क्वाड की हालिया वार्षिक समिट, जो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा आयोजित की गई, ने एक बार फिर से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया। इस समिट में प्रमुख रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने भाग लिया। इस बैठक में प्रमुख रूप से यूक्रेन में शांति बनाए रखने पर जोर दिया गया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि क्वाड का उद्देश्य एक नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था को सुनिश्चित करना है, जो सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करती है।
हालांकि चीन का नाम विशेष रूप से नहीं लिया गया, लेकिन पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में बढ़ती गतिविधियों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। बैठक में यह भी कहा गया कि तट रक्षक और समुद्री मिलिशिया जहाजों के “खतरनाक” उपयोग की कड़ी निंदा की जानी चाहिए, जो इस क्षेत्र में तनाव बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं।
इस संदर्भ में यह सवाल उठता है कि क्या क्वाड चीन की आक्रामक नीतियों का सामना कर सकता है? इस पर विशेषज्ञों का मानना है कि क्वाड के सदस्य देश, भले ही आर्थिक और सैन्य ताकत में सक्षम हों, परन्तु वे अभी तक चीन के आक्रामक रवैये का सामूहिक रूप से सामना करने की पूरी क्षमता विकसित नहीं कर पाए हैं। फिर भी, क्वाड का मुख्य उद्देश्य एक नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था स्थापित करना और समुद्री क्षेत्रों में स्वतंत्रता को बनाए रखना है।
Key Points:
- क्वाड का गठन एक नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।
- पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की गई है।
- समुद्री सुरक्षा और स्वतंत्रता क्वाड की प्राथमिकता में शामिल हैं।
- विशेषज्ञों का मानना है कि क्वाड की सामूहिक क्षमता चीन के आक्रामक रवैये को रोकने में अभी तक पूरी तरह सक्षम नहीं है।
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