केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्षी आरोपों के बीच बजट 2024 का बचाव किया। उन्होंने कहा कि कोई राज्य उपेक्षित नहीं रहा और विपक्ष नागरिकों को गुमराह कर रहा है।
बजट 2024: एक संपूर्ण दृष्टिकोण
सीतारमण ने अपने भाषण में कहा कि बजट का उद्देश्य सभी राज्यों को लाभ पहुंचाना था। उन्होंने कहा कि हर राज्य का नाम न लेना इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें नजरअंदाज किया गया है। महाराष्ट्र के वंधावन में बंदरगाह स्थापित करने का निर्णय उल्लेख किया गया, भले ही बजट भाषण में राज्य का नाम नहीं लिया गया था।
- मुख्य परियोजनाएँ: बजट में विभिन्न राज्यों में बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के लिए परियोजनाएँ शामिल हैं।
- आर्थिक सहायता: विकासशील और विकसित राज्यों दोनों के लिए वित्तीय सहायता और पैकेज आवंटित किए गए हैं।
विपक्ष की आलोचना और आरोप
कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष ने बजट की आलोचना की, इसे ‘कुर्सी बचाओ’ (कुर्सी बचाओ) कहकर बीजेपी के सहयोगी राज्यों जैसे बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष परियोजनाओं के कारण। कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने बजट को भेदभावपूर्ण बताया और कहा कि यह कुछ राज्यों के पक्ष में है।
- विपक्ष का रुख: उनका कहना है कि बजट केवल बीजेपी शासित राज्यों को लाभान्वित करता है, अन्य को उपेक्षित छोड़ देता है।
- विरोध प्रदर्शन: प्रमुख नेताओं सहित विपक्षी सांसदों ने वाकआउट और विरोध प्रदर्शन किया और निष्पक्ष बजट की मांग की।
एनडीए की रक्षा और स्पष्टीकरण
सीतारमण ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि विपक्ष के दावे निराधार हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार की नीतियां और कार्यक्रम सभी राज्यों तक पहुंचते हैं, चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो।
- सरकार का रुख: वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि बजट का आवंटन आवश्यकता और संभावित प्रभाव के आधार पर किया गया था, न कि राजनीतिक पक्षपात के आधार पर।
- स्पष्टीकरण: उन्होंने स्पष्ट किया कि कुछ राज्यों का नाम भाषण के समय की कमी के कारण नहीं लिया गया था, उपेक्षा के कारण नहीं।
सार्वजनिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
बजट ने राजनीतिक स्पेक्ट्रम और जनता में विविध प्रतिक्रियाएं उत्पन्न की हैं। जहां कुछ लोग समावेशी दृष्टिकोण की प्रशंसा करते हैं, वहीं अन्य विपक्ष की चिंताओं को दोहराते हैं।
- समर्थकों के विचार: कई लोगों का मानना है कि बजट सभी राज्यों के लिए संतुलित विकास के अवसर प्रदान करता है।
- आलोचकों की राय: आलोचकों का कहना है कि सरकार को आवंटन प्रक्रिया में अधिक पारदर्शी होना चाहिए था।
बजट 2024 राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है, जिसमें सरकार विपक्ष के आरोपों के खिलाफ अपने रुख का बचाव कर रही है। जैसे-जैसे चर्चा आगे बढ़ती है, ध्यान पूरे देश में समान विकास सुनिश्चित करने पर बना रहता है।
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