आख़िर तक – एक नज़र में
- अजित पवार को बिनामी संपत्ति मामले में राहत मिली।
- दिल्ली ट्रिब्यूनल ने आरोपों को सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया।
- आयकर विभाग ने 2021 में पवार परिवार की संपत्तियों को जब्त किया था।
- ट्रिब्यूनल ने कहा कि संपत्ति वैध माध्यमों से खरीदी गई थी।
- इस फैसले से पवार परिवार पर लगे कानूनी संकट का अंत हुआ।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
बिनामी संपत्ति मामले में क्या था विवाद?
2021 में आयकर विभाग ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और उनके परिवार पर बिनामी संपत्ति के आरोप लगाए। 1000 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की गईं, जिनमें शुगर फैक्ट्री, दिल्ली में फ्लैट, मुंबई में ऑफिस और गोवा में रिसॉर्ट शामिल थे।
ट्रिब्यूनल का फैसला
दिल्ली में बिनामी संपत्ति ट्रांजैक्शन ट्रिब्यूनल ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। निर्णय में कहा गया कि प्रस्तुत दस्तावेजों से कोई अनियमितता साबित नहीं होती।
कानूनी बचाव और प्रमुख तर्क
अजित पवार के वकील प्रशांत पाटिल ने तर्क दिया कि ये संपत्तियां वैध माध्यमों से खरीदी गई थीं। ट्रिब्यूनल ने भी माना कि सभी भुगतान बैंकिंग माध्यमों से हुए।
राजनीतिक प्रभाव और पृष्ठभूमि
यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब अजित पवार महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाल चुके हैं। यह उनके राजनीतिक भविष्य के लिए एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- अजित पवार पर लगे बिनामी संपत्ति के आरोप खारिज।
- ट्रिब्यूनल ने सबूतों के अभाव में केस रद्द किया।
- संपत्तियां वैध तरीके से खरीदी गईं।
- महाराष्ट्र और देश की राजनीति में इस फैसले का असर।
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