भारत-कनाडा तनाव: क्या कदम उठा सकता है भारत?

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भारत के खिलाफ गोपनीयता लीक का कनाडाई स्वीकारोक्ति

Aakhir Tak – In Shorts:

  1. कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने संकेत दिया कि भारत पर प्रतिबंध लगाने का विचार किया जा सकता है।
  2. भारत के पास भी कनाडा के खिलाफ कई कड़े कदम उठाने के विकल्प मौजूद हैं।
  3. इनमें भारतीय छात्रों को वापस बुलाना, OCI कार्ड रद्द करना और व्यापारिक प्रतिबंध शामिल हैं।

Aakhir Tak – In Depth:

भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंधों में हालिया तनाव के बीच कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने यह इशारा किया है कि अगर भारत के खिलाफ कड़े कदम उठाने की जरूरत पड़ी, तो “सभी विकल्प खुले हैं।” यह बयान दोनों देशों के बीच पहले से ही बिगड़ते संबंधों को और ज्यादा जटिल बना सकता है। अगर कनाडा भारत पर प्रतिबंध लगाता है, तो भारत के पास भी कई कड़े कदम उठाने के विकल्प मौजूद हैं। शिव अरूर, सीनियर एक्जीक्यूटिव एडिटर, इंडिया टुडे टीवी, ने कुछ ऐसे कदमों का विश्लेषण किया है जो भारत कनाडा पर दबाव बनाने के लिए उठा सकता है।

भारतीय छात्रों की वापसी:
भारत के पास एक बड़ा विकल्प यह हो सकता है कि वह कनाडा में पढ़ रहे लगभग 2.5 लाख भारतीय छात्रों को वापस बुलाने का निर्णय ले। इससे कनाडा की शिक्षा व्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा, जिसमें भारतीय छात्रों की फीस का महत्वपूर्ण योगदान है। यह कदम कनाडा की वित्तीय स्थिरता को हिला सकता है।

OCI कार्ड रद्द करना:
भारत सरकार उन भारतीय मूल के कनाडाई नागरिकों के OCI (ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया) कार्ड रद्द कर सकती है, जो खालिस्तानी आंदोलन के समर्थक माने जाते हैं। इससे उनके कानूनी और व्यवसायिक अधिकार सीमित हो सकते हैं, और उन्हें अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया जा सकता है।

प्रवासी अधिकारों पर रोक:
भारत उन खालिस्तानी समर्थकों के संपत्ति अधिकार निलंबित कर सकता है, वीजा प्रक्रिया को धीमा कर सकता है, और नई वीज़ा आवेदनों की जांच सख्त कर सकता है। यह कदम उन समर्थकों के लिए चुनौतियाँ पैदा करेगा और कनाडा में भारतीय समुदाय के भीतर भी हलचल मचा सकता है।

व्यापार प्रतिबंध और वित्तीय दबाव:
भारत और कनाडा के व्यापारिक संबंधों को देखते हुए, भारत कनाडा पर व्यापारिक प्रतिबंध लगा सकता है। इससे कनाडा की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो सकता है, जो पहले से ही भारत के पक्ष में असंतुलित है। इसके अलावा, भारत कनाडा की वित्तीय संस्थानों और पेंशन फंड्स के भारतीय निवेश को भी रोक सकता है, हालांकि यह एक दुर्लभ कदम हो सकता है।


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