आख़िर तक – एक नज़र में
- राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शपथ ग्रहण के बाद बाइडन-हैरिस प्रशासन की नीतियों की जमकर आलोचना की।
- उन्होंने उनके चार साल के कार्यकाल को “अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ” करार दिया।
- ट्रंप ने न केवल बाइडन के फैसलों, बल्कि उनकी क्षमादान नीति पर भी तीखे सवाल उठाए।
- ट्रंप के भाषण में अमेरिकी राष्ट्रीयता और स्वतंत्रता की वकालत की गई।
- उनके भाषण को दर्शकों ने खड़े होकर सराहा, जबकि बाइडन-हैरिस असहज दिखे।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
ट्रंप का शपथ ग्रहण और बाइडन-हैरिस पर हमला
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपनी वापसी को ऐतिहासिक करार दिया और शपथ ग्रहण के तुरंत बाद बाइडन-हैरिस प्रशासन की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि “अमेरिका का स्वर्ण युग अब शुरू होता है।” ट्रंप ने बाइडन सरकार को “अराजक और भ्रष्ट” करार दिया, जो अमेरिकी मूल्यों को कमजोर कर रही थी।
क्षमादान और नीति पर सवाल
ट्रंप ने बाइडन द्वारा शपथ ग्रहण से पहले अपने परिवार और करीबियों को क्षमादान देने पर सवाल उठाए। बाइडन ने अपने परिवार के पांच सदस्यों और कई सहयोगियों को माफी दी, जिनमें उनके भाई जेम्स, पत्नी सारा और बहन वैलरी शामिल थे। ट्रंप ने इसे “न्याय का राजनीतिकरण” कहा।
स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की वकालत
ट्रंप ने कहा कि “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पिछले प्रशासन ने हमला किया। मैं इसे बहाल करूंगा।” उन्होंने सरकारी शक्ति के दुरुपयोग को समाप्त करने की बात कही।
बाइडन-हैरिस प्रशासन पर तीखे आरोप
ट्रंप ने बाइडन-हैरिस की नीतियों को “असफल और कमजोर” करार दिया। उन्होंने कहा कि “बाइडन सरकार घर की समस्याओं को हल करने में असमर्थ रही।”
दर्शकों की प्रतिक्रिया
ट्रंप के भाषण को दर्शकों ने खड़े होकर सराहा। उन्होंने कहा, “यह भाषण अमेरिकी राष्ट्रवाद को फिर से स्थापित करेगा।”
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- ट्रंप ने बाइडन-हैरिस प्रशासन को कमजोर और भ्रष्ट बताया।
- स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति को बहाल करने का वादा किया।
- बाइडन द्वारा क्षमादान नीति पर सवाल उठाए।
- दर्शकों ने ट्रंप के भाषण को सराहा।
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