आख़िर तक – इन शॉर्ट्स
- भारत और कनाडा के बीच चल रहे राजनयिक विवाद से वीज़ा सेवाओं पर असर पड़ सकता है।
- भारतीय छात्रों और प्रवासियों के वीज़ा आवेदनों पर अनिश्चितता बनी हुई है।
- कनाडा में भारतीय छात्रों की संख्या कम हो सकती है क्योंकि वीज़ा सेवाएं सीमित हो रही हैं।
आख़िर तक – इन डेप्थ
भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद का असर वीज़ा सेवाओं पर साफ़ दिखने लगा है। हाल के विवादों के कारण वीज़ा प्रक्रिया में अड़चनें आ रही हैं, जिससे छात्र, विशेष रूप से भारतीय मूल के छात्र, प्रभावित हो सकते हैं। भारत के विदेश मंत्रालय ने साफ़ कर दिया है कि वे और भी सख्त कदम उठाने का अधिकार रखते हैं, जिससे कनाडा जाने वाले छात्रों की संख्या में गिरावट हो सकती है।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप निज्जर की हत्या के पीछे भारतीय एजेंटों का हाथ था। इसके बाद, भारत ने छह कनाडाई राजनयिकों को देश से बाहर निकाल दिया और हाई कमिश्नर समेत अन्य अधिकारियों को वापस बुला लिया। इससे दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध और वीज़ा सेवाओं में रुकावट आई। वीज़ा सेवाओं में पहले से ही कमी थी, और अब इन सेवाओं पर और अधिक असर पड़ सकता है, जिससे कनाडा में उच्च शिक्षा के लिए आवेदन करने वाले छात्रों को परेशानी हो रही है।
कनाडा, जिसने अपने अधिकांश राजनयिकों को वापस बुला लिया है और मिशनों में स्थानीय कर्मचारियों की संख्या में भी कमी की है, ने पहले से ही अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए वीज़ा सीमित कर दिया है। कनाडा ने 2022 के मुकाबले 35% कम वीज़ा जारी किया है, जिससे भारतीय छात्रों के लिए अवसर कम हो गए हैं। इस निर्णय से भारतीय छात्र सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं, जो कनाडा के कुल अंतर्राष्ट्रीय छात्र जनसंख्या का 41% हिस्सा बनाते हैं।
भारत में रहने वाले कनाडाई नागरिक जिनके पास वैध ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड या लंबी अवधि का वीज़ा था, उन्हें इस विवाद से ज़्यादा असर नहीं हुआ है, लेकिन वीज़ा सेवाओं के निलंबन के दौरान सामान्य आवेदकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। नवंबर 2023 से भारत ने वीज़ा सेवाओं को धीरे-धीरे फिर से शुरू किया, जिसमें व्यवसायिक और चिकित्सा वीज़ा को प्राथमिकता दी गई।
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