दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को एक पत्र लिखकर भाजपा और उसके नेतृत्व से जुड़े पांच महत्वपूर्ण सवाल पूछे हैं। केजरीवाल के इन सवालों का मुख्य उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नीतियों और कार्यों पर सवाल उठाना है।
अपने पत्र में, केजरीवाल ने भाजपा की वर्तमान सरकार की दिशा पर चिंता व्यक्त की और कहा कि यदि यह स्थिति जारी रही, तो भारत का लोकतंत्र खतरे में पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “अगर यह इसी तरह चलता रहा, तो हमारे देश और लोकतंत्र का अंत हो जाएगा।”
केजरीवाल के पांच मुख्य सवालों में सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह था कि आरएसएस की उम्र सीमा प्रधानमंत्री मोदी पर लागू होती है या नहीं। उन्होंने पूछा, “आरएसएस की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा, जो वरिष्ठ नेताओं जैसे एल.के. आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी पर लागू की गई, क्या वह प्रधानमंत्री मोदी पर भी लागू होगी, जो वर्तमान में 73 वर्ष के हैं?” उन्होंने यह भी पूछा कि क्या पीएम मोदी 75 साल की उम्र में पद छोड़ेंगे।
केजरीवाल ने जून 2023 के एक विशेष घटना का हवाला देते हुए कहा कि उस समय प्रधानमंत्री मोदी ने एक राजनीतिक नेता पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था, लेकिन बाद में वही नेता भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने पूछा, “क्या यह आपको पीड़ा नहीं देता?”
केजरीवाल ने केंद्रीय एजेंसियों, जैसे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का दुरुपयोग कर विपक्षी सरकारों को अस्थिर करने और भाजपा की सरकार बनाने के आरोपों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि क्या यह प्रथाएं आरएसएस के मूल्यों के अनुरूप हैं?
आम आदमी पार्टी के नेता ने भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के उस बयान का भी उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा को आरएसएस की जरूरत नहीं है। इस पर केजरीवाल ने मोहन भागवत से प्रतिक्रिया मांगी।
अपने पत्र में, अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस को भाजपा की “माता संगठन” करार दिया और कहा कि आरएसएस की जिम्मेदारी है कि वह भाजपा को सही रास्ते पर लाए। उन्होंने मोहन भागवत से अपने पांच सवालों का उत्तर मांगा है।
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