश और दुनिया की ताजा खबरें

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

आख़िर तक मुख्य संपादक
Share This Article
Leave a Comment

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Recipe Rating




Exit mobile version