आख़िर तक – एक नज़र में
- दिल्ली में एकात्म मानववाद संगोष्ठी का भव्य आयोजन हुआ।
- केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे संबोधित किया।
- उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन को भारतीय विचार का सार बताया।
- कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत कहा गया।
- पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तिकरण पर भी जोर दिया गया।
आख़िर तक – विस्तृत समाचार
‘एकात्म मानववाद’ की 60वीं वर्षगांठ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के ‘एकात्म मानववाद’ दर्शन की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर नई दिल्ली स्थित एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में एक राष्ट्रीय स्मृति संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस महत्वपूर्ण एकात्म मानववाद संगोष्ठी को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज संबोधित किया। इस अवसर पर, केंद्रीय मंत्री ने ‘एकात्म मानववाद’ के अर्थ को विस्तार से बताया। उन्होंने वर्तमान संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डाला। यह भारतीय दर्शन की गहराई को दर्शाता है।
एकात्म मानववाद: भारतीय विचार का सार
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए, श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “मैं श्रद्धेय पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के चरणों में नमन करता हूं।” उन्होंने पूरे विश्वास के साथ कहा, “आज दुनिया जिन समस्याओं का सामना कर रही है, उनका समाधान ‘एकात्म मानववाद’ के दर्शन में निहित है।” उन्होंने स्पष्ट किया, “यह कोई जटिल दर्शन नहीं है; बल्कि, यह भारतीय विचार का सार है।” पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने समाज और राष्ट्र निर्माण का एक अद्वितीय मार्ग दिखाया।
श्री चौहान ने कहा कि पहले दुनिया में राजशाही थी। लेकिन बाद में लोगों ने सवाल उठाया कि केवल एक ही व्यक्ति शासन क्यों करे। स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के आदर्शों के तहत राजशाही या तो समाप्त कर दी गई या उनकी शक्तियों को काफी हद तक कम कर दिया गया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने कहा कि पश्चिम का अंधानुकरण न करें। उन्होंने पूछा कि क्या भारत का अपना कोई दर्शन है जिस पर समाज और राज्य का निर्माण किया जा सके। तभी पंडित दीनदयाल जी ने ‘एकात्म मानववाद’ प्रस्तुत किया।
कृषि: भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत
कृषि के संदर्भ में बोलते हुए, श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यदि भारतीय अर्थव्यवस्था की कोई सबसे बड़ी ताकत है, तो वह खेती है। उन्होंने भावुक होकर कहा, “मैं सिर्फ कृषि मंत्री नहीं हूं; मैं ‘कृषि’ शब्द को जीता हूं। खेती और किसान मेरी रगों में दौड़ते हैं।” यह भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
मानववाद के विभिन्न रूपों पर विचार करते हुए, श्री चौहान ने कहा, “न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण बल की खोज की, जिस कारण वस्तुएं जमीन पर गिरती हैं। इस खोज से उन्हें जो खुशी मिली, उसे बुद्धि का आनंद कहा जाता है।”
धन का महत्व और प्राकृतिक संतुलन
जीवन में धन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, श्री चौहान ने कहा कि पंडित दीनदयाल जी ने भौतिक संसाधनों की आवश्यकता पर भी जोर दिया। भोजन, वस्त्र और आश्रय जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए धन महत्वपूर्ण है। लेकिन धन एक ऐसी आवश्यकता है जो न तो अत्यधिक कम होनी चाहिए और न ही अत्यधिक हावी।
श्री चौहान ने कहा कि ‘एकात्म मानववाद’ का मूल सिद्धांत एक ही चेतना है। यही चेतना प्रकृति में भी मौजूद है। इस सिद्धांत के तहत, सभी को महान वृक्षारोपण अभियान में भाग लेना चाहिए। अपनी मां के नाम पर एक पेड़ (एक पेड़ मां के नाम) लगाना चाहिए। हमें प्रकृति का शोषण नहीं करना चाहिए, बल्कि उसका बुद्धिमानी से उपयोग करना चाहिए। पेड़ पवित्र हैं। पृथ्वी केवल मनुष्यों के लिए नहीं है; सभी जीवित प्राणियों का इस पर समान अधिकार है, और हमें उनकी देखभाल करनी चाहिए। यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने ग्रामीण गरीबी में उत्साहजनक गिरावट और देश में लोगों के जीवन स्तर में सकारात्मक बदलावों का भी उल्लेख किया।
महिला सशक्तिकरण और कृषि में प्रगति
श्री चौहान ने कहा कि लखपति दीदी योजना महिला सशक्तिकरण के लिए एक बड़ा अभियान है। “अगर हम अपनी आधी आबादी को पीछे छोड़ देंगे, तो देश कभी प्रगति नहीं कर सकता। यह गायत्री, सीता, सत्या, सावित्री, दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती की भूमि है।”
कृषि क्षेत्र में हुई प्रगति पर चर्चा करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने साझा किया कि हाल ही में धान की दो नई किस्में विकसित की गई हैं। इससे उपज में 30% की वृद्धि होगी, 20% कम पानी की आवश्यकता होगी, और यह 20 दिन पहले पकेगी। यह कृषि क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है।
निष्कर्ष में, श्री चौहान ने कहा कि सांस्कृतिक विरासत और आधुनिकता के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण के साथ, हम एक राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ेंगे। अतीत की नींव पर एक नया भारत बनाएंगे और दुनिया को एक बेहतर भविष्य की ओर मार्गदर्शन करेंगे। यह एकात्म मानववाद संगोष्ठी इसी दिशा में एक प्रेरणा है।
आख़िर तक – याद रखने योग्य बातें
- एकात्म मानववाद संगोष्ठी में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दर्शन को वर्तमान समस्याओं का समाधान बताया गया।
- केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे भारतीय दर्शन का मूल तत्व कहा।
- कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी शक्ति और किसानों को उसका आधार माना गया।
- पर्यावरण संरक्षण के लिए ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान और प्रकृति के विवेकपूर्ण उपयोग पर बल दिया गया।
- महिला सशक्तिकरण और कृषि क्षेत्र में नवाचार को देश की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण बताया गया।
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