हरियाणा चुनाव परिणामों में बीजेपी ने 90 सदस्यीय विधानसभा में 48 सीटें जीतकर ऐतिहासिक तीसरा कार्यकाल हासिल किया है। जहां कांग्रेस सत्ता में आने की कोशिश कर रही थी, उसे केवल 37 सीटों पर सिमटना पड़ा। इस जीत के पीछे आरएसएस की रणनीतिक वापसी को बड़ा कारण माना जा रहा है।
आरएसएस की भूमिका
किसानों के आंदोलन के बाद बीजेपी की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई थी, जिससे पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता और नेता असंतुष्ट हो गए थे। अगस्त में आरएसएस के एक आंतरिक सर्वेक्षण में पता चला कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार अपना प्रभाव खो रही है, जिसके बाद नेतृत्व और रणनीति में बदलाव की मांग की गई।
बीजेपी ने ग्रामीण मतदाताओं के साथ फिर से जुड़ने और जमीनी स्तर पर पार्टी मशीनरी को सक्रिय करने के लिए आरएसएस से सहायता मांगी।
ग्रामीण मतदाता अभियान
सितंबर की शुरुआत में आरएसएस ने हर जिले में कम से कम 150 स्वयंसेवकों को तैनात कर ग्रामीण मतदाताओं तक पहुंच बनाई। इस अभियान का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों के साथ संबंध मजबूत करना और बीजेपी सरकार के प्रति बढ़ते असंतोष को दूर करना था।
आरएसएस स्वयंसेवकों ने गांव-गांव जाकर चौपाल के जरिए मतदाताओं से संवाद किया और पार्टी की नीतियों को समझाया।
सीएम नयाब सिंह सैनी की भूमिका
सीएम नयाब सिंह सैनी को ग्रामीण मतदाताओं, विशेष रूप से अपने निर्वाचन क्षेत्र लाडवा में, अधिक दिखाई देने का निर्देश दिया गया था। सैनी ने खाप और पंचायत नेताओं से मुलाकात की जिन्होंने खट्टर सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई थी।
आरएसएस और बीजेपी का तालमेल
आरएसएस और बीजेपी के बीच तालमेल ने इस जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विश्लेषकों का मानना है कि आरएसएस की सक्रिय भागीदारी के बिना बीजेपी को यह जीत मुश्किल से मिलती।
आरएसएस ने बीजेपी को मजबूत करने में मदद की, जिससे जाट और दलित समुदायों के बीच ध्रुवीकरण कम हुआ और बीजेपी को व्यापक समर्थन मिला।
Discover more from पाएं देश और दुनिया की ताजा खबरें
Subscribe to get the latest posts sent to your email.