बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना भारत भागीं, हजारों ने आवास पर धावा बोला
एक चौंकाने वाली घटना में, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना को ढाका में बढ़ते विरोध और हिंसा के बीच भारत की ओर ले जाया गया है। इस अशांति ने देशभर में कर्फ्यू लगा दिया और 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। इस लेख में हम स्थिति की गहराई से जांच करेंगे और इसके प्रभावों पर चर्चा करेंगे।
शेख हसीना की उड़ान: सोमवार को, रिपोर्ट्स आईं कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को एक सैन्य हेलीकॉप्टर द्वारा भारत ले जाया गया। हेलीकॉप्टर ने स्थानीय समय के अनुसार 2:30 बजे बांगाभवन से उड़ान भरी। शेख हसीना की अचानक भागने की घटना ने उनके आधिकारिक आवास पर भीड़ को चकित कर दिया।
विरोध और झड़पें: विरोध रविवार की सुबह से शुरू हुआ, जिसमें शेख हसीना के इस्तीफे की मांग की जा रही थी। स्थिति जल्दी ही हिंसक झड़पों में बदल गई, जहां पुलिस ने आंसू गैस और स्टन ग्रेनेड का उपयोग किया। इन झड़पों ने बांग्लादेश के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक अशांति उत्पन्न की।
सुरक्षा और सेवाओं पर प्रभाव: विरोध ने बांग्लादेश में दैनिक जीवन पर गहरा प्रभाव डाला है। बांग्लादेश रेलवे ने सभी सेवाओं को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया है और कई वस्त्र कारखाने भी बंद कर दिए गए हैं। सुरक्षा स्थिति अभी भी अस्थिर है, जिसमें 14 पुलिसकर्मियों की मौत और 300 से अधिक लोगों के घायल होने की रिपोर्ट है।
सरकार और सेना की प्रतिक्रिया: इस अशांति के बीच, शेख हसीना के बेटे सजीब वाज़ेद जॉय ने सुरक्षा बलों से किसी भी बलात्कारी कब्जे को रोकने का आग्रह किया है। उन्होंने संविधान की रक्षा और देश की प्रगति को बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया। इस बीच, बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज़-ज़मान विभिन्न राजनीतिक दलों और हितधारकों के साथ बातचीत कर रहे हैं, लेकिन उनके समर्थन की स्थिति अस्पष्ट है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया: संयुक्त राष्ट्र ने हिंसा की निंदा की है, और मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टर्क ने इसे “चौंकाने वाली” बताया। उन्होंने हिंसा समाप्त करने का आह्वान किया है, जो जुलाई की शुरुआत से अब तक 300 से अधिक लोगों की जान ले चुकी है। इस संकट के मद्देनजर, भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को अत्यधिक सतर्क रहने और बांग्लादेश की यात्रा से बचने की सलाह दी है।
जनता की भावना और भविष्य की संभावनाएँ: जैसे-जैसे स्थिति विकसित हो रही है, जनता की भावना गहराई से विभाजित है। शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों को “आतंकवादी” बताया और “विरोध” के नाम पर “विनाश” को दबाने की अपील की है। बांग्लादेश सेना ने लोगों के साथ खड़े रहने की कसम खाई है, लेकिन इसका रुख स्पष्ट नहीं है।
बांग्लादेश में वर्तमान संकट राजनीतिक विभाजन और स्थिति की अस्थिरता को उजागर करता है। जैसे-जैसे शेख हसीना भारत में शरण ले रही हैं, बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है। निरंतर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान और कूटनीतिक प्रयास संकट को सुलझाने और क्षेत्र में स्थिरता बहाल करने के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
Discover more from पाएं देश और दुनिया की ताजा खबरें
Subscribe to get the latest posts sent to your email.