आख़िर तक – इन शॉर्ट्स
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने कस्टम विभाग को नामी कलाकारों के नग्न चित्र छोड़ने का आदेश दिया।
- कोर्ट ने कहा कि हर नग्न चित्र या यौन संबंध को अश्लील नहीं कहा जा सकता।
- कस्टम विभाग की इस निर्णय को अनुचित और अवैध करार दिया गया।
आख़िर तक – इन डेप्थ
बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फ़ैसले में शुक्रवार को नामी कलाकारों एफएन सूजा और अकबर पदमसी के नग्न चित्रों की ज़ब्ती के खिलाफ निर्देश जारी किए। कस्टम विभाग ने इन्हें अश्लीलता का आरोप लगाते हुए जब्त किया था, लेकिन हाई कोर्ट ने कहा कि हर नग्न चित्र को अश्लील मानना न्यायोचित नहीं है। जस्टिस एमएस सोनक और जितेंद्र जैन की खंडपीठ ने इस ज़ब्ती आदेश को अनुचित बताते हुए कस्टम विभाग की कार्रवाई को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अश्लीलता का अर्थ सिर्फ यौन चित्रण से नहीं होता और कला तथा अश्लीलता के बीच भेदभाव की समझ आवश्यक है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 60 वर्ष पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए एक निर्णय का उल्लेख किया, जिसमें यह कहा गया था कि माइकल एंजेलो के संत और फ़रिश्तों को बिना सेंसर के प्रदर्शित किया जा सकता है। कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि ऐसे चित्रों का आयात प्रतिबंधित करना केवल व्यक्तिगत धारणाओं पर आधारित है। याचिका के अनुसार, चित्र संग्रहकर्ता मुस्तफा करचीवाला ने 2022 में लंदन से ये चित्र खरीदे थे, जिन्हें बाद में मुंबई में जब्त कर लिया गया था। याचिका में कस्टम विभाग द्वारा लगाए गए आरोपों को अनुचित और कला की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया गया है।
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