आख़िर तक – इन शॉर्ट्स:
- इज़राइल ने ‘रेपेंटेंस’ ऑपरेशन के तहत ईरान पर हवाई हमले किए, दो सैनिक मारे गए।
- ईरानी सेना ने सफल रक्षा करने का दावा किया, लेकिन “सीमित क्षति” की पुष्टि की।
- दोनों देशों में तनाव बढ़ने के साथ क्षेत्रीय स्थिरता पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
आख़िर तक – इन डेप्थ:
इज़राइल और ईरान के बीच हालिया संघर्ष ने मध्य पूर्व में एक बड़े युद्ध का खतरा उत्पन्न कर दिया है। इज़राइल ने ईरान पर “लगातार हमलों” का जवाब देने के लिए ऑपरेशन ‘रेपेंटेंस’ के तहत हवाई हमले किए। इज़राइल का दावा है कि ये हमले सैन्य ठिकानों पर केंद्रित थे, जिसमें ईरान के मिसाइल निर्माण संयंत्र भी शामिल हैं। ईरान ने अपनी रक्षा प्रणाली के माध्यम से हमले को नाकाम करने का दावा किया, लेकिन देश के पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों में कुछ ठिकानों को सीमित क्षति पहुंची।
ईरानी सेना के अनुसार, इस हमले में उनके दो सैनिक मारे गए। इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू और रक्षा मंत्री याव गैलंट इस हमले के दौरान मिलिट्री मुख्यालय में मौजूद थे। इज़राइल ने कहा कि अगर ईरान ने “नई उकसाने वाली गतिविधियाँ” कीं, तो इज़राइल और भी कठोर कदम उठाने के लिए तैयार रहेगा। इस हमले के बाद ईरान ने चेतावनी दी है कि वह इज़राइल के किसी भी हमले का “अनुपातिक” जवाब देगा। इसके साथ ही, क्षेत्रीय सुरक्षा के मद्देनजर दोनों देशों ने अपनी हवाई सीमाएँ बंद कर दी हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका को इस हमले की जानकारी पहले ही दी गई थी, लेकिन इसमें उसकी कोई भागीदारी नहीं थी। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस घटना पर करीबी निगरानी रखने का वादा किया है। इज़राइल ने ईरान के तेल और परमाणु सुविधाओं को निशाना नहीं बनाया, लेकिन उसके हमले ने ईरान को कड़े कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है।
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