नीट विवाद: सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले पटना एम्स के डॉक्टर हिरासत में

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NEET पेपर लीक: मास्टरमाइंड और एमबीबीएस सॉल्वर गिरफ्तार

नीट-यूजी की आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने पटना एम्स के तीन डॉक्टरों को हिरासत में लिया है। ये डॉक्टर नीट-यूजी पेपर लीक और प्रवेश परीक्षा में अनियमितताओं से जुड़े हैं। यह हिरासत मेडिकल प्रवेश परीक्षा और इसकी प्रशासनिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठाती है।

हिरासत में लिए गए डॉक्टरों का विवरण

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हिरासत में लिए गए डॉक्टर पटना एम्स के 2021 बैच के हैं। इन्हें नीट-यूजी पेपर लीक में शामिल होने के संदर्भ में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। सीबीआई ने उनके कमरों को सील कर दिया है और उनके लैपटॉप और मोबाइल फोन जब्त कर लिए हैं।

मामले में पूर्व गिरफ्तारियां

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इस हिरासत के पहले, सीबीआई ने पंकज कुमार और राजू सिंह को भी गिरफ्तार किया था। पंकज कुमार, जो पेपर लीक माफिया का हिस्सा बताया जाता है, और राजू सिंह को पटना और हजारीबाग से गिरफ्तार किया गया था। पंकज कुमार ने राजू की मदद से नीट-यूजी प्रश्न पत्र चुराए थे। दोनों अब आगे की जांच के लिए सीबीआई की हिरासत में हैं।

नीट-यूजी घोटाले का विस्तार

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सीबीआई ने नीट पेपर लीक मामले में पहले ही नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके अलावा, एजेंसी के पास 13 अन्य आरोपियों की भी हिरासत है, जिनमें इस मामले के कथित मास्टरमाइंड रॉकी उर्फ राकेश रंजन भी शामिल हैं। यह व्यापक जांच इस घोटाले की गहराई और नीट-यूजी परीक्षा प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर इसके प्रभाव को दर्शाती है।

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई

आज, सुप्रीम कोर्ट नीट-यूजी विवाद से संबंधित कई याचिकाओं की सुनवाई करेगा। इन याचिकाओं में परीक्षा रद्द करने, पुनः परीक्षा कराने और कथित कदाचार की विस्तृत जांच की मांग शामिल है। पिछले सुनवाई में, 11 जुलाई को, कोर्ट ने केंद्र और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के जवाबों के लिए आज तक का समय दिया था।

कोर्ट की चिंताएं

8 जुलाई की सुनवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी 2024 परीक्षा की पवित्रता पर चिंता व्यक्त की थी। कोर्ट ने सुझाव दिया था कि यदि पूरी प्रक्रिया प्रभावित हुई है, तो पुनः परीक्षा की आवश्यकता हो सकती है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली बेंच ने एनटीए और सीबीआई से कथित पेपर लीक के समय और तरीके के बारे में विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी।

केंद्र और एनटीए की प्रतिक्रिया

केंद्र और एनटीए ने सुप्रीम कोर्ट में अतिरिक्त हलफनामे दाखिल किए हैं। आईआईटी-मद्रास द्वारा किए गए डेटा एनालिटिक्स पर आधारित केंद्र के हलफनामे में कहा गया है कि नीट-यूजी 2024 परिणामों में “व्यापक कदाचार” या स्थानीय स्तर पर उम्मीदवारों को असामान्य रूप से उच्च अंक मिलने का संकेत नहीं मिला है। इसमें यह भी कहा गया है कि 2024-25 के लिए अंडरग्रेजुएट सीटों के लिए काउंसलिंग जुलाई के तीसरे सप्ताह में शुरू होगी।

एनटीए के हलफनामे ने इन निष्कर्षों की पुष्टि की है, यह कहते हुए कि कुछ उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त उच्च अंक “प्रणालीगत विफलता” का संकेत नहीं देते हैं। एनटीए ने कहा कि 25% पाठ्यक्रम की कमी ने उम्मीदवारों को बेहतर स्कोर करने में मदद की है।

जनता की प्रतिक्रिया और प्रभाव

पटना एम्स के डॉक्टरों की हिरासत ने व्यापक जनता और मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है। नीट-यूजी घोटाले ने भारत की मेडिकल प्रवेश परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। छात्र और अभिभावक चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और प्रभावित उम्मीदवारों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

जांच जारी

सीबीआई नीट-यूजी पेपर लीक मामले की जांच जारी रखे हुए है। एजेंसी जब्त किए गए साक्ष्यों का विश्लेषण कर रही है और हिरासत में लिए गए व्यक्तियों से पूछताछ कर रही है ताकि घोटाले की पूरी गहराई का पता लगाया जा सके। इस जांच का परिणाम नीट-यूजी और इसी तरह की अन्य प्रवेश परीक्षाओं के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होगा।

नीट-यूजी पेपर लीक घोटाले ने भारत की सबसे महत्वपूर्ण प्रवेश परीक्षाओं में से एक की प्रशासनिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण कमजोरियों को उजागर किया है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई से पहले पटना एम्स के डॉक्टरों की हिरासत इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाती है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है और सुप्रीम कोर्ट याचिकाओं पर विचार कर रहा है, नीट-यूजी 2024 और व्यापक परीक्षा प्रणाली का भविष्य अधर में लटका हुआ है।


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