ढाका, बांग्लादेश — बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ दिया। उनकी विदाई बांग्लादेश की राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। हसीना ने सोमवार को शाम 5:36 बजे भारत में उतरते हुए अपनी विदाई की घोषणा की।
उनकी विदाई के तुरंत बाद, बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शाहबुद्दीन ने संसद को भंग करने की घोषणा की। यह निर्णय हसीना की विदाई के कुछ घंटे बाद आया और यह एक उच्च स्तरीय बैठक के दौरान किया गया जिसमें सेना, नौसेना, और वायुसेना प्रमुखों के साथ-साथ राजनीतिक नेताओं और नागरिक समाज के सदस्य शामिल थे।
मुख्य घटनाक्रम:
- शेख हसीना की विदाई: शेख हसीना का इस्तीफा राजनीतिक अशांति के बीच हुआ। उन्होंने दिल्ली के पास हिंदन एयरबेस पर लैंड किया, जहाँ वे वर्तमान में एक सुरक्षित स्थान पर रह रही हैं। यह उनके 15 साल के प्रधानमंत्री कार्यकाल का अंत है, जो कि महत्वपूर्ण विरोधों और हिंसा से प्रभावित रहा है।
- संसद का भंग होना: राष्ट्रपति शाहबुद्दीन का संसद को भंग करने का निर्णय बढ़ती अशांति के जवाब में लिया गया। जनवरी 2024 के चुनावों के बाद बनी संसद अब भंग हो गई है, जिससे एक अंतरिम सरकार की तात्कालिक आवश्यकता है।
- अंतरिम सरकार और सेना की भूमिका: बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज़-ज़मान ने एक अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा की है। यह अंतरिम प्रशासन हाल की हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता को संबोधित करेगा। जनरल वाकर-उज़-ज़मान ने आश्वासन दिया कि कोई भी सैनिक या पुलिसकर्मी हिंसा में शामिल नहीं होगा और जनता से शांति बनाए रखने की अपील की।
- प्रदर्शन और हिंसा: राजनीतिक संकट की शुरुआत छात्रों द्वारा सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली के अंत की मांग से हुई। प्रदर्शन 16 जुलाई को हिंसक हो गए, जिसमें प्रदर्शनकारियों, पुलिस और समर्थक कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें हुईं। इस अशांति ने शेख हसीना के आधिकारिक निवास, गणभवन, पर भी हमला कर दिया, जिससे व्यापक संपत्ति नुकसान हुआ।
- भारत की प्रतिक्रिया: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश संकट पर एक कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता की। भारत ने हमेशा हसीना के नेतृत्व में बांग्लादेश के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखे हैं। सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर हाई अलर्ट जारी किया है और सीमा क्षेत्रों की ओर जाने वाली ट्रेन सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं।
- खालिदा जिया की रिहाई: राष्ट्रपति शाहबुद्दीन ने शेख हसीना की प्रमुख प्रतिद्वंद्वी और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की रिहाई की घोषणा की। यह निर्णय बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य पर प्रभाव डाल सकता है क्योंकि जिया फिर से राजनीति में प्रवेश करेंगी।
- विदेशी हस्तक्षेप: पूर्व भारतीय राजदूत हर्षवर्धन श्रींगला के अनुसार, संकट में विदेशी शक्तियों की संभावित भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अशांति और राजनीतिक अस्थिरता ने अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है।
बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति बहुत ही तरल है और महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आ रहे हैं। संसद का भंग होना और एक अंतरिम सरकार का गठन इस संकट को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और क्षेत्रीय पड़ोसी भारत इस स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं क्योंकि बांग्लादेश इस उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है।
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