सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर हत्या मामले में कोलकाता अस्पताल को फटकारा, एफआईआर में देरी पर जताई नाराजगी
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में प्रशिक्षु डॉक्टर की क्रूर हत्या और बलात्कार के मामले में प्रक्रियागत चूक को लेकर गहरी नाराजगी जताई। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में एक पीठ ने अस्पताल और बंगाल सरकार के अधिकारियों से इस मामले में कई सवाल उठाए।
यह मामला 9 अगस्त 2024 को 31 वर्षीय डॉक्टर की दुखद मौत से संबंधित है, जिसने देशव्यापी विरोध और हड़तालों को जन्म दिया। सुप्रीम कोर्ट विशेष रूप से उस देरी से चिंतित था जो एफआईआर दर्ज करने में हुई थी, जो पीड़िता के अंतिम संस्कार के तीन घंटे बाद दर्ज की गई थी।
मुख्य घटनाक्रम:
- राष्ट्रीय टास्क फोर्स: सुप्रीम कोर्ट ने भारत में स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स गठित की है। इस टास्क फोर्स में प्रमुख चिकित्सा विशेषज्ञ शामिल होंगे, जो डॉक्टरों के कार्यस्थलों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए प्रोटोकॉल की सिफारिश करेंगे।
- अस्पताल और पुलिस की आलोचना: कोर्ट ने अस्पताल के अधिकारियों और पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए। मुख्य न्यायाधीश ने एफआईआर दर्ज करने में देरी और अपराध स्थल के प्रबंधन को लेकर कड़ी नाराजगी व्यक्त की और ऐसे मामलों में पुलिस की त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया।
- सरकार की भूमिका: बंगाल सरकार से शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जबरदस्ती कार्रवाई से बचने का आग्रह किया गया। कोर्ट ने राष्ट्रीय आत्मचिंतन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और डॉक्टरों और कार्यस्थलों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए तत्काल सुधारों की मांग की।
- नेतृत्व की समीक्षा: कोर्ट ने आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. संदीप घोष की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए, जो अपनी भूमिका की जांच के बावजूद, एक और प्रतिष्ठित संस्थान के प्रमुख के रूप में नियुक्त किए गए।
- वैंडलिज्म की घटना: सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को आरजी कर अस्पताल में हुई तोड़फोड़ की घटना के बाद सीआईएसएफ को अस्पताल की सुरक्षा का निर्देश दिया। इस घटना में एक भीड़ ने अस्पताल की महत्वपूर्ण सुविधाओं को नुकसान पहुंचाया था। बंगाल सरकार और सीबीआई को 22 अगस्त तक जांच की स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के इस मामले में हस्तक्षेप ने भारत में स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की सुरक्षा के प्रति गंभीर चिंताओं को उजागर किया है। कोर्ट की कड़ी प्रतिक्रिया इस बात का संकेत है कि उन लोगों की सुरक्षा के लिए प्रणालीगत परिवर्तन आवश्यक हैं जो देश की स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
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