आख़िर तक – शॉर्ट्स में
- विकाश यादव, एक पूर्व RAW अधिकारी, पर अमेरिका ने खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश का आरोप लगाया।
- उनके वकीलों का दावा है कि आरोप झूठे हैं और यादव को अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
- अमेरिकी न्याय विभाग ने यादव को इस साजिश में उनके सह-साजिशकर्ता निकिल गुप्ता के साथ अभियोग में नामित किया है।
आख़िर तक – इन डेप्थ
पूर्व भारतीय खुफिया अधिकारी विकाश यादव पर लगे गंभीर आरोपों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है। अमेरिकी न्याय विभाग ने आरोप लगाया है कि यादव ने भारत और विदेशों के व्यक्तियों के साथ मिलकर खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रची थी। विकाश यादव के वकील, आर.के. हंडू और आदित्य चौधरी, ने इंडिया टुडे टीवी से बातचीत में कहा कि यह आरोप पूरी तरह से निराधार हैं और उनके मुवक्किल को अंतरराष्ट्रीय राजनीति में बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
आरोप और बचाव
यादव के वकीलों का कहना है कि उन्हें इन आरोपों की जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स से मिली। वकीलों ने जोर देकर कहा कि यादव ने कभी विदेश यात्रा नहीं की है। उन्होंने अमेरिकी आरोपों को भारत और इसकी न्यायपालिका के खिलाफ साजिश करार दिया। वकीलों ने यह भी कहा कि यादव के खिलाफ पहले के जबरन वसूली के मामले का हवाला देकर उन्हें अमेरिका में प्रत्यर्पण से बचाने का आरोप गलत है। उन्होंने इसे भारतीय न्यायिक प्रणाली पर संदेह करने के समान बताया।
अमेरिकी अभियोग की विस्तार
न्यूयॉर्क कोर्ट में यादव के खिलाफ दूसरा अभियोग खोला गया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने और उनके सह-साजिशकर्ता निकिल गुप्ता ने 100,000 अमेरिकी डॉलर में पन्नू की हत्या की साजिश रची थी। लेकिन हत्या के लिए नियुक्त व्यक्ति एफबीआई का मुखबिर निकला। भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया कि यादव अब भारतीय सरकार के साथ काम नहीं कर रहे हैं।
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